युगदृष्टा अटल

Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary : देश आज भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती मना रहा है। आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो में केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास कर रहे हैं। नदियों को आपस में जोड़ना वाजपेयी जी का सपना था।

Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary : देश आज भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती मना रहा है। आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो में केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास कर रहे हैं। नदियों को आपस में जोड़ना वाजपेयी जी का सपना था। इसके पीछे उद्देश्य था नदियों में आने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसान को बचाना और सिंचाई साधनों को बढ़ाना। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका यह सपना साकार करने जा रहे हैं। इस परियोजना की पूर्णता मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की समस्या को खत्म करने में सहायक होगी।

अटल जी देश के विकास को लेकर कितनी दूरदर्शी सोच रखते थे, इसका अक्स उनकी स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में देखी जा सकती है। यह संयोग है कि वाजपेयी जी की 100वीं जयंती के अवसर पर ही इस प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के भी 24 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। इस योजना से देश के अंदरूनी क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ गया। गांवों से आवागमन सुलभ हुआ तो ग्रामीण तरक्की के नए द्वार भी खुले।

अटल जी ने देश के आर्थिक, सामाजिक और सामरिक सभी क्षेत्रों में नवाचार किए। उन्होंने राजनीति की उन ओछी नीतियों को अपनाया जिसमें नई सरकारें पिछले सरकारों के काम को अधूरा छोड़ देती हैं। दूरसंचार के क्षेत्र में वाजपेयी ने जो किया वह इसका उदाहरण है। भारत में संचार क्रांति का श्रेय कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया जाता है। लेकिन इसको असल में जामा पहनाने का काम वाजपेयी जी के कार्यकाल में हुआ। वाजपेयी जी के कार्यकाल में संचार क्रांति आम आदमी के बीच पहुंची। देश में पहले भारत संचार निगम लिमिटेड का एकाधिकार हुआ करता था। साल 1999 में वाजपेयी सरकार ने इसे खत्म करते हुए नई नीति घोषित की। इससे लोगों मोबाइल फोन पर सस्ती कॉल करना संभव हुआ।

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बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अभियान भी वाजपेयी सरकार के दौरान ही शुरू किया गया। इससे ड्रापआउट में खासी कमी आई। सबसे खास बात यह है कि इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए लिखा गया नारा ‘स्कूल चले हम’ खुद वाजपेयी जी ने लिखा था। देश की सामारिक ताकत बढ़ाने की दिशा में अटल जी ने अटल साहस दिखाया। उन्होंने दुनिया भर की ताकतों को ठेंगा दिखाते हुए 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण करके तहलका मचा दिया। इस परीक्षण के बाद दुनिया के कई बड़े देश अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा आदि ने भारत पर आर्थिक पाबंदियां लगार्इं, लेकिन वाजपेयी जी की कूटनीतिक कुशलता ने 2001 तक सारे देशों ने अपनी पाबंदियां हटा लीं।

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अटल जी की राजनीतिक और साहित्यक दृष्टि को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। अटल जी ने राजनीति में जिन सिद्धांतों को स्थापित किया है, आज कोई राजनेता उसके आसपास दिखाई नहीं देता। पोखरण परीक्षण यदि उनके साहस का प्रतीक है तो पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की दिशा में उठाए गए कदम उनके कवि मन की कोमलता है। वाजेपयी जी कहते थे पड़ोसी बदले नहीं जा सकते। इसी प्रेरणा से वे हमेशा पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्तों के पैरोकार रहे, लेकिन पाकिस्तान ने कभी यह समझा नहीं। वाजपेयी जी ने साधु की तरह व्यवहार किया और पाकिस्तानी नेताओं ने बिच्छु की तरह।

वाजपेयी जी का जीवन एक ग्रंथ की तरह है, जिससे न जाने क्या-क्या सीखा जा सकता है। वाजपेयी जी का व्यक्तिव इतना विराट था कि उन्हें जहां तक समझते जाओ, समझते जा सकते हो। वे मंच से जो बोलते थे वह सीधे मन में उतर जाता था। उनके भाषणों में प्रेरणादायक विचार मिलते थे, जो लोगों का मार्गदर्शन करते थे। वे सच्चे अर्थों में युगदृष्टा थे।

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