Buddha Purnima: कब है बुद्ध पूर्णिमा? जानें, पीपल पूर्णिमा कब मनाई जाती है…
हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है।
भगवान विष्णु को वैशाख मास बहुत प्रिय है। हर महीने की पूर्णिमा भी भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है। वैशाख शुक्ल की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) या पीपल पूर्णिमा (पीपल पूर्णिमा 2022) कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया है। वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। date of buddha purnima| पीपल पूर्णिमा कब आती है २०२२| 2022 में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार 16 मई सोमवार को मनाई जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए भी बहुत खास महत्व रखता है। हिन्दू धर्म के अनुसार गौतम बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाते हैं | buddha purnima kya hota hai
भारत में ही नहीं अपितु दुनिया के कई अन्य देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। बुद्ध पूर्णिमा श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देशों में भी मनाई जाती है। श्रीलंका में बुद्ध पूर्णिमा को ‘वेसाक’ के नाम से जाना जाता है जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है। इसी दिन बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप प्रज्जवलित कर बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। पुराणों में महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुखी जीवन और सफलता पाने के सूत्र छिपे हैं। यदि जीवन में इन सूत्रों को उतार लिया जाए तो हम कई प्रकार की परेशानियों से बच सकते हैं और सरलता से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं। buddha purnima history | buddha purnima history in hindi | buddha purnima ka mahatva | buddha purnima shubhechha | बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास | बुद्ध पूर्णिमा का क्या महत्व है | बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है
कैसे हुई बुद्धत्व की प्राप्ति? | buddha purnima facts
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, गौतम बुद्ध मात्र 29 साल की आयु में ही घर छोड़कर सन्यासी का जीवन बिताने लगे थे। उन्होंने पीपल के पेड़ के नीचे करीब 6 वर्ष तक तपस्या की। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान बुद्ध को जहां ज्ञान की प्राप्ति हुई वह जगह बाद में बोधगया कहलाई। महात्मा बुद्ध ने इसके बाद ही अपने ज्ञान का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाया और एक नई रोशनी पैदा की। महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में हुआ था। भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ। इस कारण वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। | buddha purnima festival | buddha purnima festival in hindi | buddha purnima hindi | buddha purnima in hindi | buddha purnima jayanti
बुद्ध जयंती कहां-कहां मनाई जाती है | buddha purnima is celebrated in which state
भारत के अलावा चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि विश्व के कई देशों में पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है। बिहार में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिए भी पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक महीने तक मेला लगता है। श्रीलंका जैसे कुछ देशों में इस उत्सव को वैशाख उत्सव के रूप में मनाते हैं। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीपक जलाते हैं और घरों को सजाते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म के ग्रंथों का पाठ किया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा wiki
मानसिक रोगों से मिलती है मुक्ति
भगवान बुद्ध को उत्तरी भारत में भगवान श्री विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है। दक्षिण भारतीय बलराम को विष्णु का 8वां अवतार तो श्री कृष्ण को 9वां अवतार मानते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं। ऐसी मान्यताा है कि बुद्ध पूर्णिमा पर वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। इस दिन चंद्रमा पूर्णिमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि के स्वामी माने जाते हैं। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।
शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा 16 मई 2022, सोमवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 15 मई 2022 दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन – 16 मई 2022 रात 09 बजकर 43 मिनट तक
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पहला उपदेश दिया था सारनाथ में
भगवान गौतम ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। जहां उन्हें पूरी तरह से जागृत माना जाता है। उन्होंने 45 सालों तक धर्म, अहिंसा, सद्भाव और दया के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया था। बौद्ध धर्म पूरी तरह से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित है। जानकारी के मुताबिक एक शाही परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने विलासी जीवन को त्याग दिया और 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था।
भगवान बुद्ध माना जाता है भगवान विष्णु का नौवां अवतार
भगवान बुद्ध को हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन दुनिया भर के बौद्ध समुदाय, मठ प्रार्थना और मंत्रोच्चार करते हैं। साथ ही इस दिन उनके उपदेशों पर चर्चा और उनकी शिक्षाओं को याद किया जाता है। बुद्ध जयंती पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप दूर हो जाते हैं।
कैसे सिद्धार्थ बने भगवान बुद्ध
बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने 29 साल की आयु में संन्यास धारण कर लिया था। बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे 6 साल तक कठिन तप किया था। वह बोधिवृक्ष आज भी बिहार के गया जिले में स्थित है। बुद्ध भगवान ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। भगवान बुद्ध 483 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुए थे। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस कहा जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?
अपने जीवन में बुद्ध भगवान ने जब हिंसा, पाप और मृत्यु के बारे में जाना, तब ही उन्होंने मोह-माया का त्याग कर दिया और अपना परिवार छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले ली और सत्य की खोज में निकल पड़े। जिसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ। वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है, इसलिए बौद्ध धर्म में प्रत्येक वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा का भजन
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं
भगवान बुद्ध ने अहिंसा, शांति और सद्भाव आदि का उपदेश दिया. विभिन्न पवित्र शिक्षाओं के बीच बुद्ध ग्रंथों के अनुसार, चार महान सत्य जो कुछ शिक्षाओं के आधार हैं-
पहला सत्य : दुख की उपस्थिति.
दूसरा सत्य : दुख का कारण (लगाव, इच्छाएं)
तीसरा सत्य : दुख का अंत (निर्वाण)
चौथा सत्य : दुख दूर करने की विधि
उन्होंने निर्वाण प्राप्त करने के लिए अष्टांगिक मार्ग दिखाए
- सही समझ 2. सही कार्रवाई 3. सही विचार 4. सही दिमागीपन 5. सही आजीविका 6. सही भाषण 7. सही प्रयास 8. सही एकाग्रता
भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल वचन
- एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रौशन किए जा सकते है, फिर भी उस दीपक की रौशनी कम नहीं होती हैं। उसी तरह खुशियाँ भी बाँटने से बढ़ती है, कम नहीं होती।
- इंसान के भीतर ही शांति का वास होता है, इसे बाहर ना खोजे।
- शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को स्वस्थ और मजबूत नहीं रख पाएंगे
- इस पूरी दुनिया में इतना अन्धकार नहीं है कि वो एक छोटे से दीपक के प्रकाश को मिटा सके।
- नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती। नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक सत्य है।
- अगर आप वाकई में अपने आप से प्यार करते है, तो आप कभी भी दूसरों को दु:ख नहीं पहुंचा सकते।
- खुशियों का कोई अलग रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है।
- क्रोधित रहना, जलते कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने की इच्छा से पकड़े रहने के समान है। यह सबसे पहले खुद को ही जलाता है।
- मंजिल तक पहुँचने से ज्यादा महत्वपूर्ण, मंजिल तक की यात्रा अच्छे से करना होता है।
- हजारों शब्दों से अच्छा वो एक शब्द होता हैं जो शांति लाता है।
- आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते।
- भूतकाल में मत उलझो, भविष्य के सपनों में मत खो जाओ। अभी वर्तमान पर ध्यान दो। यही खुश रहने का रास्ता है।
- हजारों लड़ाइयाँ जीतने से अच्छा होगा कि तुम स्वयं पर विजय हासिल कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी। इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता, न देवता और न दानव।
- तुम्हें अपने क्रोध के लिए सजा नहीं मिलती बल्कि तुम्हे क्रोध ही सजा देता है।
- हम जैसा सोचते हैं, वैसा बन जाते हैं।
- चन्द्रमा के जैसे, बादलों के पीछे से निकलोङ्घखूब चमको।
- क्रोध को पाले रखना खुद जहर पीकर दूसरे के मरने की अपेक्षा करने जैसा है।