राजस्थान: राज्यसभा की चार सीटों को लेकर कशमकश, कांग्रेस और भाजपा में आंतरिक राजनीति तेज

जयपुर
राजस्थान से राज्यसभा की चार सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होने हैं। नामांकन-पत्र मंगलवार से दाखिल हो सकेंगे । दो सौ सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से कांग्रेस को दो सीटें और एक भाजपा के खाते में साफ तौर पर जाती हुई नजर आ रही है। भाजपा ने यदि दूसरा उम्मीदवार भी मैदान में उतारा तो चौथी सीट को लेकर मुकाबला हो सकता है। यदि भाजपा दूसरी सीट के लिए किसी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारती है तो माकपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी के चार विधायकों के समर्थन से कांग्रेस अपने तीसरे प्रत्याशी को राज्यसभा में भेजने में सफल हो सकेगी।

ग्यारह निर्दलीय विधायक पहले से ही कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने एक सीट पर किसी केन्द्रीय नेता को चुनाव लड़वाने का निर्णय लिया है। दो अन्य सीटों पर प्रदेश के नेताओं को मैदान में उतारा जाएगा । कांग्रेस नेतृत्व को पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। क्योंकि वह निर्दलीयों को साथ लेकर जीती जाएगी।राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक फिलहाल तटस्थ हैं। लेकिन अंतिम क्षण में वे भाजपा के साथ जा सकते हैं।पार्टी के अध्यक्ष और सांसद हनुमान बेनीवाल की भाजपा नेताओं के साथ निकट सम्बन्ध हैं।

कांग्रेस में विवाद
कांग्रेस नेतृत्व से मिले संकेत के अनुसार वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और प्रदेश प्रभारी अजय माकन में से किसी एक नेता को राज्यसभा में भेजा जाएगा । पार्टी प्रदेश के दो नेताओं को भी राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाएगी । इनमें कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रघुवीर मीणा, राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र सिंह और डूंगरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश खोड़निया दावेदार हैं। खोड़निया की दावेदारी का कांग्रेस के ही दो आदिवासी विधायक गधेश घोघरा और रामलाल मीणा विरोध कर रहे हैं। दोनों विधायकों का कहना है कि खोड़निया को आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाना गलत था। अब उन्हे अध्यक्ष बना दिया गया तो किसी आदिवासी नेता को राज्यसभा में भेजा जाना चाहिए।

भाजपा में माथुर की दावेदारी मजबूत
भाजपा में दिग्गज नेता ओमप्रकाश माथुर की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। हालांकि पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, सुशील कटारा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी भी दावेदारी जता रहे हैं। लेकिन अधिकांश नेता और विधायक माथुर के पक्ष में बताए जा रहे हैं।

यह है सीटों का गणित
प्रदेश के 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं। राष्ट्रीय लोकदल के एकमात्र विधायक सरकार में मंत्री हैं। 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। भाजपा के 71 विधायक हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन,भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो और माकपा के दो-दो विधायक हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी एवं माकपा उसका सहयोग करेगी। कांग्रेस को उम्मीद है कि निर्दलीय, माकपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायकों के समर्थन से वह तीसरी सीट जीत लेगी। कांग्रेस ने तीन प्रत्याशी खड़े करने का निर्णय लिया है। तीनों को जीताने के लिए 41-41-41 वोट प्रथम वरियता के चाहिए। वहीं भाजपा यदि दो प्रतात्याशियों को मैदान में उतारती है तो 41-41 अर्थात 82 वोट चाहिए। ऐसे में एक सीट पर मुकाबला रोचक हो सकता है।

 

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