Sawan Month Start Date 2022, जानें शिवरात्रि व्रत कब और कैसे करें…
हिंदू संवत्सर 2079 में पवित्र सावन माह (Sawan Month) में इस बार गुरुवार का विशेष महत्व है। सावन का शुभारंभ गुरुवार 14 जुलाई को विष्कुंभ और प्रीति योग में हो रहा है।
Sawan Month Start Date 2022: खास बात यह है कि सावन का समापन भी गुरुवार 11 अगस्त को होगा। हरेली अमावस्या, पुष्य नक्षत्र और रक्षाबंधन भी गुरुवार को पड़ रहा है। पूरे सावन में सोमवार के अलावा गुरुवार भी पूजा-पाठ के लिए विशेष लाभदायी होगा। महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए देवताओं के गुरु वृहस्पति की पूजा, व्रत करने से आत्मविश्वास बढ़ेगा और कार्यों में सफलता मिलेगी।
गुरु पक्ष मजबूत होने पर बढ़ती है महत्वाकांक्षा
गुरुवार को यदि वृहस्पति देव की पूजा की जाए तो जातक पर वृहस्पति की कृपा होती है। जिस जातक का गुरु पक्ष मजबूत होता है, वह जीवन में प्रगति की ओर अग्रसर होता है। युवाओं में महत्वाकांक्षा जागृत होती है। शिक्षा, व्यापार, नौकरी में उच्च पद हासिल करने में युवाओं को सफलता मिलती है। इस साल Sawan माह का शुभारंभ गुरुवार को हो रहा है। भगवान भोलेनाथ के साथ ग्रहों के राजा वृहस्पति की पूजा करना भी श्रेष्ठ होगा।
हरेली पर पितृ पूजन
28 जुलाई गुरुवार को हरेली अमावस्या है। हरेली अमावस्या पर पितृ पूजन करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। इसी दिन गुरु पुष्य नक्षत्र भी है। पुष्य नक्षत्र के संयोग में पूजन करना विशेष लाभदायी होगा। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी से समृद्धि बढ़ती है, इस नक्षत्र को विशेष शुभ माना गया है। सावन माह के अंतिम दिन गुरुवार को ही रक्षा बंधन पड़ रहा है। बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधेंगी और पंडित, आचार्य जनेऊ धारण करने की परंपरा निभाएंगे।
Sawan में चार सोमवार, विविध योगों का संयोग
इस बार सावन माह (Sawan Month) में चार सोमवार पड़ रहे हैं। अलग-अलग सोमवार को विविध योगों का संयोग है। इनमें सर्वार्थसिद्धि, अमृत, ध्रुव, रवि योग का संयोग है।
पहला Sawan सोमवार
सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है। सोमवार को पंचमी तिथि का योग होने से कुछ राज्यों में नागपंचमी इसी दिन मनाई जाएगी। हालांकि छत्तीसगढ़ में नागपंचमी सावन शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है, जो इस बार मंगलवार 2 अगस्त को पड़ रही है।
दूसरा Sawan सोमवार
दूसरा सोमवार 25 जुलाई को प्रदोष व्रत है। इस दिन अमृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग और ध्रुव योग होने से शिवजी की पूजा का विशेष लाभ होगा।
तीसरा Sawan सोमवार
तीसरा सोमवार एक अगस्त को है। इस दिन रवि योग में वरद विनायक चतुर्थी भी है। भगवान शंकर के साथ उनके पुत्र प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा भी की जाएगी।
चौथा Sawan सोमवार
चौथा और आखिरी सोमवार आठ अगस्त को है। इस दिन पवित्रा एकादशी भी है। भगवान शंकर के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ होगा।
मंगला गौरी व्रत
Sawan माह में सोमवार को भोलेनाथ की पूजा और मंगलवार को मां पार्वती की पूजा का विधान है। इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। सावन में 19 जुलाई, 26 जुलाई, 2 अगस्त नागपंचमी के साथ मंगला गौरी और 9 अगस्त को मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा।
इस सुबह संयोग में शुरू हो रहा सावन (Sawan) का महीना
इस साल सावन महीने की शुरुआत शुभ संयोग के साथ हो रही है। 14 जुलाई से सावन महीने का शुभारंभ हो रहा है जो 12 अगस्त तक चलेगा। ऐसे में 4 सोमवार इस बीच आ रहे हैं। सावन के इन चार सोमवार को बेहद खास माना गया है। आपको बता दें, 14 जुलाई से शुरू हो रहे इस सावन के महीने में विष्कुंभ और प्रति योग बन रहे है। इन दोनों योग को बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इन योग में पैदा हुए बच्चे बेहद भाग्यशाली होते हैं, वह गुणवान और संस्कारी होते हैं।
ऐसे करना चाहिए Sawan महीने में भोलेनाथ की पूजा
जैसा कि आप सभी जानते हैं सावन का महीना बेहद शुभ होता है। सावन के महीने की शुरूआत के दिन सही भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। वहीं भक्त भी भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस माह में व्रत-उपवास पूजा अर्चना पूरे सच्चे मन से करते हैं। वहीं भोलेनाथ भी भक्तों की पुकार सुन उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
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Sawan में ऐसे करें पूजा
सबसे पहले आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र पहनने चाहिए। उसके बाद भोलेनाथ के मंदिर में जाकर घी का दीपक लगाना चाहिए। फिर आपको दूध और गंगाजल से उनका अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही आप भोलेनाथ को बेलपत्र, पंचामृत, फल और फूल अर्पित करें। फिर आखरी में उनकी आरती करें और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का भी करें जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् । स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ
सावन महा का महत्व , 5 पौराणिक तथ्य बताते हैं
- मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।
- भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का अन्य कारण यह भी है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।
- पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम ‘नीलकंठ महादेव’ पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है। यही वजह है कि श्रावण मास में भोले को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- ‘शिवपुराण’ में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल है, जिसमें कोई संशय नहीं है।
- शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है। यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है, जिसे ‘चौमासा’ भी कहा जाता है; तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं।
श्रावण मास की 10 विशेषताएं
- श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना वर्ष का पांचवां माह है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना जुलाई-अगस्त में आता है।
- इस दौरान सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है। दरअसल श्रावस मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी माना गया है।
- शिव पुराण के अनुसार जो कोई व्यक्ति इस माह में सोमवार का व्रत करता है भगवान शिव उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए हरिद्वार, काशी, उज्जैन, नासिक समेत भारत के कई धार्मिक स्थलों पर जाते हैं।
- सावन के महीने का प्रकृति से भी गहरा संबंध है क्योंकि इस माह में वर्षा ऋतु होने से संपूर्ण धरती बारिश से हरी-भरी हो जाती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस माह में बारिश होने से मानव समुदाय को बड़ी राहत मिलती है। इसके अलावा श्रावण मास में कई पर्व भी मनाए जाते हैं।
- भारत के पश्चिम तटीय राज्यों (महाराष्ट्र, गोवा एवं गुजरात) में श्रावण मास के अंतिम दिन नारियल पूर्णिमा मनायी जाती है।
- श्रावण के पावन मास में शिव भक्तों के द्वारा कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान लाखों शिव भक्त देवभूमि उत्तराखंड में स्थित शिवनगरी हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। वे इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपने कंधों रखकर पैदल लाते हैं और बाद में वह गंगा जल शिव को चढ़ाया जाता है। सालाना होने वाली इस यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को कांवरिया अथवा कांवड़िया कहा जाता है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तब उस मंथन से 14 रत्न निकले। उन चौदह रत्नों में से एक हलाहल विष भी था, जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और इसी कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। कहते हैं रावण शिव का सच्चा भक्त था। वह कांवर में गंगाजल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया और तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली।
- सावन के इस पवित्र महीने में भक्तों के द्वारा तीन प्रकार के व्रत रखे जाते हैं:
सावन सोमवार व्रत : श्रावण मास में सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है उसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित है।
सोलह सोमवार व्रत : सावन को पवित्र माह माना जाता है। इसलिए सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ करने के लिए यह बेहद ही शुभ समय माना जाता है।
प्रदोष व्रत : सावन में भगवान शिव एवं मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोष काल तक रखा जाता है। - सावन का ज्योतिष महत्व यह है कि श्रावण मास के प्रारंभ में सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य का गोचर सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है।
- सावन मास शिवजी के साथ मां पार्वती को भी समर्पित है। भक्त सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत धारण करता है, उसे शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने और अविवाहित महिलाएं अच्छे वर के लिए भी सावन में शिव जी का व्रत रखती हैं।