हिंसा और संकट में महिलाओं की मददगार है One Stop Centre Yojana

One Stop Centre Yojana : केन्द्र सरकार द्वारा 2015 में महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी) का आज देशभर की महिलायें लाभ ले रही हैं।

One Stop Centre Yojana : केन्द्र सरकार द्वारा 2015 में महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी) का आज देशभर की महिलायें लाभ ले रही हैं। सरकार का उद्देश्य है कि संकट के समय महिला इस योजना का लाभ लेकर परेशानी से छुटकारा पा सकती है।

अब वन स्टॉप सेंटर बनाए जाने की योजना

केन्द्र सरकार द्वारा हिंसा से प्रभावित महिलाओं का समर्थन और सहायता करने के लिए 1 अप्रैल 2015 से वन स्टॉप सेंटर योजना लागू की गई थी। यह योजना मूल रूप से सखी के नाम से जानी जाती है। इसके तहत प्रत्येक जनपद में एक सखी वन स्टॉप सेंटर बनाए जाने की योजना हैं। वन स्टॉप सेंटर स्कीम एक ऐसी व्यवस्थाएं है जहां हिंसा प्रताड़ित से पीड़ित कोई भी महिला किसी भी समय मदद ले सकती है।

One Stop Centre Yojana क्या है ?

घर से लेकर कार्यालय तक, महिलाओं को कई बार भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। चाहे वो ऑनर किलिंग हो फिर दहेज प्रताड़ना, एसिड अटैक या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात करवाना। इस तरह की घटनाओं को रोकने और इसके खिलाफ महिलाओं को मजबूती से खड़ा करने के मकसद से ही ‘वन स्टॉप सेंटर योजना’, जिसे ‘सखी’ नाम से भी हम जातने हैं।

महिलाओं को तुरंत मदद मिलनी शुरू हो जाती है

वन स्टॉप सेंटर योजना के अंतर्गत, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ऐसी महिलाओं को सहायता प्रदान करता है, जो शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या यौन शोषण की परेशानी झेल रही है। घर, कार्यालय या किसी भी अन्य जगह लिंग के आधार पर हिंसा झेलने वाली महिलाओं को तुरंत कानूनी, मेडिकल और अगर जरूरत है तो मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग दी जाती है।

इस तरह मिलता है इस योजना का लाभ

पीड़ित महिला की तरफ से शिकायत दर्ज कराते ही संबंधित जिले या इलाके के डीपीओ, पीओ, डीएम, डिप्टी एसपी, एसपी या फिर सीएमओ के पास मैसेज पहुंच जाएगा। इसके साथ ही सिस्टम में महिला का केस दर्ज हो जाता है और उसकी एक यूनिक आईडी बन जाती है।

हर जिले में वन स्टॉप सेंटर बने हुए

देश के हर जिले में वन स्टॉप सेंटर बने हुए हैं। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या फिर जिला कार्यक्रम अधिकारी की मदद से पीड़ित महिलाएं वन स्टॉप सेंटर तक आसानी से पहुंच सकती हैं। इसके अलावा पीड़ित महिलाएं हेल्पलाइन नंबर 181 पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। यह नंबर 24 घंटे उपलब्ध रहता है।

महिला को तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल पहुंचाया जाता

वन स्टॉप सेंटर के तहत किसी महिला के साथ हुई हिंसा की शिकायत पहुंचती है, उसे तुरंत इमरजेंसी रेस्क्यू सर्विस दी जाती है। वन स्टॉप सेंटर, 108 सर्विस और पीसीआर के साथ मिलकर नेशनल हेल्थ मिशन की मदद से महिला का बचाव तत्काल करता है। महिला को तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल या शेल्टर होम पहुंचाया जाता है।

  • मेडिकल की सहायता मिलती है:- पीड़ित महिला को स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के तहत हर तरह की मेडिकल सहायता दी जाती है।
  • मानसिक काउंसलिंग करवाते हैं:- ऐसे मामलों में अक्सर महिलाएं मानसिक तौर पर भी टूट जाती हैं। इसलिए, वन स्टॉप सेंटर पीड़ित महिला के लिए काउंसलिंग की भी व्यवस्था करता है।
  • कानूनी मदद दी जाती है:- अपने हक की लड़ाई लड़ने और इंसाफ पाने में मदद करने के लिए वन स्टॉप सेंटर से पीड़ित महिला को वकील की भी व्यवस्था कराई जाती है।

इसलिए खास है यह योजना

महिलाओं के लिये यह योजना इसलिए खास है कि यह सेवा उनके लिए 24 घंटे शुरू रहती है। पीड़ता का पैसा नहीं लगता। शिकायत करते ही संबंधित अधिकारी कर्मचारी सक्रिय हो जाते हैं। और पीड़ता महिला को सहायता दिलवाना शुरू कर देते हैं। हालांकि इस योजना का प्रचार प्रसार कम होने के कारण कई पीड़ित महिलायें इस योजना का लाभ नहीं ले पाती हैं।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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