मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के जरिए अनाथ बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाएगी सरकार

लखनऊ
प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के जरिए अनाथ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया है। योजना के तहत बनाए जा रहे एमआईएस पोर्टल की जून में शुरुआत हो जाएगी। योजना के तहत 11 से 18 वर्ष तक की आयु के अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए उनको अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा, जहां उन्हें 12वीं तक की निःशुल्क शिक्षा मिलेगी।

योजना के तहत प्रदेश सरकार अनाथ बालिकाओं के शादी योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार की राशि भी देगी। इसके साथ ही शून्य से 18 वर्ष तक की उम्र तक के ऐसे बच्चों, जिनके माता या पिता या दोनों की ही मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है, ऐसे बच्चों को योगी सरकार 4000 रुपये प्रति माह देगी। जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनको बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बालगृहों में आश्रय दिया जाएगा।

कक्षा नौ या इससे ऊपर की कक्षा में व व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार टैबलेट व लैपटॉप दे रही है। इसके तहत अब तक 1060 बच्चों को लैपटॉप दिए जा चुके हैं। महिला कल्याण विभाग द्वारा कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर आवेदन पत्र भराए जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में कुल 4681 बच्चे चिह्नित किए जा चुके हैं।  

इसके साथ ही जनपदीय टास्क फोर्स के जरिए 1565 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। कोविड-19 से भिन्न माता-पिता दोनों की मृत्यु होने पर कुल 383 अनाथ बच्चों तथा कोविड-19 से भिन्न माता या पिता एक की मृत्यु हाने पर कुल 4775 अनाथ बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। इस तरह अब तक कुल 5158 बच्चों को लाभ दिया जा चुका है।

 

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