Ayodhya Ram Mandir Live | प्राण प्रतिष्ठा में 14 दिन शेष: जानिए राम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास
Ayodhya Ram Mandir Live | प्राण प्रतिष्ठा में 14 दिन शेष: प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा देशभर से लाखों विशेष अतिथि अयोध्या आ रहे हैं। कार्यक्रम के संपन्न होने के बाद आम श्रद्धालु भी भव्य एवं ऐतिहासिक राम मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।
Ayodhya Ram Mandir Live | प्राण प्रतिष्ठा में 14 दिन शेष: अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्धारित है। इस अवसर पर देश की नहीं अपितु पूरे विश्व की निगाहें हैं। रामलला की मूर्ति का चयन भी हो चुका है। मंदिर को अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात काम चल रहा है।
राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा। (Ayodhya Ram Mandir)
बाबरी मस्जिद का निर्माण – 1528 | Ayodhya Ram Mandir
मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।
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पहली बार कोर्ट पहुंचा मामला – 1885
साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।
रामलला की मूर्ति प्रकट हुई – 1949
असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।
पूजा के अधिकार के लिए मुकदमा – 1950
मूर्तियां रखने लिए मुकदमा: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।
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विवादित स्थल पर मुकदमा – 1961
यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।
वक्फ बोर्ड ने भी किया मुकदमा – 1981
यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कब्जे को लेकर मुकदमा दायर किया। विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।
हिंदुओं को पूजा करने की मिली अनुमति – 1986
1 फरवरी, 1986: स्थानीय अदालत ने स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया। यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।
6 दिसंबर 1992: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
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साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।
8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।
1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।
6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।
25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।
5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल।
मंदिर के बारे में पूरी जानकारी – Ayodhya Ram Mandir information
गर्भ गृह के बारे में – About the Sanctum Sanctorum
- 20 फीट लंबा, 20 फीट चौड़ा
- एक साथ 1000 श्रद्धालु खड़े हो सकेंगे गर्भगृह में
- गर्भगृह के पास का परकोटा तीन तरफ खुलेगा
- मंदिर में अंदर जाने के लिए दो गेट और होंगे
- मंदिर के आसपास का करीब 3 KM का एरिया रेड जोन कहलाएगा
- मंदिर से अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की दूरी 1.3 KM
- मंदिर से महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट की दूरी 10 KM
जाने अयोध्या विवाद का इतिहास – Know the history of Ayodhya dispute
- 491 साल पहले शुरू हुआ था विवाद
- 206 साल लगे इस विवाद में फैसला आने में
- 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
- 40 दिन तक सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हुई
- 2.77 एकड़ विवादित भूमि राम मंदिर के लिए दी गई
- 5 एकड़ जमीन अलग से मिलेगी मुस्लिम पक्ष को