प्रभारी प्रधानाचार्य हटाकर GIC में मांगी स्थायी नियुक्ति, मुख्‍यमंत्री को राजकीय शिक्षक संघ ने लिखा पत्र

प्रयागराज
राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति न देकर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापकों को प्रभारी प्रधानाचार्य बनाकर संबद्धता देकर तैनाती दिए जाने की प्रक्रिया को पिछले वर्ष से बढ़ावा दिया गया है। इसमें कई हाईस्कूल के वरिष्ठ प्रधानाध्यापक अपेक्षाकृत रूप से कनिष्ठ हो गए हैं, जिससे विद्यालय संचालन में अड़चन भी आ रही है। वैसे तो माध्यमिक शिक्षा विभाग तीन कैडर शिक्षण, निरीक्षण और प्रशिक्षण में बंटा है, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किए जाने से शिक्षण व्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है।

मुख्‍यमंत्री के अलावा प्रमुख सचिव माध्‍यमिक शिक्षा को भी भेजा पत्र : राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पांडेय ने मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को इस संबंध में पत्र लिखा है। पत्र के माध्‍यम से बताया है कि पिछले वर्ष बिना नियम, बिना राजाज्ञा के तत्कालीन अपर प्रमुख सचिव एवं तत्कालीन शिक्षा निदेशक ने हाईस्कूल के कई प्रधानाध्यापकों को राजकीय इंटर कालेज का प्रभारी प्रधानाचार्य बना दिया गया, जबकि पदोन्नति पाए कई प्रवक्ताओं को तैनाती नहीं दी जा रही है।

राजकीय माध्‍यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री : राजकीय माध्‍यमिक शिक्ष संघ के प्रांतीय महामंत्री ने बताया कि इसके अलावा चरित्र पंजिका (सीआर) तैयार नहीं किए जाने से प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति पाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवक्ता प्रतीक्षा लाइन में हैं। इसके चलते प्रदेश भर में कई राजकीय इंटर कालेज, पं. दीनदयाल राजकीय माडल इंटर कालेज, राजकीय अभिनव विद्यालय प्रभारी प्रधानाचार्यों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस व्यवस्था से कई वरिष्ठ प्रधानाध्यापकों (वरिष्ठ अधीनस्थ राजपत्रित) के साथ वरिष्ठता को लेकर अन्याय हुआ है। इस अव्यवस्था के कारण विद्यालयों में पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। कई जनपदों में तो शिक्षकों में खींचतान है, जिससे विद्यालय का माहौल भी खराब हो रहा है।

मांग की, प्रभारी बनाकर दी गई संबद्धता खत्म कर पदोन्नत कर पद भरे जाएं : पिछले दिनों हमीरपुर में राजकीय इंटर कालेज शिक्षकों की आपस में मारपीट के चलते अखाड़ा बना गया था। महामंत्री ने मांग की है कि प्रभारी बनाकर दी गई संबद्धता खत्म कर पदोन्नत कर पद भरे जाएं, ताकि स्थायी प्रधानाचार्य होने से विद्यालय में अनुशासन और पढ़ाई व्यवस्थित रहे।

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