Business News: 10 राज्यों में कर्जों और कर्जदाताओं की चूक बढ़ी

Business News: विभिन्न संस्थाओं द्वारा एक ही उधारकर्ता को कई बार ऋण देना और लाभ बढ़ाने के उद्देश्य से अत्यधिक ब्याज दरें वसूलना शामिल है। पिछले कुछ महीनों में संग्रह दक्षता में गिरावट भी देखी गई है।

Business News: उज्जवल प्रदेश, मुंबई. सूक्ष्म कर्ज उद्योग इन दिनों तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है जिसके लिए नियामक ने खराब तौर-तरीकों को दोषी ठहराया है। इनमें विभिन्न संस्थाओं द्वारा एक ही उधारकर्ता को कई बार ऋण देना और लाभ बढ़ाने के उद्देश्य से अत्यधिक ब्याज दरें वसूलना शामिल है। पिछले कुछ महीनों में संग्रह दक्षता में गिरावट भी देखी गई है।

रिपोर्ट कहती है कि खासतौर पर शीर्ष 10 राज्यों में तमाम तरह के कर्जों और कर्जदाताओं के बीच चूक बढ़ी है। वृद्धिशील फंसे कर्जों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में है। इस बीच, सूक्ष्म ऋण उद्योग ने सुधारात्मक कदम उठाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे कुल बकाया राशि में गिरावट आई है।

क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ‘क्रिफ हाई मार्क’ का कहना है कि एक से 30 दिन तक बकाया रहा कर्ज जून तिमाही के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर तिमाही में 2.1 प्रतिशत हो गया। बिगड़ती परिसंपत्ति गुणवत्ता के बीच ऋणदाताओं के सतर्क रुख अपनाने से चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में सूक्ष्म ऋण बकाया 4.3 प्रतिशत घटकर 4.14 लाख करोड़ रुपये रह गया। क्रिफ हाई मार्क की जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 31-180 दिनों तक का बकाया कर्ज जून तिमाही के 2.7 प्रतिशत के मुकाबले 4.3 प्रतिशत हो गया।

क्रेडिट सूचना कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर तिमाही में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का ऋण पोर्टफोलियो तिमाही आधार पर 0.7 प्रतिशत बढ़ा है जबकि बैंकों एवं लघु वित्त बैंकों सहित अन्य सभी खंडों में गिरावट देखी गई। हालांकि, सितंबर तिमाही में तीन या अधिक सक्रिय ऋण वाले उधारकर्ताओं की संख्या में कमी आना एक सकारात्मक पहलू है। सितंबर, 2024 तक 14.3 प्रतिशत सक्रिय सूक्ष्म-वित्त उधारकर्ताओं के पास सक्रिय खुदरा ऋण थे। इनमें से 37 प्रतिशत उधारकर्ता ऐसे थे जिन्होंने 30 दिन से अधिक समय से खुदरा या सूक्ष्म-वित्त ऋण का भुगतान नहीं किया है।

Deepak Vishwakarma

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