Premananda Maharaj बोले – हम जो भी श्राद्ध और तर्पण करते हैं, उससे पितरों का पोषण होता है
Premananda Maharaj: हमारे पितृ संतुष्ट नहीं है तो आप घर या मंदिर में भजन और कीर्तन से उन्हें संतुष्ट कर सकते हैं इसके साथ ही श्राद्ध और तर्पण जो हम करते हैं उससे पितरों का पोषण होता है, यह बात देश के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने कही है।
Premananda Maharaj: उज्जवल प्रदेश डेस्क. देश के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज। राधा रानी को वे अपना इष्ट मानते हैं। इसके साथ ही महाराज जी अपने सत्संग के माध्यम से हजारों लोगों को सही दिशा दिखाकर उनका मार्गदर्शन करते हैं। बता दें कि महाराज प्रेमानंद जी के दर्शन करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर से भक्त देश-विदेश से वृंदावन पहुंच रहे हैं और उनका बहुत सम्मान भी करते हैं। वहीं भक्तजन उनसे प्रश्न करते हैं। प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त पूछ रहा है कि पितृ दोष और पितृ ऋण से मुक्ति के कौन सा उपाय हैं, जिस पर महाराज जी उत्तर दे रहे हैं, कि जो हम श्राद्ध और तर्पण करते हैं। उससे पितरों का पोषण होता है। इसका मतलब जो जल या पिंड हम उनके निमित्त निकालते हैं, वो वस्तु उनको प्राप्त होती है। जिससे वह प्रसन्न होते हैं।
जीवन में सुख- समृद्धि का वास सदा बना रहता है
साथ ही प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि जब हम भजन करते हैं नाम जप करते हैं, तो भी पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी उन्नति होती है, जिससे वह कृपा बनाएं रखते हैं। वहीं महाराज जी ने कहा कि जब आप धर्मानुष्ठान कराते हैं, जैसे- भागवत, गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करवा दिया या भजन संध्या करवा दी, इन सबसे भी पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बनाएं रखते हैं। साथ ही ऐसे लोगों के जीवन में सुख- समृद्धि का वास सदा बना रहता है। साथ ही पितृ दोष और पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
ज्यादा पूजा- पाठ के बाद भी लोग क्यों दुखी रहते हैं ?
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त नू पूछा कि ज्यादा पूजा- पाठ के बाद भी लोग क्यों दुखी रहते ही जिस पर महाराज जी उत्तर दे रहे हैं कि हमेशा जो लोग पूजा- पाठ करते हैं, उनके जीवन में बहुत सारे भौतिक सुख और धन-धान्य आ जाएंगे, जिससे आपका मार्ग रुक जाएगा या फिर इतनी कठिनाइयां आ जाएंगी, जिससे आपका पूजा- पाठ छूट जाएगा।