Navgrah Mantra का जाप करने से सुख- समृद्धि में होती है वृद्धि

नवग्रह मंत्र जाप (Navgrah Mantra) करने से आप का जीवन सुख और समृद्धि से भर जायेगा। क्या आप को पता है नवग्रह मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए, नहीं न। आज आप को हम इस आर्टिकल के माध्यम से ये सभी जानकर देंगे।

भारत एक ऐसा देश है, जहां विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय देखने को मिलता है. जब जग को यह तक ज्ञात नहीं था कि धरती गोल है, तभी से भारत के ऋषि-मुनियों को Navgrah होने का ज्ञान था.

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ग्रह जब प्रसन्न होते हैं तो व्यक्ति को अत्यंत बलवान, धनवान, ऐश्वर्यवान और कीर्तिवान बना देते हैं एवं रुष्ट होने पर व्यक्ति को बर्बाद करने की क्षमता भी रखते हैं. तो आज हम आपको कुछ ऐसे चमत्कारिक Navgrah Mantro के बारे में बता रहे हैं, जिससे ग्रह आप पर प्रसन्न होकर आपको मालामाल कर देंगे.

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आज आप को हम navgrah mantra के बारे में बताएँगे वो भी हमारी मात्र भासा hindi में. ये नवग्रह मंत्र संस्कृत में होते है. इन नवग्रह मंत्र जप संख्या आप के ग्रहों की स्तिथि पर निर्भर करता है, आप की राशि में ग्रहों की दसा ख़राब है तो आप इन नवग्रह का जप 108 बार कर सकते है. नवग्रह नाम और उनसे जुड़े सभी मंत्र के बारे में हम आप को क्रम से बता रहें हैं.

नवग्रह मंत्र इस प्रकार है –

सूर्य

सूर्य को सभी ग्रहों की आत्मा के रूप में जाना जाता है. भगवान सूर्य की पूजा से शक्ति, साहस, यश, सफलता और समृद्धि हासिल होती है.
सूर्य का मंत्र है: “ॐ ह्रीं ह्रों सूर्याय नम:”

चंद्रमा

चंद्रमा व्यक्ति के मन का प्रतिनिधित्व करता है इनकी पूजा मानसिक शांति, धन की प्राप्ति और जीवन में सफलता के लिए उपयोगी है.
चंद्रमा का मंत्र है: “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:”

मंगल

मंगल की पूजा से जीवन में सही स्वास्थ्य, शक्ति, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
मंगल का मंत्र है: “ॐ हूं श्री मंगलाय नम:”

बुध

बुध व्यक्ति की वाणी, बुद्धि, तर्क और सतर्कता का कारक होता है. बुध की पूजा से ज्ञान, धन और शारीरिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
बुध का मंत्र है: “ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नम:”

बृहस्पति

बृहस्पति सबसे लाभकारी ग्रहों में से एक है. इनकी पूजा से धन, शिक्षा और संतान की प्राप्ति होती है और व्यक्ति दीर्घायु होता है.
बृहस्पति का मंत्र है: “ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम:”

शुक्र

शुक्र की पूजा से जीवन में खुशियों की प्राप्ति होती है, प्रेम और रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है.
शुक्र का मंत्र है: “ॐ ह्री श्रीं शुक्राय नम:”

शनि

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है. शनि की पूजा से मानसिक शांति, खुशी, स्वास्थ्य और समृद्धि में बढ़ावा मिलता है.
शनि का मंत्र है: “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नम:”

राहु

राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है. राहु की पूजा से जीवन में शक्ति और समाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होती है.
राहु का मंत्र है: “ॐ ऐं ह्रीं राहवे नम:”

केतु

ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है परंतु केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं, केतु की पूजा से स्वास्थ्य, धन, भाग्य, खुशी में वृद्धि होती है.
केतु का मंत्र है: “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”

नवग्रह पूजा के लाभ

  • यह पूजा पाप ग्रहों को शांत करती है और शुभ ग्रहों को मजबूत करती है.
  • यह पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन से बाधाओं को दूर करता है.
  • उन लोगों के लिए नवग्रह पूजा शुभ होती है जो अपने करियर, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में बाधाओं, देरी, संघर्ष या नुकसान का सामना कर रहे हैं.
  • इस पूजा को करने से आपको जीवन के सभी क्षेत्रों में अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि, सद्भाव और सफलता की प्राप्ति होगी.
  • यह जीवन की लंबी उम्र प्रदान करने वाले सभी वास्तु दोषों को भी दूर करता है.

FAQ

नवग्रह का मंत्र क्या है?

नौ तरह के इन नवग्रहों का एक अपना मंत्र होता है. Navgrah Mantra इस प्रकार है – “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”, “ॐ ऐं ह्रीं राहवे नम:”, “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नम:” , “ॐ ह्री श्रीं शुक्राय नम:” , “ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम:” , “ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नम:” , “ॐ हूं श्री मंगलाय नम:” , “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:” , “ॐ ह्रीं ह्रों सूर्याय नम:”

नवग्रह मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

– कुछ नवग्रह अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। अगर इनकी पूजा-अर्चना की जाए तो ये मनुष्य की समस्त समस्याओं, बाधाओं को हर लेते हैं. यदि हर रोज़ Navgrah Mantra Jaap 31 या 108 बार किया जाए तो उपासक को सभी ग्रहों की अनुकनलता प्राप्त होती है और शुभ फल मिलते हैं.

नवग्रह बीज मंत्र क्या है?

– जन्म कुंडली में ग्रह शुभ भी होते हैं और अशुभ भी। अगर आप को अपने जन्म कुंडली में नवग्रह दोस का ज्ञान नहीं है तो आप नवग्रह बीज मंत्र का जाप कर सकतें है इस मन्त्र को एकाक्षरी बीज मंत्र भी कहा जाता है जो निम्न है – “ॐ घृणि: सूर्याय नम:“.

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