MP News : विभा पटेल बोलीं – डॉक्टर हड़ताल पर गए तो हजारों मरीजों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा
Latest MP News : विभा पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह सरकार गलत नीतियों के कारण भोपाल समेत प्रदेश भर के 9000 डॉक्टरों को आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ा है।
Latest MP News : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर विभा पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार गलत नीतियों के कारण भोपाल समेत प्रदेश भर के 9000 डॉक्टरों को आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ा है। ये सभी 17 फरवरी से बेमुद्दत हड़ताल पर गए तो भोपाल समेत पूरे प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं ठप पड़ जाएगी। हजारों मरीजों का जीवन संकट में पड़ जाएगा। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान सरकार को डॉक्टरों की मांगों के मामले में संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए। मांगें स्वीकार करने में भी उदारता दिखाना चाहिए।
विभा पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर नहीं हो पा रही है। वैसे भी राज्य का स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा का कुल बजट 10 हजार 711 करोड़ रु. है। इसके बाद भी आम मरीजों को ही नहीं बल्कि प्रसव पीड़ा से जूझती गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों के बीच भटकना पड़ता है। आउटसोर्स एवं संविदाकर्मियों को नियमित नहीं किए जाने से हालत ये है कि अब पैरामेडिकल स्टाफ सरकारी नौकरी में आने से कतरा रहा है। यही हालत डॉक्टरों के भी है।
विभा पटेल ने कहा कि रूरल हेल्थ स्टैटिक्स की 2021-22 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में मध्यप्रदेश, देश में सबसे खराब स्थान पर है। यहां स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 95 प्रतिशत पद खाली हैं। सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों की कमी है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल तक 8717 चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के पद हैं, लेकिन इनमें 4513 खाली हैं। प्रदेश के 1199 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 264 बिना डॉक्टर के, 617 बिना लैब टेक्नीशियन और 397 बिना फार्मासिस्ट के हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
विभा पटेल ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थागत ढांचे में जरुरी सुधार नहीं किए जाने से प्रदेश में प्रशिक्षित और दक्ष नर्सों का संकट पूर्व से है। ऐसा नहीं कि बजट की कमी हो, लेकिन पर्याप्त बजट होने के बाद भी उसका सदुपयोग मैदानी डिमांड अनुसार नहीं होने के कारण सभी दूर लैब टेक्नीशियन के कई पद खाली है।
रेडियोलॉजिस्ट, कंपाउंडर सहित जरुरी पैरामेडिकल स्टॉफ भी नहीं है। हालत ये है कि प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा लोगों पर केवल एक ही डॉक्टर है। इससे प्रदेश में डॉक्टर्स की भारी संख्या में कमी नजर आती है। कई गांवों की स्थिति तो यह है कि केवल कंपाउंडर और नर्स के भरोसे ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण शहर, तहसील, ब्लॉक एवं ग्रामीण स्तर पर डॉक्टरों, नर्सों, कम्पाउंडर के लिए जरुरी रहवास, परिवहन, आवश्यक संसाधन का प्रबंध, बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराना है। इस वजह से आसपास के क्षेत्रों और गांवों के लोगों को प्राइवेट नर्सिंग होम की ओर रुख करना पड़ता है।
विभा पटेल ने कहा कि निजी अस्पतालों में इलाज के कारण मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों की जेब पर बुरा असर पड़ रहा है। कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब डॉक्टरों की कमी या समय पर इलाज न हो पाने के कारण लोगों की जान तक चली गई। इसके बाद भी शिवराज सिंह चौहान सरकार की खामोशी आश्चर्यजनक है, ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में उन्होंने शिवराज सिंह चौहान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अपने झूठे विकास का ढिंढोरा पीटने की जगह प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए जरुरी कदम उठायें।