Desh News: ‘EXAMS’ और ‘REBUKES’ पड़ रही भारी, अब हैदराबाद में 12वीं के STUDENT ने किया SUICIDE
Desh News: बच्चों के दिमाग में पढ़ाई और परीक्षा का दबाव और दूसरे बच्चों से तुलना का तनाव इतना ज्यादा बढ़ जा रहा है या कहें कि इतना भारी पड़ रहा है कि वे अपनी जान तक ले ले रहे हैं।

Desh News: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. पिछले कुछ सालों से लगातार बच्चों के सुसाइड की घटना देखने को मिल रही है। अब सवाल ये है कि बच्चे किस कारण से मेंटल स्ट्रेस से जूझ रहे हैं? बच्चों के दिमाग में पढ़ाई और परीक्षा (EXAMS) का दबाव और दूसरे बच्चों से तुलना (REBUKES) का तनाव इतना ज्यादा बढ़ जा रहा है या कहें कि इतना भारी (Proving Costly) पड़ रहा है कि वे अपनी जान तक ले ले रहे हैं।
अब हैदराबाद (Hyderabad) के चंदन नगर से एक छात्र की खुदकुशी की खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार, चंदन नगर निवासी एस दीक्षित राजू (17) मियापुर के एक निजी कॉलेज में इंटरमीडिएट (12th) के दूसरे वर्ष में पढ़ रहा (STUDENT) था। इस महीने की 5 तारीख से शुरू होने वाली इंटरमीडिएट परीक्षाओं के कारण, वह कथित तौर पर भारी दबाव में था। ऐसे में जब घर पर कोई नहीं था तो उन्होंने पंखे से लटककर आत्महत्या (SUICIDE) कर ली।
28 फरवरी से शुरू हो चुकी है परीक्षा
आपको बता दें कि तेलंगाना राज्य इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड (टीएसबीआईई) की 11वीं और 12वीं की परीक्षा 28 फरवरी 2024 से आयोजित की जा रही है। टीएसबीआईई प्रथम वर्ष यानी 11वीं की परीक्षाएं 28 फरवरी से शुरू हो चुकी है और दूसरे वर्ष यानी 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 29 फरवरी 2024 को शुरू हो चुकी है।
बच्चों के तनाव पर क्या कहती हैं मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक बिंदा सिंह के अनुसार, आज कल कंपटीशन के दौर में हर बच्चे की समय पर काउंसलिंग जरूरी है। इसके साथ ही पेरेंट्स को बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखनी चाहिए। बच्चे पढ़ाई के स्ट्रेस से पेरेंट्स और दोस्तों से कई बार दूर होने लगते हैं। पढ़ाई में फेल होनी की सोच कर बच्चे परेशान रहते हैं, उन्हें लगता है कि अगर उनका रिजल्ट अच्छा नहीं हुआ तो क्या होगा? ऐसे में पढ़ाई के प्रेशर की वजह से बच्चे डिप्रेशन में जाने लगते हैं।
पेरेंट्स न करें बच्चों की तुलना
वहीं, बच्चे कई बार अपने दोस्तों को देखकर ये सोचते हैं कि मैं अपने दोस्तों से पढ़ाई में कम हूं, ऐसे में उनके दिमाग में स्ट्रेस बढ़ता जाता है। साथ-साथ बार-बार घर वालों का ये कहना कि तुम ये कर सकते हो, उनके बचपन की बातें याद दिलाने लगते हैं कि तुमने आजतक स्कूल में हर वक्त टॉप किया है। पेरेंट्स ये बात समझ नहीं पाते कि वहां कंपटीशन कितना ज्यादा है और यहीं से बच्चों का फ्रस्ट्रेशन लेवल शुरू हो जाता है। इसलिए वहां पढ़ रहे बच्चों की नियमित काउंसलिंग करनी चाहिए। अगर आपके घर या आस-पास कोई बच्चा डिप्रेशन/चिंता/तनाव/घबराहट महसूस कर रहा है तो उसकी काउंसलिंग या इलाज तुरंत करवाएं।