भारत में मोटापे का बढ़ता संकट: महिलाएं ज्यादा प्रभावित, दुबले-पतले लोगों की संख्या में भारी गिरावट

National Family Health Survey: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक देखी गई। 2015-16 की तुलना में 2019-21 में दुबले-पतले लोगों की संख्या घटी है, जबकि अधिक वजन और मोटापे की दर में 4% की वृद्धि हुई है।

National Family Health Survey: उज्जवल प्रदेश डेस्क. भारत में मोटापे की समस्या एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनती जा रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 के बीच देश में अधिक वजन और मोटापे की दर में 4% की वृद्धि हुई है। खासतौर पर महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिल रही है, जबकि अत्यधिक दुबले-पतले लोगों की संख्या में कमी आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अस्वास्थ्यकर खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसकी मुख्य वजहें हैं।

भारत में मोटापे की समस्या दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में अधिक वजन और मोटापे की दर में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। 2015-16 की तुलना में 2019-21 के दौरान भारत में मोटापे की दर में 4% की वृद्धि हुई है। यह समस्या खासतौर पर महिलाओं में अधिक गंभीर रूप ले रही है। इसके विपरीत, अत्यधिक दुबले-पतले लोगों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है।

बढ़ता मोटापा: महिलाओं पर अधिक असर

रिपोर्ट के अनुसार, 2019-21 में केवल 20% लोग ही ‘थिन’ यानी अत्यधिक दुबले की श्रेणी में थे, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा अधिक था। महिलाओं में ‘थिन’ होने की दर 13.3% से घटकर 10.1% रह गई, जबकि पुरुषों में यह 12% से घटकर 9.6% हो गया। दूसरी ओर, अधिक वजन और मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ी है। 2015-16 में जहां पुरुषों में अधिक वजन होने की दर 5.9% थी, वहीं 2019-21 में यह बढ़कर 18.9% हो गई। इसी अवधि में महिलाओं में यह प्रतिशत 5.1% से बढ़कर 6.4% हो गया।

दक्षिण भारतीय राज्यों में सबसे अधिक मोटापा

NFHS की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ कि दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में मोटापे की समस्या सबसे अधिक है। इसके अलावा, दिल्ली और पंजाब में भी वजन बढ़ने की दर तेजी से बढ़ी है। उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक लोग मोटापे की श्रेणी में आ गए हैं।

मोटापे के कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ती समस्या का मुख्य कारण अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और गलत खान-पान की आदतें हैं। फास्ट फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन मोटापे की दर को बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 40% से अधिक लोग अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन कर रहे हैं। 2019-21 के दौरान लगभग 10% लोग रोजाना सॉफ्ट ड्रिंक्स और मीठे पेय पदार्थों का सेवन कर रहे थे। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियों की कमी भी इस समस्या को और गंभीर बना रही है।

प्रधानमंत्री मोदी का अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोटापे के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई है। उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लोगों से अपनी दैनिक कैलोरी खपत में 10% की कमी करने का आह्वान किया था। उन्होंने इस अभियान के तहत 10 प्रमुख हस्तियों को नामांकित किया है, जो समाज में जागरूकता फैलाने में मदद करेंगे।

इनमें उद्योगपति आनंद महिंद्रा, अभिनेता मोहनलाल, गायक श्रेया घोषाल, लेखक सुधा मूर्ति, ओलंपिक निशानेबाज मनु भाकर, वेटलिफ्टर मीराबाई चानू, अभिनेता आर. माधवन और इंफोसिस के संस्थापक नंदन नीलेकणि शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी से आग्रह किया कि वे स्वयं 10 अन्य लोगों को इस अभियान में शामिल करें, ताकि यह आंदोलन व्यापक रूप से फैल सके।

समाधान क्या है?

विशेषज्ञों का मानना है कि मोटापे की इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और जंक फूड के सेवन में कमी लाकर इस समस्या से बचा जा सकता है। सरकार को भी सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाने चाहिए, ताकि लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी आदतों में सुधार कर सकें।

Deepak Vishwakarma

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