भारतीय छात्रों पर खतरा! Trump प्रशासन की नई लिस्ट से बढ़ी चिंता, सरकार ने मांगी छात्रों की डिटेल्स
Trump : डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कॉलेजों में प्रदर्शन करने वाले छात्रों की लिस्ट बनाने का आदेश दिया है। इस सूची में छात्रों के नाम, जातीयता और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी जा रही है, जिससे भारतीय छात्रों के लिए खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका में 3.3 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अगर यह नीति लागू होती है, तो डिपोर्टेशन का खतरा बढ़ सकता है। जानिए, इस फैसले का भारतीय छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और वे इससे कैसे बच सकते हैं।

Trump : उज्जवल प्रदेश डेस्क. अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए बुरी खबर है। ट्रंप प्रशासन ने उन छात्रों की जानकारी जुटाने का आदेश दिया है, जो विश्वविद्यालयों में किसी भी तरह के एंटी-सेमिटिक (यहूदी विरोधी) प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। इस कदम से भारतीय छात्रों के लिए डिपोर्टेशन का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भारत से आते हैं। ऐसे में यह फैसला उनके लिए चिंता का विषय बन सकता है। क्या यह नीति भारतीय छात्रों के भविष्य पर असर डालेगी? आइए जानते हैं पूरी खबर।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए उन छात्रों की जानकारी मांगनी शुरू कर दी है, जो विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं। इस फैसले से भारतीय छात्रों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है और उनके डिपोर्ट होने का खतरा मंडरा सकता है।
क्या है मामला?
अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोधी प्रदर्शनों की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन ने इन प्रदर्शनकारियों की लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए। प्रशासन ने विश्वविद्यालयों से ऐसे छात्रों के नाम, राष्ट्रीयता और अन्य व्यक्तिगत जानकारी मांगी है। यह कदम उन छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए उठाया गया है, जिन पर यहूदी छात्रों के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप लगा है।
भारतीय छात्रों के लिए चिंता क्यों?
भारतीय छात्र अमेरिका में सबसे अधिक संख्या में पढ़ते हैं। वर्ष 2023-2024 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 3,31,602 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अगर ट्रंप प्रशासन की यह नीति पूरी तरह लागू होती है, तो प्रदर्शन करने वाले भारतीय छात्रों के डिपोर्ट होने का खतरा बढ़ सकता है। यह स्थिति भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय से शुरू हुआ मामला
यह मामला सबसे पहले कोलंबिया विश्वविद्यालय से शुरू हुआ, जहां छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय यहूदी छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे रहा है। इसके बाद, विश्वविद्यालय को $400 मिलियन की फंडिंग रोकने की चेतावनी दी गई। इसके चलते कोलंबिया विश्वविद्यालय ने अपनी नीतियों में बदलाव किए और प्रदर्शनकारियों की जानकारी जुटाने का आदेश दिया।
ट्रंप प्रशासन की रणनीति
ट्रंप प्रशासन अब उन विदेशी छात्रों पर विशेष ध्यान दे रहा है, जो किसी भी तरह के प्रदर्शन में शामिल होते हैं। अगर यह नीति लागू होती है, तो भविष्य में भारतीय छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई जारी रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदर्शन करने वाले छात्रों की लिस्ट तैयार होने के बाद, उन्हें कानूनी रूप से अमेरिका से बाहर निकालने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।
छात्रों के लिए क्या हो सकता है समाधान?
भारतीय छात्रों को इस मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। यदि वे किसी भी प्रदर्शन में शामिल होते हैं, तो उन्हें इसके संभावित परिणामों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, छात्रों को अपने विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क में रहना चाहिए और कानूनी सहायता लेनी चाहिए। भारतीय छात्रों को अमेरिका में अपने अधिकारों के बारे में भी जागरूक रहना होगा, ताकि वे किसी भी संभावित कानूनी परेशानी से बच सकें।
छात्रों को किया जा सकता है डिपोर्ट
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला भारतीय छात्रों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकता है। अगर यह नीति लागू होती है, तो प्रदर्शनकारी छात्रों को डिपोर्ट किया जा सकता है। ऐसे में भारतीय छात्रों को सतर्क रहने और अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है।