पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया शिवलिंग पर अर्पित जल पीने से क्या होता है ?
Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : शिवमहापुरान में लिखा है जो विधिपूर्वक शिवलिंग को स्नान कराकर उस जल को तीन बार पीता है, उसके समस्त पाप शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं ...
Pandit Pradeep Ji Mishra Sehore Wale : चाहे सावन का दिन हो या कोई सोमवार आज हम बात करेंगे की किस दिशा में किस स्थान पर किस पात्र से जल अर्पण कर भोले नाथ को खुश किया जा सकता है। ज्ञात हो की गलत ढंग से किया गया पूजा अर्चना आप को नुकसान पहुंचा सकती है। आप आप को प्रदीप मिश्रा जी सीहोर वाले के द्वार कही गयी अच्छी जानकारी बता रहे है।
शिवलिंग पर किस दिशा में जल चढ़ाएं
हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं। क्योंकि उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है। जो मातापार्वती को समर्पित है। इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल न चढ़ाएं। पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है, और इस दिशा की ओर मुख करने से शिव के द्वार अवरोध होता है और वो रुष्ट हो जाते हैं।
शिव जी को कौन से लोटे से जल चढ़ाना चाहिए?
जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं। भूलकर भी स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे शिव जी रुष्ट हो जाते हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इन बातों का रखे ध्यान
- जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं। भूलकर भी स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे शिव जी रुष्ट हो जाते हैं।
- हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें। यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए।
- कभी भी शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शिव कृपा प्राप्त नहीं होती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल के पात्र में कोई अन्य सामग्री न मिलाएं। कोई भी सामग्री जैसे पुष्प, अक्षत या रोली जल में मिलाने से उनकी पवित्रता ख़त्म हो जाती है।