Indore News: सेफ्टी वाल्व न होने के कारण बायो सीएजनी प्लांट पर फटा बैलून

इंदौर
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट शुरू हुए अभी दो माह ही बीते हैं और अभी तक यह प्लांट अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है। 18 मार्च को बायो सीएनजी प्लांट पर 40 घन मीटर का रिकवरी बैलून तकनीकी खामी के कारण फट गया। इस बैलून में कार्बन डाइआक्साइड व कुछ मात्रा में मिथैन गैस थी। बैलून फटने की घटना के दौरान कोई हादसा नहीं हुआ।

जानकारों के मुताबिक बायो सीएनजी प्लांट के डिस्पेंसिंग स्टेशन पर कार्बन डाइआक्साइड को एकत्र करने के लिए यह रिकवरी बैलून लगाया था ताकि इसमें एकत्र होने वाली गैस में मौजूद दो से तीन प्रतिशत मीथेन गैस को निकाला जा सके। इसमें सेफ्टी वाल्व न होने के कारण फूटने की घटना सामने आई। इस घटना के बाद प्लांट का संचालन करने वाली एजेंसियों के विवाद बढ़ गया। विवाद इस कदर बढ़ा कि इस मामले में पुलिस थाने में भी शिकायत हुई है।

गौरतलब है कि इंडो इन्वायरो एजेंसी द्वारा इस प्लांट का संचालन किया जा रहा है। इस प्लांट को तैयार करने में इस एजेंसी ने बंगलुरी की जीपीएस इन्वायरों एजेंसी के साथ इंजीनियरियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन के लिए अनुबंध किया हैं। इसके अलावा अनुबंध के तहत प्लांट में एयरनाक्स नायजन कंपनी द्वारा बायोसीएनजी गैस के शुद्धिकरण की प्रक्रिया के कार्य को देखा जा रहा है।

ट्रेचिंग ग्राउंड स्थित बायो सीएनजी प्लांट में अभी प्रतिदिन 500 टन गीले कचरे का उपयोग किया जाता है। अभी यहां पर 11 हजार घन मीटर बायो गैस प्रतिदिन तैयार हो रही है। इसमें से 500 से 700 किलो ही बायो सीएनजी तैयार हो रही है। अभी तक एजेंसी द्वारा महज 10 से 15 बसों को ही बायो सीएनजी गैस दी जा रही है, जबकि शहर में करीब 56 बायो सीएनजी गैस खड़ी है लेकिन प्लांट से गैस न मिलने के कारण इनका उपयोग नहीं हो रहा है। जानकारों के मुताबिक अभी प्लांट में तैयार होने वाली बायो सीएनजी गैस की शुद्धता स्थिर नहीं है और लगातार बदल रही हैं। अभी प्लांट में गैस की शुद्धता का असर 96 प्रतिशत तक पहुंचा लेकिन यह ज्यादा समय स्थिर नहीं रहती है। यही वजह है कि एजेंसी अभी 10 हजार घन मीटर गैस जलाकर नष्ट भी कर रही है।

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