Astrology Tips: हवन में सूर्य के लिए मदार, चंद्र के लिए पलाश की लकड़ी का करें प्रयोग
Astrology Tips: घर या मंदिर में पूजा के दौरान यज्ञ करने करने पर ज्योतिष के अनुसार बताये गए लकड़ियों का प्रयोग करें तो उसका फल कुछ ही समय में मिलना शुरू हो जाता है।
Astrology Tips: घर या मंदिर में पूजा के दौरान यज्ञ करने करने पर ज्योतिष के अनुसार बताये गए लकड़ियों का प्रयोग करें तो उसका फल कुछ ही समय में मिलना शुरू हो जाता है। हालांकि लगभग 70 प्रतिशत लोगों को यह नहीं मालूम होता कि किस पूजा में कौन सी लकड़ी यज्ञ में डालनी चाहिए।
मदार रोग का नाश करती
हवन करते समय आमतौर पर समिधा की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। खासकर आम की लकड़ी सर्वमान्य है, लेकिन अन्य समिधाएं भी कई कामों के लिए इस्तेमाल होती हैं। सूर्य की समिधा मदार की होनी चाहिए। मदार रोग का नाश करती है। चंद्रमा की समिधा पलाश की होने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
प्रत्येक ग्रह के अनुसार अलग-अलग समिधा
यदि आपको नवग्रहों की शांति के लिए हवन करना है या कर रहे हैं, तो प्रत्येक ग्रह के अनुसार अलग-अलग समिधा का उपयोग किया जाता है। जैसे कि, सूर्य के लिए मदार का प्रयोग एवं चंद्र के लिए पलाश, मंगल के लिए खेर, बुध के लिए चिड़चिड़ा, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी और राहु के लिए दूर्वा और केतु के लिए कुशा की समिधा हवन में प्रयुक्त की जाती है।
पीपल की समिधा संतान, वंश बढ़ाने के लिए
मदान की समिधा रोगों नाश करती है जबकि पलाश की समिधा सभी कार्यों में उन्नति का लाभ देती है। पीपल की समिधा संतान, वंश वृद्धि, गूलर की स्वर्ण प्रदान करने वाली, शमी की पाप नाश करने वाली, दूर्वा की समिधा दीर्घायु प्रदान करती है।अगर आपको अपने सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यज्ञ करना है, तो उसके लिये भी कुशा की समिधा का प्रयोग करना चाहिए।
अन्य समस्त देवताओंको प्रसन्न करने के लिए आम, पलाश, अशोक, चंदन आदि वृक्ष की समिधा हवन में डाली जाती है। इसी प्रकार,अगर आप किसी प्रकार का लाभ पाना चाहते हैं, तो आपके लिए ये जानना आवश्यक है कि उसके लिए भी अलग-अलग समिधा (हवन में प्रयुक्त होने वाली लकड़ी) इस्तेमाल होती है।
कभी ना करें इन लकड़ियों का चुनाव
यज्ञ के दौरान कभी ना करें इन लकड़ियों का चुनाव। हर मौसम में हर प्रकार की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसलिए, ऋतुओं के हिसाब से भी हवन के लिए लकडियाँ बताई गयी हैं। जिस प्रकार वसंत ऋतु में शमी, गर्मी के मौसम में पीपल, वर्षा में ढाक या बिल्व, शरद में आम या पाकर, हेमंत में खेर, शिशिर में गूलर या बड़ की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
हम इस बात का भी ध्यान रखें कि हवन में उपयोग की जाने वाली सामग्री या लकड़ी सड़ी-गली, घुन, कीड़े लगी हुई या भीगी हुई नहीं होना चाहिए। श्मशान में लगे वृक्ष या जिस पेड़ की डाल पर परिंदों का घोसला हो, उसे काटकर हवन में प्रयुक्त नहीं करना चाहिए। जंगल और नदी के किनारे लगे वृक्षों की लकड़ियाँ हवन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं।
हवन के लिए पीपल की लकड़ी भी शुभ है
हवन के लिए भी पीपल की लकड़ी शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि पीपल की लकड़ी से हवन करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो सकती है और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा अगर आप पीपल की लकड़ी से हवन करने के दौरान अपनी उम्र की गिनती जितनी पीली सरसों से आहुति देनी चाहिए।
नोट: हम इन बातों की मान्यता नहीं देते। ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ से संपर्क कर इसे अमल करें।