MP News: आयुष संचालनालय में गड़बड़झाला, होम्योपैथी कॉलेज के प्रिंसिपल निलंबित, पटेल को बुरहानपुर भेजा
उज्जवल प्रदेश, भोपाल. आयुष संचालनालय दवाओं की खरीद-फरोख्त में कमीशन-खोरी, छात्र प्रवेश घोटाले और पीजी आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी को लेकर सुर्खियों में है। अपनी मनमर्जी से समयमान वेतनमान निर्धारण करने और पीजी आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करने वाले डॉ एस के मिश्रा को निलंबित कर दिया।
जबकि संचालनालय में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कुंडली मारकर बैठे एसोसिएट प्रोफेसर अरविंद पटेल की सेवाएं शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बुरहानपुर को लौटा दी। शासकीय स्वशासी होम्योपैथी कॉलेज भोपाल में लंबे समय से कोर्ट के स्थगनादेश पर प्रिंसिपल बने डॉ एसके मिश्रा को 2 मार्च 23 को निलंबित कर दिया।
उनकी जगह वरिष्ठतम प्राध्यापक डॉ पीएन पालचौधरी को प्रधानाचार्य का चालू प्रभार दिया गया है। डॉ एसके मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने समयमान वेतनमान का निर्धारण अपनी मनमर्जी के मुताबिक किया। इसके अलावा पीजी आरक्षण रोस्टर में भी छेड़खानी की। सूत्रों ने बताया कि शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज उज्जैन में एनाटॉमी विषय की एक सीट थी। डॉ मिश्रा और रोस्टर समिति के सदस्य डॉ अरविंद पटेल ने 2 सीटें कर दी। इसी गड़बड़ी के चलते ही डॉ मिश्रा को निलंबित कर दिया गया और उज्जैन आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर जेपी चौरसिया को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
डिप्टी डायरेक्टर की योग्यता नहीं रखने के बाद भी मैनेजमेंट के खेल में महारत हासिल करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरविंद पटेल की सेवाएं शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बुरहानपुर को लौटा दी। एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर पटेल ने अपने राजनीतिक एप्रोच का प्रयोग करते हुए छात्रों को पढ़ाने के बजाय संचालनालय भोपाल में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर जम गए। उनके भोपाल आने से शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बुरहानपुर के हायर फैकल्टी में शिक्षा कार प्रभावित होने लगा। पटेल के भोपाल आने से बुरहानपुर आयुर्वेदिक कालेज की मान्यता पर भी सवाल उठने लगे थे। मैनेजमेंट के खेल में माहिर डॉ पटेल पर आर्थिक अनियमितताएं के भी आरोप लगे हैं।
-जबलपुर के काउंसलिंग अध्यक्ष को भी नोटिस
आयुष विभाग ने शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज जबलपुर के काउंसलिंग अध्यक्ष को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जबलपुर के काउंसिलिंग अध्यक्ष ने सर्विस कोटे की सीट को किसी और को एलॉट कर दिया। इसकी शिकायत होने पर नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए 7 दिन की मोहलत दी गई है। इसके अलावा उज्जैन स्थित शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर जेपी चौरसिया को भी आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करने के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
अयोग्य डटे हैं मुख्यालय के क्रीम पदों पर
आयुष संचालनालय भोपाल में डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर के पदों पर अयोग्य अधिकारियों का एक समूह पदस्थ है। यानि मेडिकल अफसरों को मैनेजमेंट कोटे से संचालनालय में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ है। जबकि इन सभी को कॉलेजों में अध्यापन का कार्य करना है। मसलन, संचालनालय के उपसंचालक पद पर पदस्थ डॉ राजीव मिश्रा इस पद की अहर्ता नहीं रखते हैं। इस पद पर प्रिंसिपल स्तर के डॉक्टर ही सदस्य किए जा सकते हैं। डॉ मिश्रा की नियुक्ति बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज में लेक्चरर के पद पर हुई थी। बुरहानपुर से उनका तबादला इंदौर आयुर्वेदिक कॉलेज हुआ और फिर वे मैनेजमेंट कोटे से आयुष संचालनालय में आकर उप संचालक पद पर कुंडली मारकर बैठ गए।
इसी प्रकार डॉक्टर हरिप्रसाद शर्मा खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज भोपाल में रीडर के पद पर हैं और उन्हें भी संचालनालय में उपसंचालक की कुर्सी दी गई है। इसके अलावा जूनियर मोस्ट मेडिकल ऑफिसर डॉ वंदना बोराना को सहायक संचालक के पद पर पदस्थ कर संचालनालय के अधिकांश महत्वपूर्ण कार्यों का प्रभार सौंपा गया है। इनका नाम छात्रों के प्रवेश घोटाले में से भी जुड़ा था किंतु एक कैबिनेट मंत्री के दबाव में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी प्रकार अल्प सेवा के अधिकारी डॉक्टर कीर्ति राठौर को कई अनुभवी अधिकारियों की अनदेखी करते हुए उन्हें ड्रग लाइसेंस का प्रभार दे दिया गया है। उन्हें यह प्रभार कैसे मिला, यह शोध का विषय है?