Pahalgam Terror Attack पर पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल बोले- सिंधु जल संधि को करें निलंबित
JNU के कुलाधिपति और रूस में भारत के पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल ने Pahalgam Terror Attack के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि (IWT) को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने की वकालत की है.

Pahalgam Terror Attack: उज्जवल प्रदेश,नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलाधिपति और रूस में भारत के पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने की वकालत की है.
दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भारत के विदेश सचिव रहे सिब्बल ने एक्स पर किए अपने पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान द्वारा उकसाए गए पहलगाम में नवीनतम आतंकवादी हमले के लिए वास्तव में सार्थक प्रतिक्रिया के रूप में सिंधु जल संधि को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने का समय आ गया है. हमने पहले भी कहा है कि खून और पानी एक साथ नहीं चल सकते. आइए हम अपनी घोषित स्थिति पर काम करें. यह एक रणनीतिक प्रतिक्रिया होगी.”
लेकिन सिब्बल आईडब्ल्यूटी को निलंबित करने के लिए क्यों दबाव डाल रहे हैं? दरअसल, सिंधु नदी और उसकी 5 सहायक नदियों के पानी के उपयोग को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि पर भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे. इस संधि के अनुसार, भारत रावी, ब्यास और सतलुज के पानी का उपयोग कर सकता है जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी आवंटित किया गया है.
भले ही वितरण समान लगता हो, लेकिन संधि पाकिस्तान के पक्ष में है क्योंकि देश को सिंधु नदी प्रणाली के कुल जल प्रवाह का लगभग 80 प्रतिशत प्राप्त होता है. पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर बहुत अधिक निर्भर है, खासकर पंजाब और सिंध में.
सिब्बल ने पोस्ट में आगे कहा कि व्हाइट हाउस में ट्रम्प प्रशासन के साथ, भारत अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर अनुकूल स्थिति में है, क्योंकि हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान हुआ था. उनका मानना है कि इस कार्रवाई से बांग्लादेश को भी कड़ा संदेश जाएगा. “ट्रंप और वेंस के इस्लामी चरमपंथ और आतंकवाद पर कड़े विचार हैं. इस कदम से बांग्लादेश को भी अच्छा संदेश जाएगा.”
बता दें कि 2019 के पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक में 2 विदेशी नागरिकों सहित कम से कम 26 लोगों की जान चली गई है. हमलावर आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े हैं.