कांस्य पदक के साथ फातिमा को मिला पैरालंपिक का टिकट, एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी बनीं
मेरठ
मेरठ के बेटी फातिमा ने छठी अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स मीट में दो पदकों के साथ 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप- 2023 व एशियन गेम्स में भी जगह पक्की कर ली है। वह एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी भी बन गई हैं।
नॉर्थ अफ्रीका के मोरक्को में आयोजित ग्रैंड प्रिक्स में शुक्रवार को मेरठ की बेटी फातिमा खातून ने चक्का फेंक में कांस्य पदक झटका है, जबकि भाला फेंक में वह चौथा स्थान पर रहीं। छठी अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स मीट में फातिमा ने दो पदकों के साथ 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप- 2023 व एशियन गेम्स में भी जगह पक्की कर ली है। वह एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी भी बन गई हैं।
किठौर के राधना गांव निवासी 30 वर्षीय फातिमा ने अपने हौसले के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने चक्का फेंक में 17.65 मीटर थ्रो करते हुए कांस्य पदक जीता, जबकि भाला फेंक में 15 मीटर के साथ चौथा स्थान हासिल किया। पैरालंपिक के लिए 13 मीटर क्वालिफाई मार्क था। इस सफलता के लिए यूपी पैरालंपिक कमेटी से विकास कुमार, कविंद्र चौधरी, जेपी सिंह, पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया के सदस्यों, पीवीवीएनएल एमडी अरविंद मलप्पा बंगारी, स्पोर्ट्स ऑफिसर अलका तोमर, राजेश चौधरी सहित अन्य स्टाफ के सदस्यों ने बधाई दी है।
सड़क दुर्घटना के बाद छह महीने कोमा में रहीं
बिजली विभाग में स्टेनोग्राफर पद पर तैनात फातिमा 2014 में सड़क दुर्घटना गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। वह छह महीने कोमा में रहीं। दोनों हाथ और पैर टूट चुके थे, जबकि पूरे शरीर में 194 टांके आए थे।
दो साल तक बेड रेस्ट के बाद जब वह उठीं तो व्हील चेयर का सहारा ही उनका जीवन बन गया। वह सामान्य से दिव्यांग हो चुकी थीं। दूसरी जिंदगी मिली तो उन्होंने 2017 में खेलों में किस्मत आजमाते हुए मेहनत शुरू की। कुछ अलग करने के जज्बे से उन्हें यह मुकाम मिला।