Delhi Fire: दिल्ली का बेबी केयर अस्पताल चल रहा था बिना लाइसेंस

Delhi Fire News: पुलिस ने रविवार शाम विवेक विहार स्थित बेबी केयर अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन कीची और हादसे के समय ड्यूटी पर मौजूद डॉ. आकाश को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं।

Delhi Fire News: नई दिल्ली. पुलिस ने रविवार शाम विवेक विहार स्थित बेबी केयर अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन कीची और हादसे के समय ड्यूटी पर मौजूद डॉ. आकाश को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी डॉ. कीची के पास अस्पताल चलाने का कोई वैध दस्तावेज ही नहीं था। उनके अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च 2024 को खत्म हो चुका था। इतना ही नहीं, उनके पास पहले भी विभाग की ओर से केवल पांच बिस्तर का केयर सेंटर चलाने का परमिशन था, जबकि वह 12 बिस्तर का केयर सेंटर चला रहे थे।

अस्पताल ने उड़ाई नियमों की धज्जियां

  • पुलिस उपायुक्त सुरेन्द्र चौधरी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम को न्यू बोर्न चाइल्ड अस्पताल में कई खामियां मिली।
  • डीजीएचएस सरकार द्वारा बेबी अस्पताल को लाइसेंस जारी किया गया था। लेकिन लाइसेंस 31/03/2024 को समाप्त हो चुका था।
  • लाइसेंस समाप्त होने के बाद अस्पताल में केवल पांच पांच बिस्तरों की अनुमति थी, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे।
  • डॉक्टर नवजात शिशु देखभाल की आवश्यकता वाले नवजात शिशु का इलाज करने के लिए योग्य नहीं हैं, क्योंकि वे केवल बीएएमएस डिग्री धारक हैं।
  • आग लगने की स्थिति में अस्पताल में कोई अग्निशामक यंत्र तक नहीं था।
  • किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं है।

डॉ. कीची का एनसीआर में फैला है कारोबार

डॉ. कीची ने अस्पताल में बिना वैध डिग्री वाले स्टाफ को तैनात किया हुआ था। जांच में सामने आया है कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर आकाश के पास एमबीबीएस की डिग्री ही नहीं है। हादसे के समय डॉ. आकाश बच्चों को छोड़कर भाग गया था।

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी डॉ. नवीन कीची का कारोबार दिल्ली-एनसीआर में फैला हुआ है। विवेक विहार के अलावा पंजाबी बाग, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी आरोपी के अस्पताल हैं। सभी अस्पतालों का संचालन डॉ. नवीन और उनकी पत्नी जागृति करती हैं।

ना इमरजेंसी गेट थे और ना ही आग बुझाने के यंत्र

पुलिस जांच में सामने आया कि अस्पताल में निर्माण के समय न तो यहां आपातकालीन गेट बनाया गया था और न ही यहां आग बुझाने के यंत्र रखे गए थे। संचालकों के पास वैध फायर की एनओसी भी मौजूद नहीं थी। बावजूद इसके यहां बिजली का मीटर लगा हुआ था।

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पुलिस इसकी भी जांच कर रही है कि बिना एनओसी के अस्पताल में बिजली का मीटर कैसे लगा। पुलिस की प्राथमिक जांच में आग लगने का संभावित कारण शॉर्ट सर्किट आया है। पुलिस ने रविवार शाम को जांच के बाद एफआईआर में दो नई धारा जोड़ दी है।

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