What is Nowruz (Navroz) Parsi New Year, when, where, and why is it celebrated

पारसी नववर्ष 2022 (Parsi New Year) में 16 अगस्त को पारसियों द्वारा मनाया जाएगा। पारसी नववर्ष को नवरोज (nowruz parsi) के नाम से भी जाना जाता है।

पारसी समुदाय के लिए Parsi New Year का बहुत अधिक महत्व होता है। वह इस दिन को बड़ी ही उत्साह और भव्यता के साथ मनाते हैं। ईरान के कुछ हिस्सों में रहने वाले जोरास्ट्रियन या पारसी अपना नया साल 31 मार्च को मनाते हैं। यह माना जाता है कि नए साल का जश्न मनाने की परंपरा लगभग 3,000 साल पहले की है। पारसी नववर्ष दिवस पारसी कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है।

पारसी नववर्ष दिन

पारसी समुदाय द्वारा 16 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा।

नवरोज का अर्थ

नवरोज एक फारसी शब्द है। जो ‘नव’और ‘रोज’ से मिलकर बना है। नवरोज में नव का अर्थ होता है ‘नया’ और रोज का ‘अर्थ’ दिन है। इसलिए नवरोज को एक नए दिन के प्रतीक के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। ईरान में नवरोज को ‘ऐदे नवरोज’ कहा जाता है। दुनिया भर में करीब 300 मिलियन से ज्यादा लोगों के द्वारा नवरोज उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। नववर्ष नवरोज के लिए पारसी लोग साल भर इंतजार करते हैं।  इस खास दिन कुटुंब (परिवार) सभी लोग एक साथ मिलकर इसे फेस्टिवल के रूप में मनाते हैं।

पारसी नववर्ष मनाने के पीछे का इतिहास

जानकारी के मुताबिक करीब 3000 साल पहले ईरान में शाह जमदेश ने सिंहासन ग्रहण किया था, पारसी समुदाय में उसी दिन को नवरोज कहा गया। आगे चलकर जरथुस्त्र वंशियों के द्वारा इस दिन को नए वर्ष के पहले दिन के रूप में मनाया जाने लगा। दुनिया के प्रमुख देश जैसे ईरान, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान, इराक, लेबनान, बहरीन में नववर्ष को नवरोज के रूप में को मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है पारसी नव वर्ष

लोग अपने घरों को सजाते हैं, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और नए साल के दिन मंदिरों में जाते हैं। वे सर्वशक्तिमान का आशीर्वाद चाहते हैं और स्वामी से अपने पापों को क्षमा करने के लिए कहते हैं। नए साल की बधाई देने के लिए लोग एक-दूसरे के घर भी जाते हैं। सभी प्रकार के पारसी व्यंजनों को नए साल के अवसर पर तैयार किया जाता है। मेहमानों को मीठी फलौदा भेंट की जाती है। पारसी समुदाय ने सावधानीपूर्वक अपनी परंपराओं को संरक्षित किया है और वे उसी के अनुसार अपना नया साल मनाते हैं।

परंपरा के अनुसार, एक वर्ष में 360 दिन होते हैं और 5 दिन पूर्वजों को याद करने के लिए आरक्षित होते हैं। लोग 3:30 बजे पूजा करते हैं। वे स्टील या चांदी से बने बर्तन में फूल रखते हैं और अपने पूर्वजों को याद करते हैं। अग्नि (अग्नि) पारसी संस्कृति में बहुत महत्व रखती है और लोग विशेष पूजा करते हैं।

भारत में पारसी न्यू ईयर मनाने की पंरपरा

गुजरात और महाराष्ट में पारसी समुदाय की बड़ी तादाद रहती है जहां इस त्योहार को बड़ी उत्सुकता के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को गिफ्ट्स और ग्रीटिंग्स भेंट करते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। वे इस दिन घर की साफ-सफाई करते हैं। लाइट्स और रंगोली से घर को सजाते हैं और अतिथि सत्कार करते हैं।

नवरोज त्योहार किसने शुरू किया

आज से लगभग 3 हजार साल पहले नवरोज मनाने की परंपरा आरंभ हुई. पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की थी.

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शाह जमदेश का हुआ था राजतिलक

लोक-कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि करीब तीन हजार साल पहले पर्शिया (ईरान) में जब शाह जमदेश ने सिंहासन ग्रहण किया था, उस दिन को पारसी समुदाय में नवरोज का दिन कहा गया था। आगे चलकर इस नवरोज दिन को जरथुस्त्र वंशियों द्वारा नए वर्ष के पहले दिन के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा। आज दुनिया के प्रमुख देश जैसे ईरान, इराक, भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, बहरीन, लेबनान, में पारसी नववर्ष को नवरोज के रूप में मनाया जाता है।

अग्नि की है मान्यता

दुनिया में लगभग हर संप्रदाय व धर्म में जिस तरह अग्नि की मान्यता है, ठीक उसी तरह पारसी समुदाय भी नवरोज के दिन अग्नि को लेकर विशेष पूजा अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। इस दिन जरथुस्त्र की तस्वीर, सुगंधित अगरबत्ती, मोमबत्ती, सिक्के, कांच, शक्कर, जैसी पवित्र चीजें एक जगह रखी जाती हैं। साथ ही समस्त पारसी समुदाय में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में सुख-समृद्धि, और शांति बढ़ती है। इस नवरोज उत्सव के दिन परिवार के सभी लोग एकसाथ मिलकर प्रार्थना स्थलों पर जाते हैं। इसके अलावा पवित्र अग्नि में चन्दन की लकड़ी चढ़ाने की परंपरा भी है। उपासना स्थल पर चन्दन की लकड़ी अग्नि को समर्पित करने के बाद पारसी समुदाय के सभी लोग एक दूसरे नवरोज उत्सव की शुभकामनाएं देते हैं।

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