Goa Liberation Day: गोवा मुक्ति दिवस पर जानें गोवा के बारे में रोचक तथ्य
गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) भारत में हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है और भारतीय सशस्त्र बलों ने 1961 में पुर्तगाली (Portuguese) शासन के 450 वर्षों के बाद गोवा को मुक्त कराया था। वर्ष 2022 गोवा की आजादी के 61 साल पूरे होने का प्रतीक है।
गोवा के लिए दो तारीखों का विशेष महत्व है। ये तारीखें हैं पहली 19 दिसंबर और दूसरी 30 मई। ये दोनों ही कोई सामान्य तारीखें नहीं हैं। ये तारीखें गोवा की मुक्ति (Goa Liberation Day) से लेकर उसकी उन्नति और प्रगति की द्योतक हैं। और यह उस दिन को चिह्नित करता है जब भारतीय सशस्त्र बलों ने 1961 में पुर्तगाली शासन के 450 वर्षों के बाद गोवा को मुक्त कराया था। वर्ष 2021 गोवा की आजादी के 60 साल पूरे होने का प्रतीक है। गोवा मुक्ति दिवस को गोवा में बहुत सारे कार्यक्रमों और उत्सवों के रूप में चिह्नित किया जाता है, हालांकि इस बार महामारी के कारण समारोहों के मौन रहने की उम्मीद है। राज्य में तीन अलग-अलग स्थानों से मशाल की रोशनी में जुलूस निकाला जाता है, अंत में सभी आजाद मैदान (Azad Maidan) में मिलते हैं।
Goa Mukti Divas प्रति वर्ष ’19 दिसम्बर’ को मनाया जाता है। भारत को यूं तो 1947 में ही आज़ादी मिल गई थी, लेकिन इसके 14 साल बाद भी गोवा पर पुर्तग़ाली अपना शासन जमाये बैठे थे। 19 दिसम्बर, 1961 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय अभियान’ शुरू कर गोवा, दमन और दीव को पुर्तग़ालियों (Portuguese) के शासन से मुक्त कराया था।
गोवा मुक्ति आंदोलन -गोवा मुक्ति दिवस की कहानी (Goa Liberation Story)
गोवा मुक्ति आंदोलन की अगुवाई देश के महान समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने ही की थी। जहाँ कई बड़े-बड़े राजनेता यह सोचते थे की पुर्तगाली अंगेजों के साथ ही इस देश को छोड़कर चले जाएंगे तो वहीं लोहिया जी को यह पूर्ण विश्वास था की बिना आंदोलन किए पुर्तगाली गोवा को छोड़कर नहीं जाने वाले। डॉ. लोहिया जी की बात शत प्रतिशत सच निकली भारत की आजादी के कई साल बीतने के बाद भी पुर्तगाली गोवा को छोड़ कर नहीं गए।
भारत को स्वतंत्रता (Independence) मिलने के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी (First Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) ने पुर्तगाली सरकार से इन इलाकों को भारत को सौंपने का अनुरोध किया लेकिन पुर्तगाली सरकार ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि जब उन्होंने गोवा पर कब्जा किया था तब भारत गणराज्य अस्तित्व में ही नहीं था।
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गोवा के राष्ट्रवाद के जनक माने जाने वाले ‘डॉ. टी.बी. चुन्हा‘ की अध्यक्षता में वर्ष 1928 में मुंबई में ‘गोवा कांग्रेस समिति‘ का गठन किया गया। गोवा की पुर्तगालियों (Goa Liberation Story) से आजादी के लिए कई छोटे-मोटे संघर्ष चलते रहे, लेकिन इस स्वतंत्रता आंदोलन को डॉ. राम मनोहर लोहिया जी के गोवा पहुंचने के बाद काफी तेज रफ्तार मिली।
Dr. Ram Manohar Lohia ही वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने गोवा की आजादी के मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया। उन्होंने 1942 से ही गोवा को मुक्ति दिलाने का जिम्मा उठाया था। लोहिया जी ने 18 जून 1946 को गोवा जाकर वहाँ के लोगों को पुर्तगालियों के खिलाफ आंदोलन की चिंगारी जलाई।
गोवा में पहली बार हुआ आजादी का रणहुंकार(Goa Liberation Story) | when is goa liberation day
1946 में जब गोवा की राजधानी पंजिम (पणजी) में डा0 लोहिया की सभा में सविनय अवज्ञा की शुरुआत हुई तो वहाँ की पुलिस द्वारा टैक्सी सुविधा को बंद कर दिया गया। वह नजारा देखने लायक था जब 20 हजार की जनता के बीच घनघोर बारिश में लोहिया मड़गाँव स्थित इस सभा स्थल पर घोड़ागाड़ी से पहुँचे।
Dr. Ram Manohar Lohia जी को वहाँ से गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद पंजिम थाने पर गोवा की जनता द्वारा आक्रमण कर उन्हें बाहर निकलने का प्रयास किया गया। 500 वर्ष के इतिहास में गोवा में पहली बार आजादी का रणहुंकार हुआ।
भारतीय सेना के ऑपरेशन विजय की गोवा की आजादी में भूमिका (Indian Army Operation Vijay)
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, रक्षा मंत्री कृष्ण मेमन और गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल जी द्वारा पुर्तगाल सरकार से कई बार अनुरोध किया गया व कई कूटनीतिक तरीके भी अपनाए गए।
अंततः सरकार की बातचीत से जब काम नहीं बना तब 1961 में तीनों सेनाओं (जल सेना, थल सेना और वायु सेना) को युद्ध के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया।
जिसके बाद भारतीय सशस्त्र सेना बलों द्वारा 17 और 18 दिसंबर 1961 को ‘ऑपरेशन विजय‘ के तहत पुर्तगाली सेना पर आक्रमण कर दिया गया। भारतीय वायु सेना द्वारा पुर्तगाली ठिकानों पर बमबारी की गई तो वहीं थल सेना ने जमीनी स्तर पर हमले किए तथा समुंद्र में नौसेना से घिरा पाकर पुर्तगालियों ने आत्मासमर्पण कर दिया।
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36 घंटे से अधिक समय तक चले इस युद्ध में पुर्तगाली सेना के आत्मसमर्पण (Goa Liberation Story)के बाद तत्कालीन पुर्तगाल के गवर्नर जर्नल वसालो इ सिल्वा ने उस समय भारतीय सेना प्रमुख रहे पीएन थापर के सामने आत्मासमर्पण समझौते पर दस्तखत किए तथा भारत की ओर से ब्रिगेडियर एस एस ढिल्लों ने यह आत्मसमर्पण स्वीकार करने वाले दस्तावेजों पर दस्तखत किये।
गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास (History of Goa Liberation Day)
19 दिसंबर, 1961 की तारीख हिंदुस्तान की आजादी के समय तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहे गोवा की आजादी (Goa Liberation Day) का दास्तां को बयां करती है। जबकि, दूसरी तारीख 30 मई, 1987 गोवा के भारतीय संघ का एक पूर्ण राज्य बनने की गवाह है। यही तारीख गोवा का स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन यह विचारणीय प्रश्न है कि गोवा की मुक्ति (Goa Liberation Day) से लेकर उसके भारत के पूर्ण राज्य बनने के सफर में 14 साल का लंबा वक्त क्यों लगा और इस दौरान गोवा किससे अधीन था? तो आइए जानते हैं गोपांचल से आधुनिक गोवा बनने तक का रोचक सफर और 14 साल के इंतजार के पीछे की रोचक कहानी?
क्षेत्रफल के हिसाब से गोवा भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने सुंदर समुद्री तट और मशहूर स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है। 1961 के पहले तक गोवा पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। लगभग 450 सालों तक पुर्तगालियों ने गोवा पर राज किया। भारत की आजादी के बाद जब पुर्तगालियों को गोवा को भारत को सौंपने को कहा गया था, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। लेकिन भारत ने ऑपरेशन विजय के माध्यम से 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्त करा लिया गया और इसे दमन तथा दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास: (History of Goa Liberation Day) | goa liberation day history
- 1510 में पुर्तगालियों ने भारत के कई हिस्सों का उपनिवेश किया लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेदिवा द्वीप तक सीमित थे।
- गोवा मुक्ति आंदोलन, जिसने गोवा में पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की, छोटे पैमाने के विद्रोहों के साथ शुरू हुआ।
- 15 अगस्त 1947 को, जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की, गोवा अभी भी पुर्तगाली शासन के अधीन था।
- पुर्तगालियों ने गोवा और अन्य भारतीय क्षेत्रों पर अपना अधिकार छोड़ने से इनकार कर दिया। पुर्तगालियों के साथ असंख्य असफल वार्ताओं और राजनयिक प्रयासों के बाद, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने फैसला किया कि सैन्य हस्तक्षेप ही एकमात्र विकल्प था।
- 18 दिसंबर, 1961 से आयोजित 36 घंटे के सैन्य अभियान का कोड-नाम ‘ऑपरेशन विजय (Operation Vijay)’ था, जिसका अर्थ है ‘ऑपरेशन विक्ट्री’, और इसमें भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के हमले शामिल थे।
पुर्तग़ालियों का अधिकार पुर्तग़ाल ने गोवा पर अपना कब्ज़ा मजबूत करने के लिये यहाँ नौसेना के अड्डे बनाए थे। गोवा के विकास के लिये पुर्तग़ाली शासकों ने प्रचुर धन खर्च किया। गोवा का सामरिक महत्त्व देखते हुए इसे एशिया में पुर्तग़ाल शसित क्षेत्रों की राजधानी बना दिया गया। अंग्रेज़ों के भारत आगमन तक गोवा एक समृद्ध राज्य बन चुका था तथा पुर्तग़ालियों ने पूरी तरह गोवा को अपने साम्राज्य का एक हिस्सा बना लिया था। पुर्तग़ाल में एक कहावत आज भी है कि “जिसने गोवा देख लिया, उसे लिस्बन[1] देखने की ज़रूरत नहीं है।” सन 1900 तक गोवा अपने विकास के चरम पर था। उसके बाद के वर्षों में यहाँ हैजा, प्लेग जैसी महामारियाँ शुरू हुईं, जिसने लगभग पुरे गोवा को बर्बाद कर दिया। अनेकों हमले हुए, लेकिन गोवा पर पुर्तग़ाली कब्ज़ा बरकरार रहा। 1809-1815 के बीच नेपोलियन ने पुर्तग़ाल पर कब्ज़ा कर लिया और एंग्लो पुर्तग़ाली गठबंधन के बाद गोवा स्वतः ही अंग्रेज़ी अधिकार क्षेत्र में आ गया। 1815 से 1947[2] तक गोवा में अंग्रेज़ों का शासन रहा और पूरे हिंदुस्तान की तरह अंग्रेज़ों ने वहां के भी संसाधनों का जमकर शोषण किया।
भौगोलिक स्थिति एवं पौराणिक इतिहास (liberation day in goa)
गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है, जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्तर कन्नड़ जिला और पूर्व में पश्चिमी घाट तथा पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मडगांव, वास्को, मापुसा, तथा पोंडा राज्य के प्रमुख शहर हैं। राज्य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं। गोवा का उल्लेख भारतीय संस्कृति के कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। महाभारत के समय दक्षिण कोंकण क्षेत्र में गोवा को गोपराष्ट्र अर्थात गाय चराने वालों के देश के रूप में वर्णित है। कई अन्य संस्कृत श्लोक और धार्मिक ग्रंथों में इसे गोमांचल, गोपकपट्टम, गोपकेपुरी, गोवापुरी, गोवाराष्ट्र और गोमांतक आदि कई नामों से उल्लेखित किया गया है।
गोवा का राजनीतिक इतिहास
गोवा के प्रारंभिक राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो यह सातवाहन साम्राज्य का अंग रहा है। उसके बाद कदंब, मलखेड़ के राष्ट्रकूटों, चालुक्य तथा सिलाहार राजवंशों का राज रहा। 14वीं शताब्दी के अंत में यादवों का साम्राज्य समाप्त हुआ और दिल्ली के खिलजी वंश ने यहां शासन किया। नो इंडिया डॉट ओआरजी के मुताबिक, भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज करते हुए 1498 में वास्कोडिगामा और उसके बाद कई पुर्तगाली यात्री भारत पहुंचे थे। 1510 में अल्फांसो द अलबुकर्क ने विजयनगर के सम्राट की मदद से गोवा पर आक्रमण करके इसे कब्जा लिया।
गोवा की मुक्ति (Goa Liberation Day) और स्थापना दिवस (importance of goa liberation day)
15 अगस्त, 1948 को भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। किंतु, पुर्तगाली शासक गोवा वासियों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे थे। भारत सरकार के कई बार आग्रह के बावजूद जब पुर्तगाली नहीं माने तो फिर ऑपरेशन विजय की शुरुआत की गई। अंतत: 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्त करा लिया गया और इसे दमण तथा दीव के साथ मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। हालांकि, बाद में 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और दमण तथा दीव को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। तब से ही 30 मई का दिन गोवा का मुक्ति दिवस यानी स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। स्थापना के बाद पणजी को गोवा की राजधानी तथा कोंकणी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
गोवा के बारे में प्रमुख जानकारियां
- गोवा की मुख्य खाद्य फसल चावल है। इसके अलावा दालें, रागी तथा कुछ अन्य खाद्य फसलें भी उगाई जाती हैं।
- गोवा में नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्ने जैसी फसलों के साथ-साथ यहां अनन्नास, आम और केला भी होता है।
- गोवा के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है और शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है।
- गोवा में लघु उद्योगों की संख्या 7,110 है और 20 औद्योगिक परिसर हैं। राज्य के खनिज उत्पादों में फैरो मैंगनीज, बॉक्साइट, लौह-अयस्क आदि शामिल हैं।
- राज्य में मत्स्यकी का एक प्रमुख स्थान है, क्योंकि 90 प्रतिशत जनसंख्या यानी लगभग एक लाख लोग मत्स्य उद्योग में कार्यरत हैं।
- गोवा की सात प्रमुख नदियां जुआरी, मंडोवी, तेरेखोल, चापोरा, गलगीबाग, कुम्बरजुआ नहर, तलपोना और साल हैं।
- गोवा में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 264 किलोमीटर तथा प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 279.4 किलोमीटर है।
गोवा के पर्यटन स्थल
- कोलवा, कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना और मीरामार समुद्र तट गोवा के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।
- पुराने गोवा में बैसीलिका ऑफ बोम जीसस और से-केथेड्रल चर्च; कावलेम, मारडोल, मंगेशी तथा बनडोरा मंदिर भी प्रमुख स्थल हैं।
- अगुडा, तेरेखोल, चपोरा और काबो डि रामा किले; प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध दूधसागर और हरवालेम जलप्रपात तथा माएम झील हैं।
- गोवा में समृद्ध वन्यप्राणी उद्यान हैं, जैसे- बोंडला, कोटीगाव तथा मोलेम वन्यप्राणी उद्यान, भगवान महावीर अभयारण्य और चोराव में डॉ. सलीम अली पक्षी उद्यान, जिसका कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किलोमीटर है।
- गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर है और यहां की जनसंख्या लगभग 15 लाख है।
गोवा कैसे पहुंचे (डाबोलिम एयरपोर्ट, गोवा)
- सड़क मार्ग के अतिरिक्त गोवा कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई, मंगलौर और तिरूवनंतपुरम से जुड़ा है।
- इस रेलमार्ग पर अनेक तेज-रफ्तार रेलगाड़ियां संचालित हैं, जो भारत के कई प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं।
- हवाई यात्रियों के लिए मुंबई, दिल्ली, तिरूवनंतपुरम, कोच्चि, चेन्नई, अगाती और बेंगलुरु से गोवा के डबोलिम हवाई अड्डे के लिए नियमित विमान सेवाएं हैं।
गोवा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
गोवा राजधानी: पणजी।
गोवा के राज्यपाल: पी एस श्रीधरन पिल्लई।
गोवा के मुख्यमंत्री: प्रमोद सावंत।
प्रमुख बिंदु
- यह दिन उस अवसर को चिह्नित करता है जब भारतीय सशस्त्र बलों ने वर्ष 1961 में 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन से गोवा को मुक्त कराया था।
- वर्ष 1510 में पुर्तगालियों ने भारत के कई हिस्सों को उपनिवेश बनाया लेकिन 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेदिवा द्वीप (गोवा का एक हिस्सा) तक ही सीमित रहें।
- 15 अगस्त, 1947 को जैसे ही भारत को स्वतंत्रता मिली, भारत ने पुर्तगालियों से अपने क्षेत्रों को सौंपने का अनुरोध किया लेकिन इन्होंने इनकार कर दिया था।
- गोवा मुक्ति आंदोलन छोटे पैमाने पर एक विद्रोह के रूप में शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1940 से 1960 के बीच अपने चरम पर पहुँच गया।
- वर्ष 1961 में पुर्तगालियों के साथ राजनयिक प्रयासों की विफलता के बाद भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन विजय चलाकर 19 दिसंबर को दमन और दीव तथा गोवा को भारतीय मुख्य भूमि के साथ मिला लिया गया।
- 30 मई 1987 को इस क्षेत्र का विभाजन हुआ और गोवा का गठन हुआ तथा दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
- 30 मई को गोवा के स्थापना दिवस (Statehood Day of Goa) के रूप में मनाया जाता है।
अवस्थिति: गोवा, भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर कोंकण के रूप में जाने जाने वाले क्षेत्र में स्थित है और भौगोलिक रूप से दक्कन उच्च भूमि से पश्चिमी घाट द्वारा अलग होता है।
आधिकारिक भाषा: कोंकणी
- कोंकणी, आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है।
- इसे वर्ष 1992 के 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा मणिपुरी और नेपाली भाषा के साथ आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था।
सीमा: यह उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व और दक्षिण में कर्नाटक से घिरा हुआ है तथा अरब सागर इसके पश्चिमी तट पर है।
भूगोल
- गोवा का उच्चतम बिंदु सोंसोगोर (Sonsogor) है।
- गोवा के उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है, राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में मांडवी, जुआरी, चपोरा, रखोल, गलगिबाग, कुम्बरजुआ नहर, तलपोना और साल आदि शामिल हैं।
- गोवा की अधिकांश मृदा आवरण लैटेराइट से बना है।
वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान
- डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य
- महादेई वन्यजीव अभयारण्य
- नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य
- कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य
- भगवान महावीर अभयारण्य
- मोलेम नेशनल पार्क