सचिन युवा कार्ड से बन जाएंगे ‘पायलट’, नप सकते हैं अशोक गहलोत समर्थक मंत्री
जयपुर
कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद राजस्थान कांग्रेस में बदलाव की कवायद अब असर दिखा सकती है। यह बदलाव प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक हो सकता है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने चिंतन शिविर के बाद युवाओं को लीडरशिप देने के संकेत दिए थे। चिंतन शिविर के बाद पार्टी की कोशिश है कि कमान अब युवाओं को सौंपी जाए। शिविर में पायलट ने सत्ता और संगठन में युवाओं की भागीदारी देने की मांग उठाई थी। जिस पर कांग्रेस आलाकमान ने आधिकारिक मुहर भी लगा दी है। चिंतन शिवर में पार्टी में जो बदलाव की बात कही गई है, उसकी शुरुआत राजस्थान से होने की संभावना है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के अंत तक होने वाले हैं। पायलट ने कहा कि शिविर में आधे डेलीगेट्स 40 साल से कम उम्र के हैं। युवाओं को प्राथमिकता दी गई है। पायलट के बयान से साफ संकेत है कि चुनाव जीतने के लिए प्रदेश में बदलाव हो। कमान 50 साल के कम उम्र के युवाओं को मिले। युवाओं को सत्ता और संगठन में 50 फीसदी की भागीदारी दी जाए।
गहलोत कैबिनेट में उम्रदराज नेताओं की भरमार
गहलोत कैबिनेट में आधे से ज्यादा मंत्री बुजुर्ग है। सत्ता और संगठन में युवाओं को 50 फीसदी भागीदारी देने के फाॅर्मूले के तहत गहलोत समर्थक मंत्रियों और विधायकों के टिकट कटना तय माना जा रहा है। 50 फीसदी के फाॅर्मूले से सबसे ज्यादा सियासी नुकसान सीएम अशोक गहलोत के समर्थकों को होगा। अगले लोकसभा और विधानसभा फाॅर्मूले के तहत चुनावों में गहलोत समर्थक नेताओं के टिकट कटने तय माने जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा (71) साल के हैं। वहीं यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (78), सुखराम विश्नोई (69), बीडी कल्ला बीडी कल्ला (72), मुरारी लाल मीणा (62), रामलाल जाट (57), गोविंद राम मेघवाल (60), शकुंतला रावत (53), हेमाराम चौधरी (74) सुभाष गर्ग (62), महेंद्रजीत सिंह मालवीय (61) प्रताप सिंह खाचरियावास (53), महेश जोशी (67) साल के हैं।
वहीं रमेश मीणा (69), विश्वेंद्र सिंह (59), भजनलाल जाटव (53) और उदयलाल आंजना (71), ममता भूपेश (48), भंवर सिंह भाटी (48), सालेह मोहम्मद( 45), लालचंद कटारिया (53) और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली की उम्र 41 साल है। गहलोत कैबिनेट में शामिल सभी उम्रदराज मंत्री सीएम गहलोत के समर्थक माने जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (57) की कुर्सी भी संकट में पड़ सकती है।
बुजुर्ग नेताओं के लिए रिटारमेंट की उम्र तय
कांग्रेस के युवाओं से जुड़े ग्रुप की सिफारिशों में नेताओं की रिटायरमेंट की उम्र तय करने का सुझाव दिया है। लोकसभा और विधानसभा से लेकर सभी चुने हुए पदों पर रिटायरमेंट की एक उम्र तय होगी। पार्टी के माने तो उम्रदरात नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। बुजुर्ग नेताओं को पार्टी संगठन की मबजूती के लिए काम लेने की सिफारिश की गई है। यह प्रावधान लागू होते ही उम्रदराज नेता टिकटों की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।