National News : उमेश पाल किडनैपिंग केस में अतीक एंड ब्रदर्स की सजा पर फैसला आज
National News : माफिया अतीक अहमद को पहली बार अदालत सजा सुनाएगी. इससे पहले अतीक पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन हर बार वह कानूनी दांव-पेच लगाकर बचता रहा. 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के साथ पूरा कुनबा कानूनी शिकंजे में फंस गया है.
Latest National News : उज्जवल प्रदेश,प्रयागराज. माफिया अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से भारी सुरक्षा के बीच प्रयागराज लाया गया है. मंगलवार यानी आज अतीक अहमद को बसपा विधायक राजूपाल की हत्या के गवाह उमेश पाल के अपहरण मामले में अदालत में पेश किया जाएगा. कानून के जानकार संभावना जता रहे हैं कि अदालत अतीक को फांसी या फिर आजीवन कारावास की सजा सुना सकती है. जानिए क्या था मामला…
दरअसल, 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी. इसका आरोप अतीक और उसके भाई अशरफ के साथ उसके गुर्गों पर लगा था. वहीं, सन 2006 में विधायक राजू पाल के गवाह उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद साल 2007 में मायावती सरकार आने पर उमेश पाल की तरफ से इस मामले में धूमनगंज थाने में 11 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी.
इस मामले की सुनवाई बीती 23 मार्च को पूरी हो चुकी है और 28 मार्च को फैसला सुनाया जाना है. इस केस के 11 आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी है जबकि 10 पर आरोप तय हुए हैं. इनमें अतीक अहमद, उसका भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, उसके गुर्गे आबिद प्रधान, आशिक उर्फ मल्ली, जावेद इसरार, एजाज अख्तर, दिनेश पासी और दो अन्य लोग शामिल हैं.
अब क्या सजा हो सकती है?
मृतक उमेश पाल अपहरण कांड में सभी आरोपितों के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें भारतीय दंड संहिता (IPS) की कई धाराएं शामिल हैं. अतीक के खिलाफ दर्ज एफआईआर में शामिल आईपीसी की धारा 364 A के तहत अपहरण के लिए दंड का प्रावधान है. आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147,148, 149, 323, 341, 504, 506, 342, 364 34, 120 बी भारतीय दंड संहिता एवं सातवां आपराधिक दंड विधि संशोधन अधिनियम लगी है.
जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र ग्रह के मुताबिक, इस मामले में अधिकतम सजा फांसी या आजीवन कारावास या जुर्माना लगाया जा सकता है.
IPC की धारा 364 A में दंड का विधान
आईपीसी की धारा 364 A में दंड का विधान है कि जो कोई भी किसी व्यक्ति का अपहरण करता है, अपहरण के बाद किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखता है और ऐसे व्यक्ति को मौत या चोट पहुंचाने की धमकी देता है या फिर उसके आचरण से एक उचित आशंका पैदा होती है कि ऐसे व्यक्ति को मौत या चोट पहुंचाई जा सकती है, या सरकार या किसी विदेशी राज्य या अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन या किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी कार्य को करने या फिरौती देने के लिए मजबूर करने के लिए ऐसे व्यक्ति को चोट या मृत्यु का कारण बनता है, इसमें मौत की सजा या आजीवन कारावास और जुर्माना के लिए उत्तरदायी होगा.
पहली बार होगी सजा
माफिया अतीक अहमद को पहली बार अदालत सजा सुनाएगी. इससे पहले अतीक पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन हर बार वह कानूनी दांव-पेच लगाकर बचता रहा. 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के साथ पूरा कुनबा कानूनी शिकंजे में फंस गया है.
माफिया के चेहरे पर दिखा मौत का डर
गुजरात जेल में बंद अतीक अहमद प्रयागराज आना नहीं चाहता था. वह साबरमती जेल में ही रहना चाहता था. लेकिन जब पुलिस अतीक अहमद को जेल के बाहर ला रही थी, तब उसने आशंका जताई और मीडिया से कहा कि पुलिस कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर मेरी हत्या कराना चाहते हैं. जिस माफिया से लोग खौफ खाते थे, आज वह माफिया खुद डरा हुआ दिखाई दे रहा है.