RSS के स्वयं सेवक हो सकते हैं KAASHI और MATHURA मुक्ति आंदोलन में शामिल

RSS ने काशी और मथुरा को लेकर नई घोषणा की है। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कार्यकर्ताओं को दोनों की मुक्ति मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति दे दी है।

RSS: उज्जवल प्रदेश, मुंबई. RSS यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने काशी (KAASHI) और (&) मथुरा (MATHURA) को लेकर नई घोषणा की है। खबर है कि सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कार्यकर्ताओं को दोनों की मुक्ति (Liberation) मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति दे दी है।

कन्नड़ पत्रिका से बातचीत में उन्होंने तीन भाषा नीति का भी समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह नीति 95 फीसदी भाषा विवाद का समाधान कर सकती है। एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, कन्नड़ पत्रिका विक्रम से बातचीत में होसबाले ने कहा, ‘उस समय (1984) में विश्व हिंदू परिषद, संतों और साधुओं ने तीन मंदिरों की बात की थी।

अगर स्वयं सेवकों (Volunteers) का एक वर्ग इन तीन मंदिरों (अयोध्या में राम जन्मभूमि मिलाकर) के मामले में आंदोलन (Movement) में जुटना (Join) चाहता है, तो हम उन्हें नहीं रोकेंगे।’ हालांकि, उन्होंने बड़े स्तर पर मस्जिदों पर सवाल उठाने के खिलाफ चेताया और सामाजिक मतभेद से बचने की बात कही है।

तीन भाषा नीति का समर्थन

होसबाले ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण की भी बात कही है। उन्होंने कहा, ‘हमारी सभी भाषाओं में बड़े स्तर पर साहित्यिक काम हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर भविष्य की पीढ़ियां इन भाषाओं को नहीं पढ़ेंगी और लिखेंगी, तो वे कैसे आगे बढ़ेंगी? अंग्रेजी के प्रति लगाव मुख्य रूप से व्यवहारिक कारणों से है…।

एक और अहम पहलू ऐसा आर्थिक मॉडल बनाना है, जहां भारतीय भाषाओं में पढ़े लोगों को रोजगार मिल सके।’ उन्होंने कहा, ‘वरिष्ठ बुद्धिजीवियों, न्यायाधीशों, शिक्षकों, लेखकों और राजनीतिक और धार्मिक नेताओं को इस मामले में प्रगतिशील रवैया अपनाना चाहिए।’

हिंदी पर राजनीति पर क्या बोले

अखबार के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘इतने बड़े देश में अच्छा होगा कि सभी संस्कृत सीख लें। डॉक्टर आंबेडकर ने भी इसकी वकालत की थी। कई लोगों की बोली जाने वाली भाषा सीखने में कोई परेशानी नहीं है। जिन लोगों को रोजगार चाहिए, उन्हें उस राज्य की भाषा सीखनी चाहिए।

परेशानी तब होती है, जब राजनीति और विपक्ष के नाम पर इसे थोपे जाने का मुद्दा बना दिया जाता है। क्या भाषा विविधता के बाद भी भारत एकजुट हजारों सालों से एकजुट नहीं है? ऐसा लग रहा है कि हमने भाषा को आज परेशानी बना दिया है।’

Ramesh Kumar Shaky

रमेश कुमार शाक्य एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास 22 वर्षों से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार संगठनों के साथ काम किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। वे समाचार का प्रबंधन करने, सामग्री तैयार करने और समय पर सटीक समाचार प्रसारण सुनिश्चित करने में माहिर हैं। वर्तमान घटनाओं की गहरी समझ और संपादकीय कौशल के साथ, उन्होंने समाचार उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। उन्होंने राजनीति, व्यापार, संस्कृति और अंतर्राष्ट्रीय मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समाचार कवरेज एवं संपादन किया है।

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