Rishi Panchami 2022 : महिलाओं के लिए खास है ऋषि पंचमी, जाने शुभ मुहूर्त

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल Rishi Panchami मनाई जाती है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है।

महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2022) की पूजा और व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है। हिंदू धर्म में ऋषि मुनियों को विशेष स्थान दिया गया। कहते हैं जो भी महिला Rishi Panchami के दिन पवित्र मन से व्रत और पूजा करती है वह अपने पापों से मुक्त हो जाती है।

ऋषि पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami 2022 muhurat)

  • ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ- 31 अगस्त 2022, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से शुरू
  • पंचमी तिथि समाप्त- 01 सितंबर 2022, गुरुवार को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर
  • तिथि- उदया तिथि के अनुसार ऋषि पंचमी 01 सितंबर को मनाई जाएगी
  • ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त- 01 सितंबर को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 1 बजकर 37 मिनट तक

ऋषि पंचमी पूजन विधि (Rishi Panchami 2022 puja vidh)

इस महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए। घर को पवित्र करने के लिए आप गंगा जल छिड़कें। इसके अलावा पूजा के स्थान को गाय के गोबर से लेप सकते हैं। इसके बाद सप्तऋषियों की प्रतिमा बनाकर उनकी स्थापना करें। अब कलश रखें और व्रत का संकल्प लें। सप्तऋषियों की प्रतिमा पर हल्दी, चंदन, पुष्प, अक्षत चढ़ाएं। फिर सप्तऋषियों की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में सभी को प्रसाद बांटना चाहिए।

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इस मंत्र का करें जाप

ऋषि पंचमी की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप जरूर करें।

‘कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

व्रतधारी महिलाएं भूलकर भी न करें ये काम

जो भी महिला ऋषि पंचमी के दिन व्रत और पूजा करती है उसे जमीन में बोए हुए किसी भी अनाज को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन मोरधन या पसई धान के चावल का सेवन कर सकते हैं।

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Story)

भविष्य पुराण के अनुसार उत्तक नामक ब्राह्मण की एक पुत्री और एक पुत्र था। वह अपनी पत्नी सुशीला और बच्चों के साथ रहता था। जब उसकी बेटी विवाह योग्य हुई तो उसने एक अच्छा वर देखकर अपनी कन्या का विवाह कर दिया, लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही उसकी बेटी विधवा हो गई और अपने माता-पिता के घर वापस आकर रहने लगी।

एक दिन जब ब्राह्मण की कन्या सो रही थी तो उसके शरीर पर कीड़े रेंग रहे थे। यह सब देख कर ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति से उसका कारण पूछा तब ब्राह्मण ने उसे बताया कि पिछले जन्म में मासिक धर्म के दौरान उसकी कन्या ने पूजा के बर्तन छू दिए थे। इसके अलावा उसने ऋषि पंचमी का व्रत और पूजा किसी भी जन्म में नहीं किया। उसकी दुर्दशा का यही कारण है। इस घटना के बाद ब्राह्मण ने अपनी पुत्री को ऋषि पंचमी का व्रत और पूजा करने की आज्ञा दी।

अपने पिता के कहे अनुसार ब्राह्मण की बेटी ने पूरे विधि विधान से ऋषि पंचमी के दिन पूजा और व्रत किया जिसके परिणामस्वरूप अगले जन्म में उसे अखंड सौभाग्य के साथ खुशहाल जीवन का वरदान मिला।

ऋषि पंचमी व्रत का महत्व (Rishi Panchami importance)

हिंदू धर्म में महावारी के दौरान महिलाओं को पूजा पाठ करने की मनाही होती है। इसके अलावा पूजा से जुड़ी चीजों को छूना से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी महिला से जाने अंजाने महावारी के समय ऐसी गलतियां हो जाए तो ऋषि पंचमी के दिन व्रत और पूजा करने से इन गलतियों के लिए क्षमा मिल जाती है।

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