मकर संक्राति 14 जनवरी को, इस बार बन रहा दुर्लभ योग

Makar Sankranti 2025: 14 जनवरी को पड़ने वाले मकर संक्रांति को शुभ मुहूर्त में स्नान व दान पुण्य करने से वह फल मिलता है जो बड़े बड़े ऋषि मुनियों को भी नहीं मिलता।

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी 2025 के दिन एक खास शुभ योग बन रहा है। इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार यह त्योहार इसिलए भी खास है कि 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जिसमें दान, पुण्य आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

पूरा दिन रहेगा पुण्य काल

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास का समापन हो जाएगा। इसके बाद मांगलिक कार्य का सिलसिला आरंभ हो जाएगा। भगवान सूर्य 14 जनवरी को प्रातः काल 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर सूर्यदेव की पूजा कर दान-पुण्य करने के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे।

ये है शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा, जबकि समापन शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा। इस दन महापुण्य काल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ माने गए हैं। इसके साथ ही स्नान-दान के लिए मकर संक्रांति का पूरा दिन शुभ माना जाता है। ग्रहों के राजा सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस बार माघ कृष्ण प्रतिपदा में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

दान करने का है विशेष महत्व

इस दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास और इसके बाद शनि देव की ही राशि कुंभ में एक महीने निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध बनते हैं । सूर्य के मकर राशि में आने के कारण शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा मिलती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है। वहीं इसे कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से भी जानते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने दोनों का एक अलग ही महत्व है।

इसलिए मनाई जाती है मकर संक्रांति

ज्योतिष की मानें तो पृथ्वी की तुलना में जब सूर्य आकाश में धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन को मकर संक्रांति होती है, जिसका धार्मिक, ज्योतिष और वैज्ञानिक हर तरह का अपना अलग महत्व है और ये सब आपस में जुड़े भी हैं। वहीं कई सालों से यह तारीख 14 जनवरी को ही पड़ती है।

गुड़ और काले तिल का दान का है विशेष महत्व है

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव का उपवास करने का विशेष महत्त्व है। कहते हैं कि इस दिन किया गया दान अक्षय फल देने वाला होता है।

इस दिन पतंग उड़ाने की है परंपरा

देश के पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में ये नई फसल काटने का समय होता है. इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है. इसके अलावा मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं पतंग उड़ाने की भी परंपरा है

यह है पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. इसिलए शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है. लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है. कथा के अनुसार, असुरों पर भगवान विष्णु की जीत के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

मकर संक्रांति पर क्या करें? (Makar Sankranti 2025)

  • इस दिन नई झाड़ू जरूर खरीदें
  • मकर संक्रांति के दिनअपने बड़ों और पूर्वजों का आशीर्वाद जरूर लें।
  • जहां तक हो सके इस दिन गंगा स्नान जरूर करें।
  • सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
  • गरीबों को खिचड़ी, चूरा, दही, मूंगफली, तिल के लड्डू, गर्म कपड़े और धन का दान करें।
  • इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।

काले रंग का कपड़ा पहनें

मकर संक्रांति पर लोग काले रंग के कपड़े (Black Color Clothes to Wear on Makar Sankranti) पहनते हैं। कहते हैं कि काला रंग इस तिथि के अनुसार मैच करता है और इसे शनि से जोड़कर देखा जाता है। साथ ही इस दिन कुछ लोग पीले रंग के कपड़े भी पहनते हैं जो कि सूर्य से जोड़कर भी देखा जाता है।

मकर संक्रांति के दिन यह न करें

मकर संक्रांति एक सात्विक पर्व है, इसलिए तामसिक वस्तुओं का सेवन और दान दोनों वर्जित है। यह शांति और शुभता के स्थान पर नकारात्मकता ला सकता है। मान्यताओं के अनुसार, चावल और सफेद वस्त्र का दान इस दिन शुभ नहीं माना जाता है। ध्यान रखें क मांस, मदिरा, या तामसिक भोजन का दान न करें।

तांबे के पात्र में जल अर्पण करें

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य का विधान है. मगर, किसी भी पात्र से नहीं बल्कि केवल तांबे के पात्र से ही भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। ऐसा करने से सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं.

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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