Basaveshwar Jayanti 2022: बसव जयंती किस तारीख को मनाई जाती है?

विश्वगुरु बसवेश्वराजी जयंती (बसवा जयंती) 03 मई 2022 (Basaveshwar Jayanti 2022) को है। भारत समेत कई अन्य देशों में रह रहे लिंगायत समाज के लोगों द्वारा बसवा जयंती मनाई जाती है।

Basaveshwar Jayanti 2022 : बसवेश्वर जयंती 2022 | बसवा जयंती के दिन सभी लोग विश्वगुरु बसवेश्वरा को श्रद्धांजलि देते हैं क्योंकि उनका भारतीय समाज में महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिस कारण सभी लोग उनका अत्यधिक आदर करते हैं और विश्वगुरु बसवेश्वराजी की शिक्षाओं को अपने जीवन में शामिल करने की कोशिश करते हैं।

बसवेश्वरा का जन्म कहां हुआ | Basaveshwar Jayanti date 2022 | Basava Jayanti date of birth

महात्मा बसवेश्वर जयंती 2022 : एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था विश्वगुरु बसवेश्वर का जन्म। विश्वगुरु बसवेश्वर का जन्म 1131 ईस्वी में बागेवाड़ी में हुआ था जो कि अविभाजित कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित था। यह लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक संत है जिन्हें भक्ति भंडारी, बसल और विश्वगुरु भी कहा जाता है।

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लिंगायत समुदाय द्वारा मुख्य रूप से मनाई जाती है बसवा जयंती। भारत के कई राज्य जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में बसवा जयंती को मनाते है। कर्नाटक में मुख्य रूप से इस दिन अवकाश होता है। 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक mahatma basweshwar jayanti की याद में लिंगायत समुदाय के लोग इसको एक पर्व के रूप में मनाते है।

बसव जयंती 2022, 2023 और 2024 | basaveshwar jayanti date 2022 | बसवेश्वर जयंती तिथि 2022

mahatma basweshwar jayanti date 2022 | basava jayanti 2022 कर्नाटक में छुट्टी का दिन होता है और इसे पूरे दक्षिणी राज्यों में भी मनाया जाता है। basweshwar jayanti 2022 date

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
20223 मईमंगलवारबसव जयंतीKA
202323 अप्रैलरविवारबसव जयंतीKA
202410 मईशुक्रवारबसव जयंतीKA

बसवेश्वरा का समाज में योगदान

  • विश्वगुरु बसवेश्वराजी की जयंती पर लोग उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं।
  • मनुष्य के जीवन में मानसिक पवित्रता को सबसे श्रेष्ठ माना।
  • सच्चाई से भक्ति मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
  • ध्यान और पूजा को सरल बनाने का प्रयास किया और एक ईश्वर की उपासना का समर्थन किया।
  • समाज से भेदभाव को खत्म करना चाहते थे। उन्होंने समाज में स्त्रियों को बराबरी का दर्जा देने की भी कोशिश की।
  • वह जाति प्रथा को समाप्त करना चाहते थे और सबको एक रूप से देखते थे, शायद यही वजह है कि उस समय समाज के निचले तबके के लोगों ने उनका अनुसरण किया।

List of Monthly Holidays 2022 | Month Wise Government Holidays in 2022

Holidays in January 2022Holidays in February 2022Holidays in March 2022Holidays in April 2022
Holidays in May 2022Holidays in June 2022Holidays in July 2022Holidays in August 2022
Holidays in September 2022Holidays in October 2022Holidays in November 2022Holidays in December 2022

विश्वगुरु बसवा का समाज सुधारक के रूप में योगदान

उनका आध्यात्मिक अनुशासन अचरा यानि सही तरह से व्यवहार करना, अरिवु अर्थात सत्य का ज्ञान और अनुभव पर आधारित था। वो अपने अच्छे कर्मों से ईश्वरीय अनुभव प्राप्त करने पर जोर देते थे। व्यवहार की सच्चाई ही व्यक्ति को ईश्वरीय अनुभव करा सकती है। उन्होंने अपने विचारों से 12 वीं शताब्दी में धार्मिक और सामाजिक क्रांति को जन्म देने का काम किया। उनके द्वारा दिखाया गया पथ लिगंगयोग (परमात्मा के मिलन) के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके अनुसार भक्ति, क्रिया और ज्ञान को बहुत ही उचित तरीके से संतुलित करते हुए अपने जीवन को सुखद बनाया जाता है।

विश्वगुरु बसवा ने प्रधानमंत्री के रूप में भी किया काम

1157-1167 ईस्वी में कलचुरी राजा बिज्जला ने प्रारंभिक अवस्था में विश्वगुरु को अपना कणिका यानी लेखाकार बनाया था और उसके बाद उन्होंने उन्हें अपने यहां प्रधानमंत्री के पद पर भी नियुक्ति किया।

विश्वगुरु बसवा ने समाज सुधार के लिए आंदोलन

बसवेश्वरजी ने समाज की विभिन्न बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और आंदोलन शुरू किया जिससे कि वह परंपरावादी समाज में व्यापक बदलाव लाने में सफल रहे। वह जाति, पंथ और लिंग के भेदभाव को दूर करना चाहते थे। उनके अथक प्रयासों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव किये, उनके अनुयायी उनकी स्पष्ट सोच से आकर्षित होते थे और समाज सुधार के कार्यों में उनका साथ देते थे।

विश्वगुरु बसवेश्वर के सिद्धांत

बसवेश्वर ने दो महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी वह निम्नलिखित है-

  1. कायाका (ईश्वरीय कार्य)

कायाका सिद्धांत के अनुसार समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को अपनी पसंद और इच्छानुसार काम करना चाहिए एवं उस काम को अपने पूरी कोशिश और ईमानदारी के साथ करने की कोशिश करनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हर व्यक्ति को अपनी रूचि के अनुसार कार्य करना चाहिए और उस काम को पूरा करने में वह किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। बसवेश्वरा जी ने सत्यनिष्ठा पर बहुत जोर दिया।

  1. दसोहा (समान वितरण)

दसोहा सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक समान कार्य के लिए समान आय को महत्व दिया गया था। उनका कहना था कि जो भी व्यक्ति अपनी मेहनत से कमाई करता है तो उसे वह अपने वर्तमान जीवन पर खर्च कर सकता है लेकिन वह अपने भविष्य के लिए किसी भी प्रकार की कोई धन या फिर संपत्ति को संरक्षित नहीं करे बल्कि उसे चाहिए कि वह समाज में रहने वाले दूसरे गरीबों को उसमें से कुछ हिस्सा दे। इस प्रकार अगर हर व्यक्ति अपनी आय में से कुछ हिस्सा जरूरतमंद लोगों को दे दे तो समाज में बहुत सारे लोगों की समस्याएं दूर हो सकती हैं।

basaveshwara jayanti 2022 के प्रमुख बिन्दु

  • भगवान बसवन्ना के कार्यों और विचारों को शांति और आनंद फैलाने के लिए दुनिया भर में फैलाना है।
  • बसवन्ना एक कन्नड कवि, दार्शनिक, समाज सुधारक और राजनेता थे और कलचुरी-वंश के राजा बिज्जला-1 के शासन के दौरान भारत के कर्नाटक में रहते थे।
  • अनुभव मंतना की अवधारणा बसवन्ना द्वारा शुरू की गई थी, जहां पुरुषों और महिलाओं को जीवन के सांसारिक और आध्यात्मिक सवालों को सीखने और चर्चा करने के लिए स्वागत किया गया था और इसमें विभिन्न जातियों और समुदायों से आए शरणार्थिंयों ने भी भाग लिया।
  • शरना आंदोलन भी बसवन्ना द्वारा शुरू किया गया था, जिसने सभी जातियों के लोगों को आकर्षित किया और इसके परिणामस्वरूप साहित्य के एक कोष, वचनों का उत्पादन किया।
  • वेयन ने वीरशैव संतों के आध्यात्मिक ब्रह्मांड को प्रकट किया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर 2015 में लंदन में टेम्स नदी के किनारे और 2017 में बासवन्ना की मूर्ति का उद्घाटन किया, बसवन्ना के पवित्र वचनों का डिजिटलीकरण प्रस्तावित भी किया।

पिछले कुछ वर्ष

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
202114 मईशुक्रवारबसव जयंतीKA
202026 अप्रैलरविवारबसव जयंतीKA
20198 मईबुधवारबसव जयंतीKA
201818 अप्रैलबुधवारबसव जयंतीKA
201729 अप्रैलशनिवारबसव जयंतीKA

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