Astrology Tips: यह दो मालाएं नहीं करना चाहिए एक साथ धारण, वरना आ सकती है कई परेशानियां

Astrology Tips: तुलसी की माला व रुदाक्ष एकसाथ कभी भी धारण नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं।

Astrology Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. तुलसी की माला व रुदाक्ष एकसाथ कभी भी धारण नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है और तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र का जाप विशेष फलदाई माना गया है। वहीं रुद्राक्ष भगवान शिव का रूप है। इसलिये इन दोनों को एक साथ कभी भी धारण नहीं करनी चाहि।

सकारात्मक विचारों का संचार बढ़ जाता है

वास्तु के अनुसार अगर जातक तुलसी की माला धारण करता है तो उसके कई लाभ हैं। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी रहती हैं। और तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र का जाप विशेष फलदाई माना गया है। यदि तुलसी की माला को गले में धारण किया जाए तो मन और आत्मा दोनों पवित्र हो जाते हैं। इसके अलावा मन में सकारात्मक विचारों का संचार बढ़ जाता है।

नियम पूर्वक करें माला धारण, वरना होंगे गलत परिणाम

माला धारण करने के कुछ नियम हैं उसे हल्के में न लें। अक्सर आपने देखा होगा हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति के घर में दो तरह की तुलसी पाई जाती हैं। एक रामा तुलसी और एक श्यामा तुलसी। ये तुलसी अलग-अलग तरह के प्रभाव डालती हैं।

तामसिक भोजन से भी परहेज

तुलसी की माला धारण करने के कई सख्त नियम हैं। जैसे जो व्यक्ति तुलसी की माला धारण करता है उसे हमेशा सात्विक भोजन करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही तामसिक भोजन से भी परहेज करना चाहिए।

गंगाजल से धोकर ही पहनें

ज्योतिष की मानें तो यदि आप गले में तुलसी की माला धारण नहीं कर सकते, तो इसे दाएं हाथ में भी धारण किया जा सकता है। परंतु नित्य क्रिया के समय इस माला को उतार कर रख दें। स्नान करने के बाद इसे दोबारा गंगाजल से धोकर ही पहने।

सौभाग्य और समृद्धि आती है

तुलसी दो प्रकार की होती हैं- श्यामा तुलसी और रामा तुलसी। श्यामा तुलसी के बीजों की माला पहनने से मानसिक शांति और मन में सकारात्मकता आती है। इससे आध्यात्मिक के साथ-साथ पारिवारिक और भौतिक उन्नति भी होती है, जबकि रामा तुलसी की माला आत्मविश्वास बढ़ाती है और सात्विक भावनाओं को जागृत करती है।

Deepak Vishwakarma

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