Bhanu Jayanti 2022: नेपाली भाषा के पहले लेखक हैं भानुभक्त आचार्य
Bhanu Jayanti 2022: नेपाली भाषा के पहले लेखक हैं भानुभक्त आचार्य। भानुभक्त आचार्य एक नेपाली लेखक, कवि और अनुवादक थे। रामायण को संस्कृत से नेपाली भाषा में अनुवाद करने वाले पहले व्यक्ति होने के कारण उन्हें आदिकवि की उपाधि दी गई है। कवि मोतिराम भट्ट ने उनकी कविताओं का प्रकाशन किया था।
Bhanu Jayanti 2022: संस्कृत में कविता रचना तो होती थी, लेकिन आचार्य ने नेपाली भाषा में कविता लिखना शुरू किया। जिसकी वजह से भाषा के प्रवर्द्धन के साथ ही उन्हें राणा शासकों से समर्थन प्राप्त किया। राम गाथा सुनने के बाद उनमें रामायण को नेपाली में अनुवाद करने की इच्छा जागृत हुई।
विद्वान मानते हैं कि भौगोलिक प्रभाव और आंतरिक मर्म को बरकरार रखते हुए अनुदित भानुभक्तीय रामायण में वाल्मीकीय रामायण का भाव मौजूद है जिसकी वजह से यह कृति कविता होने के बावजूद गाना जैसी सुनती है।
भानुभक्त की शिक्षा और बचपन
13 जुलाई 1814 को भानुभक्त आचार्य नेपाल के तनहुँ जिले में स्थित चुँदी रम्घा में पिता धनंजय और माता धर्मावती के घर पैदा हुए थे। उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। आचार्य ने संस्कृत की प्राथमिक शिक्षा अपने दादा से और उच्च शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की।
प्राचीन काल में मौखिक रूप तक सीमित थी भाषाएं
नेपाली सहित दक्षिण एशियाई भाषाएं ज्यादातर मौखिक रूप तक सीमित थीं जिसकी वजह से भाषाओं में लेखन कम ही होता था। दक्षिण एशिया के लिखित ग्रंथ अधिकांश संस्कृत में उपलब्ध होने की वजह से वे आम जनता के लिए अगम्य थे। चूंकि शिक्षकों, छात्रों और पंडितों के पद में ब्राह्मणों की अग्रता थी, सभी धर्म ग्रंथों तथा अन्य साहित्यिक कृतियों की पहुंच ब्राह्मणों और संस्कृत में शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों तक सीमित थे।
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आचार्य नहीं थे विदेश साहित्य से परिचित
आचार्य ने न ही कभी पश्चिमी शिक्षा प्राप्त की न ही वे विदेशी साहित्य से परिचित थे जिसके कारण उनकी कृतियों में एक विशिष्ट नेपाली स्पर्श पाया जाता है। उनकी कृतियां आम तौर पर धर्म, सादगी और देशभक्त जैसी भारी विषयों पर आधारित होने के बावजूद सरल भाषा में प्रस्तुत हैं। धनाढ्य परिवार में पैदा होने के कारण उन्हें जीवन में तब तक किसी चीज की कमी महसूस नहीं हुई जब तक उनकी एक घांसी से मुलाकात हुई। उस घांसी से बातचीत करने के बाद आचार्य भी अपने समाज को प्रभावित करने वाले योगदान देने को प्रभावित हुए।
आचार्य ने दो उत्कृष्ट रचनाएं लिखी
आचार्य ने अपने जीवन में कुल दो उत्कृष्ट रचनाएं लिखीं जिनमें भानुभक्तीय रामायण और कारावास में प्रधानमंत्री के लिए लिखा गया चिट्ठी समावेश होते हैं। आधिकारिक कागजात में हस्ताक्षार करते समय हुई गलतफहमी की वजह से उन्हें कारावास की सजा सुनाई गई। कारावास में उनका स्वस्थ्य बिगड़ता गया और उन्हें रिहाई की उम्मीद तो कई बार दी गई, लेकिन उनके मुद्दे की सुनवाई तक नहीं हुई। इसीलिए उन्होंने अपनी रिहाई की विनती करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी जिसे वर्तमान में उनकी उत्कृष्ट रचनाओं में से एक मानी जाती है। उस चिट्ठी में लिखी गई कविता ने न ही उन्हें उनकी रिहाई दिलाई बल्कि उन्हें क्षतिपूर्ति के लिए पैसे भी दिए गए।
जीते जी अप्रकाशित रहीं कविताएं
1868 में उनकी मृत्यु के समय में उन्हें ज्ञात नहीं था कि किसी जमाने में वे नेपाल के सबसे विख्यात कवियों में से एक होंगे। उनके जीवन में उनकी रचनाएं अप्रकाशित रहीं जिसकी वजह से उस वक़्त उन्हें अपनी कृतियों का श्रेय नहीं मिला। 1887 में कवि मोतिराम भट्ट ने आचार्य की कृतियां पता लगाकर वाराणसी में मुद्रण के लिए ले जाने के बाद ही उनकी कृतियों का प्रकाशन हुआ। आचार्य की कृतियों में से एक काठमांडू घाटी और उसकी बाशिंदों के वर्णन के लिए विख्यात है। हालाँकि आचार्य नेपाल के सबसे विख्यात कवियों में से एक हैं, उनकी कृतियाँ नेपाली साहित्यिक इतिहास के अन्य कवियों की कृतियों जितनी विख्यात नहीं हैं।
भानु जयंती Observances
Year | Date | Day | Holiday |
2022 | 13 जुलाई | बुध | Bhanu Jayanti |
2021 | 13 जुलाई | मंगल | Bhanu Jayanti |
2020 | 13 जुलाई | सोम | Bhanu Jayanti |
भानुभक्त आचार्य की रचना
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