कोरोना से 20 गुना ज्यादा खतरनाक है Disease X? इस महामारी से जा सकती है 50 मिलियन लोगों की जान
Disease X Update: दुनिया अभी कोरोना महामारी से पूरी तरह उबर भी नहीं थी और एक नई संभावित महामारी की खबरें आने लगी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस महामारी को 'डिजीज एक्स' नाम दिया है।
Disease X Update: नई दिल्ली. दुनिया अभी कोरोना महामारी से पूरी तरह उबर भी नहीं थी और एक नई संभावित महामारी की खबरें आने लगी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस महामारी को ‘डिजीज एक्स’ नाम दिया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ‘डिजीज एक्स’ कोरोना से सात गुना ज्यादा खतरनाक हो सकती है और यह दुनियाभर में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले सकती है। जानें यह बीमारी क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, कितनी खतरनाक है और वायरस का नाम क्या है?
क्या है डिजीज एक्स | What is Disease X
डिजीज एक्स किसी बीमारी का नाम नहीं है बल्कि यह एक टर्म है। इसका यूज ऐसी बीमारी में होता है जो इन्फेक्शन से पैदा होती है और इसकी खबर मेडिकल साइंस में किसी को नहीं होती है। कुल मिलाकर इस बारे में अभी किसी डॉक्टर, वैज्ञानिक या एक्सपर्ट्स को कुछ नहीं पता है। इसे आप एक उदहारण से समझें। इस टर्म का पहली बार साल 2018 में यूज किया गया था और अगले साल 2019 में कोरोना वायरस नामक बीमारी आ गई थी।
क्या बनेगा महामारी की वजह | What Reason for Epidemic
WHO के अनुसार आने वाले समय में दुनियाभर के लोगों को एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय महामारी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस महामारी की वजह क्या हो सकती है? यह एक वायरस, एक बैक्टीरिया या फिर मस फंगस भी हो सकता है। लैंसेट जर्नल के अनुसार, WHO ने औपचारिक रूप से 2018 में डिजीज X शब्द का उपयोग शुरू किया था। यह आने वाली महामारी (Disease X) का प्रतिनिधित्व करता है।
यह 6 वायरस बन सकते हैं महामारी के कारण | 6 Viruses Cause of Epidemic
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डॉक्टरों के अनुसार मनुष्यों को 6 वायरस फैमिली- एडेनोविरिडे, कोरोनाविरिडे, ऑर्थोमेक्सोविरिडे, पैरामाइक्सोविरिडे, पिकोर्नविरिडे और पोक्सविरिडे संक्रमित कर सकते हैं। इन 6 वायरस में अगली महामारी बनने की सबसे अधिक संभावना है। डिजीज X (Disease X) के प्रति कोई इम्युनिटी नहीं होने से यह बीमारी और खतरनाक हो जाती है। यह बीमारी श्वसन ट्रांसमिशन के माध्यम से फैल सकती है। इसके लक्षण एसिम्प्तोमेटिक, यानी नहीं भी दिख सकते हैं। वर्तमान में कोई प्रभावी दवा या टीका नहीं होने के कारण यह बहुत अधिक घातक हो सकता है।
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दुनियाभर में जा सकती है 50 मिलियन लोगों की जान
बिंघम ने डेली मेल में अपने इंटरव्यू में कहा कि ‘1918-19 फ्लू महामारी ने दुनिया भर में कम से कम 50 मिलियन लोगों की जान ले ली, जो प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की तुलना में दोगुना था। डिजीज एक्स से आज हम इसी तरह की मौत की उम्मीद कर सकते हैं।
डिजीज एक्स हो सकती सबसे ज्यादा खतरनाक
दुनिया भर में कोविड-19 के कारण 20 मिलियन या अधिक मौतें हुईं। अच्छी बात यह है कि वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग ठीक होने में कामयाब रहे। वहीं डिजीज एक्स की कल्पना करें तो इसकी इबोला की मृत्यु दर (लगभग 67 प्रतिशत) जितनी ही संक्रामक है। दुनिया में कहीं न कहीं इसकी पुनरावृत्ति हो रही है और देर-सबेर कोई न कोई बीमार महसूस करने लगेगा।
न इलाज, न टीका कैसे फैल सकता है डिजीज एक्स
जानकारी के अनुसार डिजीज एक्स किसी वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से फैल सकता है। दुखद यह इसके लिए कोई टीका या उपचार नहीं है, जैसा कि कोरोना वायरस का नहीं था। कुछ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि डिजीज एक्स जूनोटिक होगा यानी यह जंगली या घरेलू जानवरों में पैदा होगा और फिर इंसानों को संक्रमित करेगा। इबोला, एचआईवी/एड्स और कोविड-19 जूनोटिक प्रकोप थे।
यहां हैं महामारी को रोकने के उपाय | Prevention From Disease X
- निगरानी का पुख्ता इंतजाम : उभरते खतरों का शीघ्र पता लगाने के लिए मजबूत वैश्विक निगरानी प्रणाली विकसित होनी चाहिए। इससे हताहतों की संख्या कम होगी।
- मानव, पशु और एन्वायरनमेंटल स्वास्थ्य के जोखिम की पहचान : मानव, पशु और एन्वायरनमेंटल स्वास्थ्य के जोखिम की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच पारस्परिक संबंध को पहचानना और उसके अनुरूप कदम उठाना जरूरी (Disease X) है।
- जरूरी एंटीबायोटिक दवा का उपयोग (Antibiotic for disease X) : दवा प्रतिरोधी रोगजनकों से निपटने के लिए एंटी बायोटिक मैनेजमेंट लागू करना पड़ेगा।
- स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करना (Health care System) : महामारी प्रतिक्रिया और नियमित स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों, दोनों के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में क्षमता का निर्माण करना चाहिए।
- विश्व स्तर पर सहयोग (World basis help) : सूचना साझा करने, संसाधन के बारे में जानना और उसे लोगों के बीच देना और अनुसंधान प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- तैयारी की योजना (Planning for preparation) : महामारी ((Disease X) से बचाव की तैयारी की योजना विकसित करें, जिसमें जरूरी आपूर्ति और त्वरित प्रतिक्रिया टीम का होना बहुत जरूरी है।
देश के विशेषज्ञों ने क्या कहा
देश के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि डिजीज एक्स से संबंधित घबराहट या तनाव को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि काल्पनिक रोगजनकों के बारे में जागरूक होने की जरूरत पहले से कहीं अधिक है. उन्होंने आगे कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के कारण’ जूनोटिक रोगों से फैलने का खतरा नाटकीय रूप से बढ़ रहा है. इससे जंगल भी प्रभावित हो रहे हैं जिससे जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण बढ़ेगा.
उन्होंने आगे बताया कि चमगादड़ों को लगभग 40 वायरस के भंडार के रूप में जाना जाता है, जिनमें से अब तक केवल छह ही ज्ञात हैं, जिनमें कोरोना वायरस भी शामिल है. बता दें कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख गंगाखेड़कर ने केरल में निपाह वायरस और कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में देश के प्रयासों का नेतृत्व किया है.
उन्होंने सलाह दी है कि भारत को ‘वन हेल्थ’ मिशन के लिए अपनी तैयारी तेज करनी चाहिए जिसके तहत जानवरों की निगरानी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने अपने जमीनी कार्यों और सीखों के उदाहरण साझा करते हुए कहा, ‘हमें सामुदायिक भागीदारी को भी मजबूत करने की जरूरत है.’
भारत की यह है तैयारी
कर्नाटक की कोविड-19 टास्क फोर्स की जीनोमिक निगरानी समिति के सदस्य डॉ. विशाल राव ने एक विस्तृत रोडमैप शेयर किया कि भारत रोग एक्स के खिलाफ कैसे तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘एम-पाथ कार्यक्रम के तहत बेंगलुरु बायोइनोवेशन सेंटर, बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट कर्नाटक सरकार और राज्य स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की टीम ने 32 संभावित रोगजनकों की पहचान की है.’
जिला स्तर पर इन रोगजनकों की निगरानी करने और निगरानी बढ़ाने के लिए, टीम शहरी विकास, ग्रामीण और पंचायती राज और अन्य एजेंसियों सहित विभिन्न राज्य विभागों के साथ सहयोग करेगी. उन्होंने कहा, ‘टीम एम-पाथ्स नामक एक मल्टीप्लेक्स सीरोलॉजी प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है, जिसे भारत के लिए विशिष्ट मानव रोगजनकों के खिलाफ एंटीबॉडी की पहचान करने के लिए डिजाइन किया गया है. टीम एम-पाथ्स नामक एक मल्टीप्लेक्स सीरोलॉजी प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है, जिसे भारत के लिए विशिष्ट मानव रोगजनकों के खिलाफ एंटीबॉडी की पहचान करने के लिए डिजाइन किया गया है.
कब तक डिजीज X के आने की संभावना है?
अगली महामारी कभी भी आ सकती है। इसके लिए किसी तय समय की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। जिस तरह से दुनियाभर में आए दिन नए-नए जानलेवा वायरस और बैक्टीरिया सामने आ रहे हैं, उससे वैज्ञानिकों को आशंका है कि डिजीज x के सामने आने में बहुत ज्यादा समय नहीं लगेगा। यही कारण है कि पिछले कुछ समय में WHO वायरल बीमारियों के सामने आते ही काफी एक्टिव नजर आता है।
क्या डिजीज X भारत में भी आ सकता है? | Disease x in India in Hindi
भारत में डिजीज X आएगा या नहीं, इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह जरूर है कि वैश्विक महामारियां उन्हें कहा जाता है, जिनसे विश्व के कई देश एक ही समय में प्रभावित होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार, रोजगार और पर्यटन की दृष्टि से भारत एक महत्वपूर्ण देश है, जहां हर दिन अलग-अलग देशों से लोगों का आवागमन होता है इसलिए अगर डिजीज X महामारी आती है, तो भारत में इसके आने की प्रबल संभावना है।
कौन तय करता है कौन सी बीमारी बन सकती है वैश्विक महामारी?
एक सवाल यह भी उठता है कि डिजीज X या इस जैसी बीमारियां कितनी खतरनाक हैं या इनमें वैश्विक महामारी लाने की कितनी संभावना है, ये कौन तय करता है? दरअसल WHO सहित कई वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों में काम कर रहे 300 से ज्यादा वैज्ञानिकों की एक टीम है, जो फिलहाल 25 से ज्यादा वायरल वायरस और बैक्टीरिया फैमिली के बारे में रिसर्च कर रहे हैं। इन वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स की टीम वायरस या बैक्टीरिया की संक्रामकता के आधार पर ये अनुमान लगाती है कि कौन सी बीमारी कितनी खतरनाक साबित होगी या कौन सी महामारी ला सकती है।
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