India’s Graduate Skills Index 2025: भारत में ग्रेजुएट्स की स्किल्स पर संकट! 57% युवा रोजगार के लायक नहीं
India's Graduate Skills Index 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 57% ग्रेजुएट्स के पास नौकरी पाने योग्य कौशल नहीं है। उत्तर भारत के राज्यों में स्किल्ड ग्रेजुएट्स की संख्या दक्षिण भारत की तुलना में अधिक है। दिल्ली में सर्वाधिक 53% ग्रेजुएट्स रोजगार योग्य हैं, जबकि AI और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में केवल 46% ग्रेजुएट्स योग्य पाए गए हैं।
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India’s Graduate Skills Index 2025: उज्जवल प्रदेश डेस्क. भारत की युवा शक्ति देश के विकास का सबसे बड़ा आधार मानी जाती है। लेकिन एक हालिया रिपोर्ट ने इस धारणा पर सवाल खड़ा कर दिया है। इंडियाज ग्रेजुएट स्किल्स इंडेक्स 2025 के मुताबिक, देश के 57% ग्रेजुएट्स नौकरी के लायक नहीं हैं, क्योंकि उनके पास आवश्यक कौशल की कमी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारी शिक्षा प्रणाली युवाओं को सही दिशा में विकसित कर पा रही है या नहीं? आइए इस रिपोर्ट को विस्तार से समझते हैं।
नौकरी के लिए आवश्यक स्किल्स नहीं
- भारत में युवाओं की शिक्षा और उनकी काबिलियत किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन हाल ही में जारी इंडियाज ग्रेजुएट स्किल्स इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट ने इस दिशा में एक गंभीर समस्या को उजागर किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में आधे से ज्यादा ग्रेजुएट्स के पास नौकरी के लिए आवश्यक स्किल्स नहीं हैं। इसका सीधा असर भारत की रोजगार दर और आर्थिक विकास पर पड़ सकता है।
- इस रिपोर्ट के मुताबिक, 57% ग्रेजुएट्स में वो स्किल्स ही नहीं हैं, जो उन्हें इंडस्ट्री में नौकरी दिलाने के लिए जरूरी होते हैं। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में और भी चिंताजनक है, क्योंकि तब नौकरी के काबिल ग्रेजुएट्स की संख्या 44% थी, जबकि इस साल यह घटकर 43% रह गई है।
कौन से राज्य सबसे आगे
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के अलग-अलग राज्यों में ग्रेजुएट्स की काबिलियत किस स्तर पर है।
- दिल्ली: 53% ग्रेजुएट्स रोजगार के लायक
- पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड: इन राज्यों में भी ग्रेजुएट्स की काबिलियत अच्छी पाई गई।
- तेलंगाना: दक्षिण भारत का इकलौता राज्य जो टॉप 10 में शामिल है।
यानी जहां शिक्षा की दृष्टि से दक्षिण भारतीय राज्य बेहतर माने जाते हैं, वहीं रोजगार योग्य कौशल के मामले में उत्तर भारत आगे निकल रहा है।
महिला-पुरुष ग्रेजुएट्स में अंतर
अगर इस रिपोर्ट के डेटा को जेंडर के आधार पर देखा जाए, तो इसमें पुरुष और महिला ग्रेजुएट्स के बीच ज्यादा अंतर नहीं पाया गया।
- 43% पुरुष ग्रेजुएट्स रोजगार योग्य हैं।
- 42% महिला ग्रेजुएट्स नौकरी के लायक हैं।
इससे साफ होता है कि स्किल गैप केवल किसी एक वर्ग में नहीं, बल्कि पूरे ग्रेजुएट सिस्टम में मौजूद है।
AI और डेटा साइंस के लिए कितने ग्रेजुएट्स योग्य?
आज का युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा साइंस का है, लेकिन भारत में इन क्षेत्रों में योग्य ग्रेजुएट्स की संख्या भी बहुत कम है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 46% ग्रेजुएट्स ही AI और डेटा साइंस जैसे आधुनिक तकनीकी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाए गए हैं।
यह आंकड़ा इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि आने वाले समय में AI, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी और डेटा एनालिटिक्स जैसे फील्ड्स में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ने वाले हैं। अगर युवा इन क्षेत्रों में स्किल्स विकसित नहीं करेंगे, तो भारत इस प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है।
स्किल्स की कमी क्यों
अब सवाल उठता है कि आखिर भारत के ग्रेजुएट्स में स्किल्स की इतनी बड़ी कमी क्यों है? इसके कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं
- शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिक ज्ञान की कमी: कॉलेजों में अधिकतर पढ़ाई थ्योरी पर आधारित होती है, जिससे इंडस्ट्री के लिए जरूरी स्किल्स छात्रों में नहीं आ पाती।
- इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की कमी: कंपनियों को अनुभवी कर्मचारी चाहिए, लेकिन ग्रेजुएट्स के पास इंडस्ट्री एक्सपोजर नहीं होता।
- तकनीकी क्षेत्रों में रुचि की कमी: AI, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी कम है, जिससे इस सेक्टर में स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी बनी हुई है।
- स्कूल स्तर पर करियर गाइडेंस की कमी: छात्रों को सही करियर चुनने और आवश्यक कौशल सीखने के लिए उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता।
क्या किया जाना चाहिए
अगर भारत को इस संकट से बचाना है, तो युवाओं की स्किल्स को विकसित करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर रोजगारोन्मुखी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
- इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को अनिवार्य बनाना होगा।
- नई तकनीकों जैसे AI, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग आदि पर अधिक फोकस करना होगा।
- युवाओं को करियर गाइडेंस और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स से जोड़ना होगा।