Excise Duty Petrol Diesel: जाने एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन क्या होता है…
एक्साइज ड्यूटी (excise duty petrol diesel) को एक्साइज टैक्स के नाम से भी जाना जाता है। ये एक तरह का अप्रत्यक्ष टैक्स होता है जो किसी वस्तु के उत्पादन पर वसूला जाता है। बता दें कि किसी वस्तु का निर्माता या मैन्यूफैक्चरर अपने उत्पाद पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर ग्राहकों से वसूलता है।
excise duty fuel: मैन्यूफैक्चरर, अपने उत्पाद पर लगाई जाने वाली एक्साइज ड्यूटी, उस वस्तु पर लगाए जाने वाले बाकी टैक्स के साथ जोड़कर वसूलता है। जिसके बाद वह अपने उत्पाद पर ग्राहकों से वसूल की गई एक्साइज ड्यूटी की रकम को सरकार के पास जमा कर देता है। जिससे सरकार रोजाना करोड़ों रुपये का रेवेन्यू जनरेट करती है।
भारत में कब लागू हुआ था एक्साइज ड्यूटी का नियम | excise duty reduction on petrol diesel
भारत में आजादी से पहले ही 26 जनवरी, 1944 को एक्साइज ड्यूटी का नियम लागू कर दिया गया था। एक्साइज ड्यूटी या एक्साइज टैक्स एक ऐसा टैक्स है, जो सिर्फ किसी उत्पाद की बिक्री पर लगाया जाता है। इसके अलावा बिक्री के लिए तैयार किए गए उत्पाद पर भी एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है। What is the excise duty on petrol diesel in India? एक्साइज ड्यूटी को अब सेंट्रल वैल्यू ऐडेड टैक्स (CENVAT) भी कहा जाता है। किसी भी उत्पाद पर एक्साइज ड्यूटी लगाने का मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा राजस्व इकट्ठा करना है, ताकि देश के विकास में उसका इस्तेमाल किया जा सके।
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पेट्रोल-डीजल पर अभी कितनी है एक्साइज ड्यूटी | excise duty on petrol and diesel at present time
पेट्रोल पर कुल एक्साइज ड्यूटी फिलहाल 27।90 रुपये प्रति लीटर है और डीजल पर 21।80 रुपये है। राज्यों को केवल बेसिक एक्साइज ड्यूटी से हिस्सा जारी किया जाता है। टैक्सेशन के कुल मामलों में से पेट्रोल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी 1।40 रुपये प्रति लीटर है। इसके अलावा, स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी 11 रुपये और रोड व इंफ्रा सेस 13 रुपये प्रति लीटर लगाया जाता है। इसके ऊपर 2।50 रुपये का एग्री इंफ्रा व डेवलपमेंट सेस लगाया जाता है।
इसी तरह डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी 1।80 रुपये प्रति लीटर है। 8 रुपये प्रति लीटरस्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और सड़क व इंफ्रास्ट्रक्चर सरचार्ज के रूप में लिया जाता है, जबकि 4 रुपये प्रति लीटर एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सरचार्ज भी लगाया जाता है।
चौधरी ने बताया कि राज्य सरकारों को दिया जाने वाला हिस्सा, बेसिक एक्साइज ड्यूटी कम्पोनेट से वित्त आयोग की ओर से समय-समय पर निर्धारित फॉमूले के आधार पर तय किया जाता है। बता दें, पेट्रोल और डीजल फिलहाल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में नहीं है। राज्य, केंद्र द्वारा लगाई गई एक्साइज ड्यूटी के आगे VAT (वैल्यू एडेड टैक्स) लगाते हैं।
राजस्थान में पेट्रोल पर सबसे अधिक टैक्स वैट | excise duty petrol diesel rajasthan
राजस्थान में पेट्रोल पर सबसे अधिक 30।51 रुपये प्रति लीटर का वैट लागू है। मध्य प्रदेश (excise duty mp) (26।87 रुपये) का नंबर आता है। महाराष्ट्र (maharashtra excise duty on petrol) में 29।99 रुपये, आंध्र प्रदेश (29।02 रुपये) और अंडमान और निकोबार (andaman excise duty on petrol) में सबसे कम 4।93 रुपये प्रति लीटर का वैट लगता है। इसी तरह डीजल की मूल कीमत चेन्नई (What is the tax on petrol in Chennai?) में 52।13 रुपये प्रति लीटर से लेकर लद्दाख में 59।57 रुपये प्रति लीटर तक है। इसके ऊपर केंद्र सरकार 21।80 रुपये का उत्पाद शुल्क लेती है। सबसे अधिक वैट 21।19 रुपये प्रति लीटर आंध्र प्रदेश में लागू है। उसके बाद राजस्थान में 21।14 रुपये और महाराष्ट्र में 20।21 रुपये प्रति लीटर का वैट लगाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सबसे कम 4।40 रुपये प्रति लीटर और अंडमान और निकोबार 4।58 रुपये वैट लेता है। पेट्रोल पंप डीलरों को पेट्रोल पर 3।85 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 2।58 रुपये प्रति लीटर का कमीशन दिया जाता है।
क्या है वैट का मसला? | VAT (Value Added Tax )
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के अधीन नहीं आते हैं, इसलिए इस पर केंद्र सरकार की ओर से उत्पाद शुल्क और राज्य सरकार की ओर से वैट आदि लगाए जाते हैं। पेट्रोल और डीजल दोनों जीएसटी के दायरे में नहीं आते। इसलिए इस पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कर लगाए जाते हैं। केंद्र सरकार इन पर उत्पाद शुल्क या एक्साइज लगाती है, जबकि राज्य सरकार वैट लगाती है। ऐसे में जबह आप राज्य सरकार अपने हक का वैट कम कर देती है तो फ्यूल के रेट में कमी आ जाती है और ऐसा ही पंजाब के केस में हुआ है।
वैसे अभी तक 25 राज्यों ने वैट आदि कम कर लोगों को राहत दी है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आई है। इसलिए राज्य सरकार भी पेट्रोल की कीमत निर्धारण में अहम योगदान देती है। वैट राज्य सरकार की ओर टैक्स वसूला जाता है और इसे कम करने या बढ़ाने का निर्णय राज्य सरकार ही करती है। इसी वजह से हर राज्य में फ्यूल के रेट अलग अलग होते हैं। लेकिन, इन राज्यों में भी निगम टैक्स की वजह हर जिले में रेट अलगअलग हो जाते हैं। जानते हैं एक राज्य में भी अलग अलग टैक्स होने का क्या मामला है?
एक राज्य में क्यों होते हैं अलग अलग रेट? | Why are there different rates in one state?
हर शहर में अलग-अलग पेट्रोल प्राइज होने की वजह टैक्स ही होती है। दरअसल, हर शहर के हिसाब से नगर निगम, नगर पालिकाओं के भी टैक्स होते हैं। हर शहर के हिसाब से अलग अलग होते हैं, जिन्हें लोकल बॉडी टैक्स भी कहा जाता है। बता दें कि हर नगर निगम के आधार पर अलग अलग टैक्स भी लगाए जाते हैं। जैसे मुंबई में कल्याण, ठाणे में भी नगर निगम की वजह से टैक्स अलग अलग होते हैं, इस वजह से वहां रेट अलग अलग होती है। इसके अलावा कई बार ट्रांसपोर्ट की वजह से भी टैक्स अलग अलग हो जाता है, जैसे कई जगह ऐसी हैं, जहां रिफाइनरी से तेल पहुंचने में काफी मुश्किल होती है। ऐसे में वहां पेट्रोल की कीमत ज्यादा हो सकती है।