UPI खा गया ATM : नोटबंदी के बाद से UPI Transactions बना ऑलटाइम टेलर मशीन
UPI vs ATM Transactions: डिजिटल पेमेंट के बढ़ते ट्रेंड और UPI (Unified Payments Interface) की लोकप्रियता ने Debit Card को बटुए तक सीमित कर दिया है। आज लोग कैश या Debit Card ले जाने के बजाय UPI से तुरंत पेमेंट करना पसंद करते हैं।
UPI vs ATM Transactions: उज्जवल प्रदेश डेस्क, मुंबई. देश में पिछलेबैंकरों ने कहा कि पेमेंट टूल के रूप में यूपीआई (Unified Payments Interface) और कार्ड के उभरने से नकदी का यूज कम हो गया है। इस कारण एटीएम (Automated teller machine) अव्यावहारिक हो गए हैं। पांच साल में पहली बार एटीएम की संख्या में गिरावट आई है।
बैंकों में नकदी निकालने के लिए लगने वाली लंबी कतार से मुक्ति दिलाने वाली ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) अब कम होती जा रही है। 2020 में बैंकों के विलय होने से जहां एटीएम की संख्या घट गई। वहीं, 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद लोगों ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) को हाथों-हाथ लिया।
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इसकी बढ़ती लोकप्रियता से भी एटीएम तक लोगों की पहुंच घटने लगी। आलम यह है कि महज 9 साल में प्रदेश में 274 एटीएम कम हो गए। सब्जी, फल, किराना, बिजली व गैस बिल समेत बड़े-छोटे शोरूम में भी यूपीआइ से पेमेंट करने की सुविधा मिली तो लोग ने एटीएम से दूरी बनानी शुरू कर दी। इससे एटीएम पर ट्रांजेक्शन घटे तो बैंकों का मुनाफा कम हुआ और मशीन के मेंटेनेंस का खर्च बढ़ गया।
बैंकों ने बंद करना शुरू किए ATM
नतीजा, बैंकों ने एटीएम बंद करना शुरू कर दिया। यूपीआइ के बढ़ते चलन से जहां नकदी की सुरक्षा संबंधी चिंता बैंकों की कम हो गई, वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नकदी लेन-देन के दौरान करेंसी के खराब होने पर दोबारा छापने का खर्च भी कम हो गया। हालांकि कोरोनाकाल में एटीएम की संख्या जरूर बढ़ी, लेकिन 2019 से इसके कम होने का दौर जारी है। बैंकों का कहना है, एटीएम बंद नहीं कर रहे, नई तकनीक आने पर इसकी शिफ्टिंग कर रहे हैं।
हर एटीएम पर इतना खर्च
एक एटीएम लगाने में करीब 6-9 लाख रुपए का खर्च आता है। एक मशीन की कीमत 4-8 लाख रुपए और कुछ आंतरिक सज्जा पर खर्च होते हैं। साथ ही हर एटीएम के मेंटेनेंस पर हर माह बैंक को 50 हजार रुपए खर्च होते हैं। इसमें साफ-सफाई, बिजली, एसी और सुरक्षा गार्ड का खर्च शामिल है। बताते हैं, एक लेनदेन पर करीब 18 से 20 रुपए खर्च होता है।
कब शुरू हुआ था यूपीआई?
यूपीआई को 2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा लॉन्च किया गया था। 2016 का विमुद्रीकरण, भारत के डिजिटल भुगतान के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर होने के छह महीने से भी कम समय में, यूपीआई पर कुल ट्रांजैक्शन की मात्रा 2.9 मिलियन से बढ़कर 72 मिलियन हो गई।
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2017 के अंत तक, यूपीआई लेनदेन पिछले वर्ष की तुलना में 900 प्रतिशत बढ़ गया था। इसके अलावा साल 2016 में ही जियो के लॉन्च होने के बाद देश में डाटा सस्ता मिलने लगा जिसे यूपीआई पेमेंट को और बढ़ावा दिया।
इन देशों में चलता है यूपीआई
यूपीआई देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहा है। यही कारण है कि इसकी सफलता के 7 साल में ही 10 देशों ने यूपीआई को अपना लिया है। ये देश सिंगापुर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यूके है। इन देशों में रहने वाले एनआरआई पैसे भेजने और प्राप्त करने के लिए यूपीआई का उपयोग कर सकते हैं।
देश में इस तरह बढ़ रहे UPI Transactions
- ट्रांजेक्शन 2022-23 में 83,453.79 मिलियन
- ट्रांजेक्शन 2023-24 में 130831.45 मिलियन
- ट्रांजेक्शन 2024-25 में 117507.31 मिलियन ट्रांजेक्शन (नवंबर तक)
राजधानी का दायरा बढ़ा, बढ़े एटीएम
मध्यप्रदेश में इकलौते भोपाल जिले में एटीएम की संख्या बढ़ी है। राजधानी का दायरा बढऩे से ग्रामीण क्षेत्र जुड़े और एटीएम की संख्या बढ़ गई। अभी भोपाल जिले में 1079 एटीएम हैं। इनमें 42 ग्रामीण, 15 कस्बों और 1022 एटीएम शहरों में हैं।
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प्रदेश में एटीएम
साल – संख्या
2016 – 9266
2017 – 9263
2018- 9579
2019 – 9345
2020 – 9201
2021 – 9322
2022 – 8812
2023 – 9328
2024 – 8992 (सितंबर तक)
यूपीआई का जलवा
चौधरी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत ने फाइनेंशियल इनक्लूजन और डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। जन धन योजना, यूपीआई के प्रसार और मोबाइल इंटरनेट को व्यापक रूप से अपनाने से ऐसा हुआ है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में यह 535 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2023-24 में 13,113 करोड़ हो गया। वित्त वर्ष 2024-25 (सितंबर तक) में 122 लाख करोड़ रुपये के 8,566 करोड़ से अधिक यूपीआई ट्रांजैक्शन रजिस्टर्ड किए गए हैं।