भाजपा सरकार द्वारा विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर किये खर्च का हिसाब दे सभी कलेक्टर: मुख्यमंत्री

भोपाल
विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ब्रांडिंग करने के लिए पूर्व भाजपा सरकार ने विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे प्रदेशभर में 1114 लाख 50 हजार रुपए बांटे थे। आचार संहिता लागू होंने के कारण अधिकांश जिलों में ये आयोजन नहीं हो पाए। अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी कलेक्टरों से इन आयोजनों पर हुए खर्च का हिसाब मांग लिया है। कलेक्टर 829 लाख 30 हजार रुपए नहीं खर्च कर पाए है।
प्रदेश की जनता को दिए गए वचनों को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार काफी मितव्ययिता से चल रही है। विभागों में नए वाहन, उपकरणों, डायरी-कैलेण्डर की खरीदी पर सरकार पहले ही रोक लगा चुकी है। मंत्रियों और अफसरों के लिए एक-एक वाहन के उपयोग की ही अनुमति देने की कवायद भी शुरु हो चुकी है। कला मंडिलियों को बांटे गए 57 करोड़ रुपए में से ना उपयोग हुई राशि भी सरकार वापस ले चुकी है। नगरीय निकायों के पास बिना उपयोग के पड़े करोड़ों रुपए भी सरकार लेकर उसका युक्तियुक्त करण करने में लगी हुई है। इसी कड़ी में अब पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए अंत्योदय मेलों के खर्च का हिसाब भी सरकार ने मांग लिया है।
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जून 2018 में पूर्व भाजपा सरकार ने सभी जिलों में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए मुख्यमंत्री की उपस्थिति में विशेष अंत्योदय मेले आयोजित करने का निर्णय लिया था। इसमें सीएम की उपस्थिति में होंने वाले आयोजनों के लिए दस लाख और विकासखंड तथा नगर निगम स्तरीय अंत्योदय मेलों के आयोजनों के लए तीन लाख रुपए के मान से सभी जिला कलेक्टरों को 1114 लाख 50 हजार रुपए राशि आबंटित की गई थी। इस राशि से प्रदेश के सभी जिलों में 329 अंत्योदय मेलों का आयोजन करना था। केवल 81 अंत्योदय मेलों का आयोजन हुआ जिनपर 285 लाख 20 हजार रुपए की राशि खर्च हुई है।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने सभी कलेक्टर, नगर निगम आयुक्तों, जिला पंचायतों एवं जनपद पंचायतों के के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से पूछा है कि अभी तक जिन जिलों में अंत्योदय मेलों का आयोजन नहीं हो पाया है उनकी जानकारी दे और जहां आयोजन हो चुके है उनका उपयोगिता प्रमाणपत्र भिजवाएं। हिसाब आने के बाद राज्य सरकार नहीं उपयोग हो पाई राशि वापस बुलाकर उसे वचनपत्र के वचन पूरा करने में खर्च करेगी।
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