जातिगत जनगणना: जानिए एनडीए में नफा-नुकसान का गणित और क्यों फ्रंटफुट पर हैं सीएम नीतीश
पटना
बिहार में जातिगत जनगणना (Caste Based Census) को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल भारतीय जनता पार्टी (BJP) इसके लिए देश में ना-ना करते-करते अब बिहार में हां-हां कर रही है। इस मसले पर बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting on Caste Census) में बीजेपी की तरफ से उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Dy.CM Tarkishore Prasad) भी शामिल हैं। जातिगत जनगणना को लेकर नीतीश कुमार के सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का राष्ट्रीय जनता दल (RJD) भी एक मंच है। बिहार में जातिगत जनगणना होने से जेडीयू को फायदा होता दिख रहा है।
देश में जातिगत जनगणना का बीजेपी कर रही विरोध
भारत में पहली बार जातिगत जनगणना साल 1831 में कराई गई थी। उसके सौ साल बाद साल 1931 में हुई जातिगत जनगणना के आधार पर ही आरक्षण तय किया गया था। द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग (मंडल कमीशन) ने पिछड़ी जातियों की आबादी 52 प्रतिशत बताते हुए उसके लिए आरक्षण की मांग रखी थी। आगे 90 के दशक में उसे लागू कराने की बात उठी तो देश में तूफान आ गया था। इसी राजनीतिक खतरे को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) देश में जातिगत जनगणना कराना नहीं चाहती है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने संसद को बता चुके हैं कि जाति की जनगणना नहीं कराई जा सकती है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान (Guru Prakash Paswan) के अनुसार केवल जातिगत जनगणना से सामाजिक न्याय सुनिश्चित नहीं किया जा सकता, इसके लिएए बीजेपी ने 'सबका साथ, सबका विकास' के अपने लक्ष्य को साकार करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
जातिगत जनगणना से मजबूत होंगी क्षेत्रीय पार्टियां
बीजेपी के सहयोगियों की बात करें तो बिहार में जातिगत जनगणना का समर्थन जेडीयू के अलावा अन्य सहयोगी दल भी कर रहे हैं। इनमें जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) भी शामिल है। देशभर में बीजेपी के कई सहयोगी क्षेत्रीय दल भी इसके समर्थन में हैं। जातिगत जनगणना के समर्थक दलों की सूची देखें तो इसमें जातियों के जनाधार वाली क्षेत्रीय पार्टियां प्रमुखता से शामिल हैं। स्परूट है, जातिगत जनगणना से क्षेत्रीय पार्टियाें को मजबूती मिलेगी, उनका वोट बैंक मजबूत होगा। बीजेपी के साथ सत्ता में शामिल जेडीयू भी बिहार की क्षेत्रीय पार्टी है।
हिंदू समाज बंटा तो कमजोर पड़ेगा हिंदुत्व का मुद्दा
अब बात बीजेपी की। बीजेपी की राजनीति का आधार जाति के बड़े हिंदू समाज को माना जाता है। बीजेपी नहीं चाहती कि हिंदू समाज जातियों के आधार पर बंटे, क्योंकि इससे उसका हिंदुत्व का मुद्दा कमजोर पड़ेगा। बीजेपी के साथ वैश्य समुदाय का जुड़ाव रहा है। इस समुदाय में अन्य पिछड़ी जातियां (OBC) आती हैं। बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों की काट में पिछड़ा और अति पिछड़ा नेतृत्व तैयार किया है, लेकिन बिहार सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि में जाति आधारित पार्टियां मजबूत स्थिति में हैं। बिहार में जातिगत जनगणना होती हे तो जाति की राजनीति (Caste Politics) को बल मिलेगा। इससे बीजेपी की समुदाय की राजनीति प्रभावित होगी।
नीतीश को राजनीतिक लाभ देना नहीं चाहती बीजेपी
सवाल यह कि बिहार में बीजेपी जातिगत जनगणना का समर्थन क्यों कर रही है? बीजेपी बिहार में जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को रोकने वाली पार्टी की छवि बना कर राजनीतिक लाभ की गेंद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाले में डालना नहीं चाहती है। इसी कारण उसने नीतीश कुमार की सरकार के द्वारा कुछ साल पहले बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में इसके समर्थन में पारित प्रस्ताव का साथ दिया था। बिहार बीजेपी राज्य के उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल रही थी, जो जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मिलने गया था। बुधवार को भी जातिगत जनगणना को लेकर हो रही सर्वदलीय बैठक में बीजेपी इसका समर्थन कर रही है। उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहते हैं कि बीजेपी ने बिहार में जातिगत जनगणना के विरोध में नहीं, हमारी चिंता यह है कि इससे लोगों को कैसे फायदा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि राज्य चाहें तो अपने खर्च पर राज्य में जातिगत जनगणना करा सकते हैं।