Randeep Hooda ने वीर सावरकर को उनकी पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि
Randeep Hooda: महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि के अवसर पर बॉलीवुड अभिनेता-निर्देशक रणदीप हुड्डा ने एक्स पर ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

Randeep Hooda: उज्जवल प्रदेश, मुंबई. बॉलीवुड अभिनेता-निर्देशक रणदीप हुड्डा ने महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और समाज सुधारक विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रणदीप ने एक भावपूर्ण पोस्ट साझा कर वीर सावरकर की अमर विरासत को याद किया। रणदीप ने 22 मार्च 2024 को रिलीज़ हुई अपनी फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर से निर्देशन की दुनिया में कदम रखा, जिसमें उन्होंने वीर सावरकर की भूमिका निभाई थी।
यहां से देखें पोस्ट..
On his death anniversary, we remember Veer Savarkar, a pioneering figure in India’s struggle for independence. His work, The History of the First War of Indian Independence, redefined the 1857 uprising as a nationwide fight for freedom, inspiring generations of revolutionaries.… pic.twitter.com/pNNDagsqZP
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) February 26, 2025
यह फिल्म वीर सावरकर के जीवन और संघर्षों को दर्शाती है और रणदीप के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट रही, क्योंकि उन्होंने इसमें अभिनय के साथ-साथ निर्देशन, सह-लेखन और सह-निर्माण भी किया। उनकी श्रद्धांजलि पोस्ट में सावरकर के क्रांतिकारी योगदान और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके प्रभाव को रेखांकित किया गया। रणदीप हुड्डा ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान वीर सावरकर के साथ अपनी गहरी भावनात्मक जुड़ाव को साझा करते हुए लिखा, आज उनकी पुण्यतिथि पर हम वीर सावरकर को याद करते हैं, जो भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में एक अग्रणी व्यक्तित्व थे।
उनकी पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ द फर्स्ट वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ ने 1857 के विद्रोह को भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में परिभाषित किया, जिससे अनगिनत क्रांतिकारियों को प्रेरणा मिली।एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में, मुझे उनके जीवन को पर्दे पर उतारने का सौभाग्य मिला, जिससे उनकी प्रतिबद्धता को करीब से देखने का अवसर मिला। 50 साल की काला पानी की सजा भुगतने के बावजूद, सावरकर अपने विश्वास पर अडिग रहे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता का मार्ग है। हालांकि उनके योगदान को अक्सर अनदेखा किया जाता है या गलत समझा जाता है, लेकिन उनका आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय गौरव और मजबूत रक्षा का दृष्टिकोण भारत को आज एक वैश्विक शक्ति बनाने की नींव बना। सावरकर की विरासत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।