Astrology Tips: पीपल, बरगद, नीम ,अशोक और साल सखुआ देव समान, इन पेड़ों की न करें अनदेखी

Astrology Tips: पीपल बरगद नीम अशोक साल सखुआ देव के समान बताये गए हैं। ये ऐसे पेड़ हैं , जिन्हें हम देव के रूप में पूजते हैं। ये ऐसे वृक्ष हैं जो हमें शुद्ध आक्सीजन प्रदान करते हैं।

Astrology Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. पीपल बरगद नीम अशोक साल सखुआ देव के समान बताये गए हैं। ये ऐसे पेड़ हैं , जिन्हें हम देव के रूप में पूजते हैं। ये ऐसे वृक्ष हैं जो हमें शुद्ध आक्सीजन प्रदान करते हैं। इस बात का हम विशेष ध्यान रखें कि इन पेड़ों के नीचे मल मूत्र न त्यागें।

इन पेड़ों में पीपल बरगद नीम अशोक साल सखुआ इत्यादि। हालांकि पेड़ कोई भी हो वे सभी देव रूप हैं, क्योंकि ये हमें आक्सीजन देते हैं। ये धार्मिक मान्यताओं के कारण पूजनीय होते हैं अतः इनके नीचे या इनके आसपास गंदगी फैलाना वर्जित होता है।

पेड़ों के नीचे न सोयें

कोई पेड़ हो वह हमें आक्सीजन देता है, लेकिन रात में वह इसका ठीक उल्टा कार्बनडाइआक्साइड देता है। एक बात स्पष्ट है कि धरती पर जीवन की कल्पना बिना पेड़-पौधों के नहीं कर सकते हैं। पेड़ न सिर्फ हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि प्रदूषण और शोर से भी हमें बचाते हैं। गर्मी के ऋतु में तेज चिलचिलाती धूप में चलते हुए पेड़ की छांव मिल जाए तो कोई भी एक पल के लिए बैठ जाता है। बहुत से लोग पेड़ के नीचे सो भी जाते हैं।

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं

बता दें कि गांव में दिन के समय पेड़ के नीचे बैठकर आदमी लंबी लंबी चर्चाएं करते हैं। पेड़ के नीचे ये चर्चाएं ऐसे होती हैं, जैसे गोलमेज सम्मेलन हो रहा हो। वहीं आमजन हो या विज्ञान रात के समय पेड़ के नीचे न बैठने की हिदायत देते हैं। यह बात सभी जानते हैं कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन हमें पेड़ों से ही मिलती है तथा पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं।

हर प्राणी ऑक्सीजन को ग्रहण करता है

पेड़ों से निकलने वाली आक्सीजन को दिन के समय ऑक्सीजन निकालने और कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की प्रक्रिया चलती रहती है, लेकिन रात के समय अधिकतर पेड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड निकाला जाता है और ऑक्सीजन को ग्रहण किया जाता है। यही कारण है कि रात के समय पेड़ के नीचे न सोने की हिदायत दी जाती है।

पेड़ भी लेते हैं सांस

जिस तरह हम सांस लेते हैं ठीक उसी तरह पौधे भी सांस लेते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हम आक्सीजन लेते हैं इसका उलट वे कार्बनडाइआक्साइड लेते हैं। पेड़ सांस लेने के लिए अपनी पत्तियों में मौजूद बहुत ही छोटे छेदों का प्रयोग करते हैं। क्योंकि पेड़ों के पास सांस लेने के लिए इंसान की तरह कोई श्वसन अंग नहीं पाया जाता है। पेड़ों में पाए जाने वाले इन छेदों को स्टोमेटा कहते हैं। पेड़ सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन बनाते हैं।

सूरज की रोशनी ये बनाते हैं भोजन

इस प्रक्रिया में पेड़-पौधे सूर्य की रोशनी से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर और जड़ों के द्वारा पत्तों तक भेजे गए पानी को ग्लूकोज और ऑक्सीजन में बदल देते हैं। यही ऑक्सीजन पेड़ों द्वारा वातावरण में निकाल दिया जाता है और ग्लूकोज का प्रयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है। इस तरह पेड़ों में लगातार सांस लेने की प्रिक्रिया चलती रहती है।

नोट: हम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं करते, अमल करने से पहले विषय विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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