राजस्थान-चित्तौड़गढ़ में एकलिंगनाथ के 77वें दीवान बने विश्वराज सिंह मेवाड़, अंगूठे पर तलवार से चीरा लगाकर किया राजतिलक

चित्तौड़गढ़.

महाराणा मेवाड़ के रूप में विश्वराज सिंह का सोमवार को राजतिलक हुआ। चित्तौड़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।  राजपरिवार की परंपरा को निभाते हुए पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र का राजतिलक किया गया। गद्दी पर बैठने के बाद तलवार से अंगूठे पर चीरा लगाकर विश्वराज सिंह का तिलक किया गया।

राजतिलक से पहले विश्वराज सिंह ने सुबह से चल रहे हवन में आहुति दी। बाद में कुम्भा महल में भगवान गणपति की पूजा की और यहां गद्दी पर बैठने के बाद उनका रक्त से तिलक किया गया। राजतिलक के साथ ही पूरा परिसर जयकारों से गूंज उठा और तोप चलाकर सलामी दी गई। जानकारी के अनुसार उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्रसिंह मेवाड़ के निधन के बाद आज उनके पुत्र विश्वराज सिंह मेवाड़ गद्दी पर बिराजित हुए। दस्तूर कार्यक्रम चित्तौड़ दुर्ग के फतह प्रकाश महल में हुआ। इसमें देश भर के पूर्व राजघरानों के सदस्य, रिश्तेदार और गणमान्य नागरिक शामिल हुए। राजगद्दी की पूजा के बाद सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने हाथ पकड़कर विश्वराज सिंह मेवाड़ को राजगद्दी पर बिठाया। साथ ही राजतिलक की परंपरा निभाई। यहां म्यान से तलवार निकाली और अंगूठे पर चीरा लगाकर रक्त से विश्वराज सिंह मेवाड़ के ललाट पर तिलक किया। इस दौरान पंडितों की ओर से वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता रहा। राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सबसे अभिवादन किया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद महाराणा विश्वराज सिंह ने कुलदेवी बाण माता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और उसके बाद उदयपुर के लिए रवाना हो गए।

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