Eid-Ul-Fitr : 2022 में ईद-उल-फितर कब है, ऐसे हुई थी रोजा रखने की शुरुआत

Eid-Ul-Fitr, ईद उल-फ़ित्र या रमजान-ईद (ईद-उल-फितर) (अरबी: عيد الفطر) Eid ul-Fitr in Arabic रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पाक महीना माना जाता है. लेकिन रमजान के महीने की शुरुआत चांद के दिखाई देने पर निर्भर करती है.

Eid-Ul-Fitr : ईद उल-फ़ित्र महीने में लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं. eid ul-fitr 2022 in india (ईद-उल-फितर) रमजान को इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है. इस पूरे महीने मुसलमान सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले अन्न पानी ग्रहण नहीं करते. उपवास के अलावा मुसलमानों को इस पूरे महीने अपने विचारों में शुद्धता रखना और अपनी बातों से किसी को नुकसान न पहुंचाना जरूरी होता है. इस पूरे महीने शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. eid al-fitr 2022

इस्लाम के नौवें महीने में ईद-उल-फितर रखा जाता है रोजा

इस्लामी कैलेंडर का नौवें महीने को रमजान eid ul-fitr कहा जाता है. रमजान अरबी का शब्द और इस्लामिक महीना है. यह महीना रोजे के लिए खास किया गया है. रोजे को अरबी भाषा में सौम कहा जाता है. सौम का मतलब होता है रुकना, ठहरना यानी खुद पर नियंत्रण या काबू करना. फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं. भारत के मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव अधिक होने के कारण उपवास को फारसी शब्द ही उपयोग किया जाता है. रमजान की शुरुआत चांद देखने के बाद होती है.

ऐसे शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा

बताया जाता है कि इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है. कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था.

मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया. इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई. हालांकि, दुनिया के तमाम धर्मों में रोजा रखने की अपना परंपरा है. ईसाई, यहूदी और हिंदू समुदाय में अपने-अपने तरीके से रोजा (उपवास) रखे जाते हैं.

किसे है रोजा रखने की छूट | Eid ul-Fitr namaz time

इस्लाम के मानने वाले हर बालिग पर रोजा फर्ज है, केवल उन्हें छूट दी गई है जो बीमार हैं या यात्रा पर हैं. इसके अलावा जो औरतें प्रेग्नेंट हैं या फिर पीरियड्स से हैं और साथ ही बच्चों को रोजा रखने से छूट दी गई है. हालांकि, पीरियड्स के दौरान जितने रोजे छूटेंगे, उतने ही रोजे उन्हें बाद में रखने होते हैं. वहीं, बीमारी के दौरान रोजा रखने की छूट है. इसके बावजूद अगर कोई बीमार रहते हुए रोजा रखता है तो उसे अपनी जांच के ब्लड देना या फिर इंजेक्शन लगवाने की छूट है, लेकिन रोजे की हालत में दवा खाने की मनाही की गई है. ऐसे में सहरी और इफ्तार के समय दवा लें. eid al-fitr

इस्लाम में रमजान की अहमियत | ईद का इतिहास क्या है?

रमजान की इस्लाम में काफी अहमियत है. इस पाक महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है व दोजख के दरवाजो को बंद कर देता है, वहीं, शैतान को कैद कर लेता है. इस महीने में अल्लाह ने कुरान नाजिल किया है, जिसमें जिंदगी गुजर बसर करने के अल्लाह ने तरीके बताए हैं. नफ्ल काम करने पर अल्लाह फर्ज अदा करने का सवाब और फर्ज अदा करने पर सत्तर फर्जों का सवाब देता है.

वह कहते हैं कि रमजान का महीना सब्र व सुकून का महीना है, इस महीने में अल्लाह की खास रहमतें बरसती हैं. अल्लाह रमजान माह का एहतराम (पालन) करने वाले लोगों के पिछले सभी गुनाह माफ कर देता है, इस महीने में की गई इबादत और अच्छे कामों का सत्तर गुणा पुण्य मिलता है.

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ऐसे रखा जाता है रोजा | ईद उल फितर क्यों मनाया जाता है?

रोजे रखने वाले मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी नहीं खाते और न ही कुछ पीते हैं. सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है, मतलब सुबह फजर की अजान से पहले खा सकते हैं. रोजेदार सहरी के बाद सूर्यास्त तक यानी पूरा दिन कुछ न खाते और न ही पीते. इस दौरान अल्लाह की इबादत करते हैं या फिर अपने काम को करते हैं. सूरज अस्त होने के बाद इफ्तार करते हैं.

हालांकि, इसके साथ-साथ पूरे जिस्म और नब्जों को कंट्रोल करना भी जरूरी होता है. इस दौरान न किसी को जुबान से तकलीफ देनी है और न ही हाथों से किसी का नुकसान करना है और न आंखों से किसी गलत काम को देखना है. रोजे की हालत में किसी तरह से सेक्स संबंध बनाने की मनाही है. रात में अगर ऐसा होता भी है तो दंपति को सहरी के पहले पाक होना जरूरी है.

तन और मन की शुद्धता का पूरा ध्यान

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है. अबसे 30 दिन तक मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्य उदय होने के बाद और सूर्य अस्त होने तक न अनाज ग्रहण करते हैं, न पानी पीते हैं. रोज़ा रखने के साथ-साथ लोग अपने दिल और दिमाग को साफ रखते हैं, विचार शुद्ध रखते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि अपनी बातों से किसी को दुख न पहुंचाएं. मन के साथ शरीर की शुद्धता का भी पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है. आइए जानते हैं इस पाक महीने में रोज़े की शुरुआत कैसे हुई.

रोजे का अर्थ

रोजे को अरबी भाषा में ‘सौम’ कहा जाता है. सौम का अर्थ है रुकना या ठहरना. इसी के साथ खुद पर नियंत्रण या काबू करना. वहीं, फारसी में उपवास को रोजा कहा जाता है. भारत में मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव ज्यादा है, जिस वजह से यहां सौम के लिए रोजा शब्द का प्रयोग ही किया जाता है.

यूं शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा

शनिवार शाम चांद दिखने के बाद रविवार को पहला रोजा रखा जाएगा. बताया जाता है कि रोजे की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई. कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में लिखा है कि ‘रोजा तुमपर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था.’ बताया जाता है कि मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत कर मदीना पहुंचे, उसके एख साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया.

हर धर्म में रोजे का अलग तरीका

गौरतलब है कि दुनिया के कई धर्म ऐसे हैं, जिनमें रोजा रखने की परंपरा होती है. हिंदू, यहूदी, ईसाई आदि धर्मों में अलग-अलग तरीके से रोजा यानी कि व्रत रखा जाता है.

रमजान में बरसती हैं अल्लाह की रहमतें

कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है और दोजख के दरवाजों को बंद कर देता है. इसी के साथ अल्लाह शैतान को भी कैद कर देते हैं. रमजान के महीने में ही अल्लाह ने कुरआन नाजिल की, जिसमें जीवन जीने के तरीके बताए गए हैं. यह महीना सुकून और सब्र का महीना है. रमजान में अल्लाह की खास रहमतें बरसती हैं. अगर इस्लाम समुदाय का व्यक्ति रमजान के नियमों का पालन करता है तो अल्लाह उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर देते हैं. साथ ही, इस महीने में की गई इबादत और अच्छे काम का 70 गुना पुण्य अल्लाह देते हैं.

इन्हें है रोजा रखने से मिलती है छूट

कहा जाता है कि इस्लाम धर्म में हर बालिग पर रोजा फर्ज है. इसके लिए सिर्फ उन्हें छूट मिली है, जो बीमार हैं या किसी यात्रा पर निकले हैं. इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं और वह महिलाएं जिनके पीरियड्स चल रहे हैं, उनके रोजे से छूट दी गई है. वहीं, बच्चों का भी रोजा रखना जरूरी नहीं है. हालांकि, कहा जाता है कि लड़कियों के पीरियड्स के दौरान जितने भी रोजे छूटे हैं, वह उन्हें बाद में पूरे करने होते हैं.

पिछले कुछ वर्ष | 2022 में ईद उल फितर कब है | eid ul-fitr 2022 date in india | ईद उल फितर कब मनाया जाता है

साल तारीख दिन छुट्टियां राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
2022 2 मई सोमवार ईद उल-फ़ित्र KL
3 मई मंगलवार ईद उल-फ़ित्र सभी राज्य सिवाय KL
4 मई बुधवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2023 22 अप्रैल शनिवार ईद उल-फ़ित्र राष्ट्रीय अवकाश
23 अप्रैल रविवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2024 10 अप्रैल बुधवार ईद उल-फ़ित्र राष्ट्रीय अवकाश
11 अप्रैल गुरूवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG

 

साल तारीख दिन छुट्टियां राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
2021 13 मई गुरूवार ईद उल-फ़ित्र AN, AP, BR, CG, JK,
KA, KL, LD, MH, PB
& SK
14 मई शुक्रवार ईद उल-फ़ित्र सभी राज्य सिवाय AN, AP, BR,
CG, JK, KA, KL, LD,
MH, PB & SK
15 मई शनिवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2020 24 मई रविवार ईद उल-फ़ित्र AN, AP, BR, JH, KL,
LD, TR, UK, UP &
WB
25 मई सोमवार ईद उल-फ़ित्र सभी राज्य सिवाय AN, AP, BR,
JH, KL, LD, TR, UP,
UK & WB
26 मई मंगलवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2019 5 जून बुधवार ईद उल-फ़ित्र राष्ट्रीय अवकाश
6 जून गुरूवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2018 15 जून शुक्रवार ईद उल-फ़ित्र सभी राज्य सिवाय AR, CH, DL,
HR, JK, JH, MH, MN,
ML, MZ, OR, PB, RJ,
SK & TR
16 जून शनिवार ईद उल-फ़ित्र AR, CH, DL, HR, JH,
JK, MH, ML, MN, MZ,
OR, PB, RJ, SK &
TR
16 जून शनिवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG
2017 25 जून रविवार ईद उल-फ़ित्र KL
26 जून सोमवार ईद उल-फ़ित्र राष्ट्रीय अवकाश
27 जून मंगलवार ईद उल-फ़ित्र छुट्टियां TG

10 lines on Eid in Hindi ईद पर 10 लाइन निबंध

 ईद मुस्लिमो का प्रसिद्ध त्यौहार है।

  •  ईद रमजान के महीने के बाद आती है जो हर साल अप्रैल या मई में शुरू होता है।
  •  रमजान में 30 दिनों तक रोजा (इस्लामिक व्रत) रखा जाता है।
  •  रोजे का समय सुबह सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक का होता है।
  •  डूबते सूरज के साथ रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते है।
  •  रमजान के आखरी दिन चाँद को देखने के बाद अगले दिन ईद त्यौहार को मनाया जाता है।
  •  ईद के दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में एक साथ नमाज पढ़ते है।
  •  ईद त्यौहार के दिन घरो में मीठी सेवइयाँ और ढेर सारे पकवान बनाये जाते है।
  •  इस दिन लोग नए कपडे पहनते है और सभी गलतिया भुला कर एक दूसरे को ईद की मुबारक देते है।
  •  बच्चो को इस दिन अपने बड़ो से ईद पर तोहफा मिलता है जिसे ईदी कहा जाता है।

 

 

Sourabh Mathur

सौरभ माथुर एक अनुभवी न्यूज़ एडिटर हैं, जिनके पास 13 वर्षों का एडिटिंग अनुभव है। उन्होंने कई मीडिया हॉउस के संपादकीय टीमों के साथ काम किया है। सौरभ ने समाचार लेखन, संपादन और तथ्यात्मक विश्लेषण में विशेषज्ञता हासिल की, हमेशा सटीक और विश्वसनीय जानकारी पाठकों तक पहुंचाना उनका लक्ष्य रहा है। वह डिजिटल, प्रिंट और ब्रॉडकास्ट मीडिया में भी अच्छा अनुभव रखतें हैं और पत्रकारिता के बदलते रुझानों को समझते हुए अपने काम को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश करते रहतें हैं।

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