भोपाल AIIMS में बनेगा प्रदेश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर, मॉडर्न और हाइब्रिड OT की भी मिलेगी सुविधा
Bhopal AIIMS: भोपाल एम्स में प्रदेश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर बनने जा रहा है। 300 बेड के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है, जिसमें 295 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। दिल्ली एम्स के बाद भोपाल देश के चुनिंदा संस्थानों में शामिल होगा, जहां इतनी बड़ी इमरजेंसी यूनिट होगी। साथ ही, कैंसर मरीजों के लिए अत्याधुनिक एपेक्स ऑन्कोलॉजी सेंटर की भी योजना बनाई जा रही है।
Bhopal AIIMS: उज्जवल प्रदेश भोपाल. भोपाल एम्स में 300 बेड वाले ट्रॉमा सेंटर का पहला चरण पूरा हो गया है, जिससे प्रदेश के मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, अत्याधुनिक ऑन्कोलॉजी सेंटर भी बनाया जाएगा, जिसमें 200 बेड, आईसीयू यूनिट, पैथोलॉजी लैब और उन्नत मशीनें होंगी। जानिए इस नई स्वास्थ्य सुविधा के फायदे।
भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) प्रदेश का सबसे बड़ा एपेक्स ट्रॉमा सेंटर बनाने की तैयारी कर रहा है। 300 बेड वाले इस सेंटर का पहला चरण पूरा हो चुका है, इसमें 295 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह सुविधा सिर्फ भोपाल ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के मरीजों के लिए भी एक बड़ा वरदान साबित होगी।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर का दूसरा चरण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को सौंपा गया है। इसके निर्माण के बाद, भोपाल एम्स देश के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल होगा, जहां अत्याधुनिक इमरजेंसी यूनिट उपलब्ध होगी।
मरीजों को मिलेगा तुरंत इलाज, एम्स बनेगा अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र
इस नए ट्रॉमा सेंटर की सबसे बड़ी खासियत होगी मॉर्डन और हाईब्रिड ऑपरेशन थिएटर (OT)। इसके चलते गंभीर मरीजों को जल्द से जल्द इलाज मिल सकेगा। सड़क दुर्घटना, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और अन्य आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को तुरंत मेडिकल सुविधा दी जाएगी।
भोपाल एम्स की इस पहल से न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि आसपास के राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी मरीज यहां बेहतर चिकित्सा सेवाओं के लिए आ सकेंगे। कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीद: भोपाल एम्स सिर्फ ट्रॉमा सेंटर ही नहीं, बल्कि एपेक्स ऑन्कोलॉजी सेंटर की भी योजना बना रहा है। यह सेंटर कैंसर मरीजों के इलाज के लिए आधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसमें निम्नलिखित सुविधाएं होंगी-
- 200 बेड वाली ऑन्कोलॉजी यूनिट, जिसमें ऑक्सीजन सपोर्ट की सुविधा होगी।
- 20 बेड की आईसीयू यूनिट, जो पूरी तरह से वेंटिलेटर सपोर्ट से लैस होगी।
- ऑन्को-पैथोलॉजी और साइटोलॉजी लैब, जिससे कैंसर की पहचान और जांच में तेजी आएगी।
- उन्नत मशीनरी और आधुनिक यूनिट, जो कैंसर के उपचार को और प्रभावी बनाएंगी।
यह सेंटर कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि एम्स जैसी संस्थान में इलाज की लागत अन्य प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में कम होगी।
भोपाल एम्स क्यों बना रहा है यह सेंटर?
भोपाल और आसपास के जिलों में तेजी से बढ़ते ट्रॉमा और कैंसर मरीजों की संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाएं, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्याओं के कारण एक बड़े ट्रॉमा सेंटर की जरूरत महसूस की जा रही थी। वहीं, कैंसर मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, लेकिन राज्य में उन्नत ऑन्कोलॉजी सेंटर की कमी है। इस वजह से मरीजों को दिल्ली, मुंबई या अन्य बड़े शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ता था, जिससे समय और पैसे की काफी बर्बादी होती थी। एम्स भोपाल का यह कदम मरीजों के लिए एक राहत साबित होगा, क्योंकि यहां कम खर्च में विश्वस्तरीय इलाज मिल सकेगा।
भोपाल एम्स को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
नए ट्रॉमा और ऑन्कोलॉजी सेंटर के निर्माण के बाद, भोपाल एम्स को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। यह देश के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल होगा, जहां एक साथ ट्रॉमा और कैंसर मरीजों के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, राज्य सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना है कि *भोपाल एम्स को दिल्ली एम्स की तर्ज पर एक मल्टी-सुपर स्पेशियलिटी संस्थान के रूप में विकसित किया जाए।
मरीजों को कैसे होगा फायदा
- तेजी से इलाज: आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को तुरंत उपचार मिलेगा।
- सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं: आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू और अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध होंगी।
- कम खर्च में इलाज: एम्स में इलाज की लागत निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम होगी।
- लंबे इंतजार से छुटकारा: कैंसर और ट्रॉमा मरीजों को अब बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी।
- राष्ट्रीय स्तर पर पहचान: भोपाल एम्स देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में शामिल होगा।
आने वाले समय में यह सेंटर न सिर्फ भोपाल बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थान बन जाएगा।