CG News: सावधान! फिर खातों में सेंध लगाकर ठग ऐसे करते हैं आनलाइन ठगी
Latest CG News: दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के ठग बैंक और बीमा कंपनी से लोगों के नाम, मोबाइल नंबर के साथ सभी गोपनीय जानकारी खरीदकर आनलाइन फार्मूले से खातों में सेंध लगा रहे हैं। इस रैकेट में बिचौलिए भी शामिल हैं।
Latest CG News: रायपुर. दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के ठग बैंक और बीमा कंपनी से लोगों के नाम, मोबाइल नंबर के साथ सभी गोपनीय जानकारी खरीदकर आनलाइन फार्मूले से खातों में सेंध लगा रहे हैं। इस रैकेट में बिचौलिए भी शामिल हैं। उनका काम बैंक व बीमा कंपनी से लोगों की जानकारी खरीदकर आनलाइन ठगी करने वाले जालसाजों को बेचना है। बिचौलिए एक व्यक्ति की जानकारी के लिए 25 पैसे पेमेंट करते हैं, लेकिन ठगों को 15 से 20 रुपये में बेचते हैं। डेटा मिलते ही ठगों को लोगों का खाता किस बैंक में है और उन्होंने कौन सी बीमा पालिसी ली है। उसके बाद ठग आसानी से खातों में सेंध लगाते हैं। बातदें कि क्राइम की टीम ने कुछ दिन पहले डंगनिया के रिटायर्ड प्रोफेसर से ठगी के बाद बिचौलियों का लिंक मिला था।
जालसाज ऐसे फंसाते है लोगों को
मुंबई, दिल्ली के अलावा कोलकाता में डेटा खरीदी बिक्री करने वाले रैकेट की तलाश की जा रही है। पुलिस ने अब तक आनलाइन ठगी करने वाले कई गिरोह को पकड़ा है, लेकिन बैंक, बीमा कंपनी के अलावा सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के स्टाफ का डेटा चुराने वाले रैकेट का पता नहीं चला है। पुलिस का फोकस अब तक ठगों तक ही रहता था, इस बार डेटा चुराने वालों की तलाश की जा रही है। प्रारंभिक जांच में ही पता चला है कि डेटा चुराने वाला और फिर खरीदी बिक्री करने वाली पूरी चेन काम कर रही है।
ठगों को जब डेटा मिल जाता है, तब उनके पास नाम, मोबाइल नंबर के साथ-साथ ये पता चल जाता है कि संबंधित का खाता किस बैंक में है। उसने कहां कहां और कौन कौन सी बीमा पॉलिसी ली है। कई बार आधार नंबर भी मिल जाता है। इतनी जानकारी मिलने के बाद ठग उन्हें फोन करते हैं। उन्हें कहते हैं कि फ्लां बैंक से बोल रहा हूं। चूंकि संबंधित का खाता उसी बैंक में रहता है, इसलिए उस बैंक का नाम सुनकर संबंधित झांसे में आकर जो जानकारी ठग मांगते हैं, वे उन्हें दे देते हैं।
बैंक और बीमा कंपनियों से जुड़े लोगों से जुड़े मार्केट में आता हैं डेटा
पुलिस ने एक बिचौलिए से संपर्क किया। बिचौलिए ने बताया कि ज्यादातर डेटा कंपनियों और संस्थानों से जुड़े लोग ही लीक करते है। पैसों के लिए डेटा को बेच देते है। अधिकांश कंपनियों में ऐसे लोग हैं, जो डेटा को लीक कर रहे है। ज्यादातर बीमा कंपनियों और बैंकिंग से जुड़े संस्थानों में इस तरह की गड़बड़ियां हो रही है। इन कंपनियों के तकनीकी अधिकारी भी इसमें शामिल है।
इस तरह काम करता है यह पूरा सिस्टम
पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल में पता चला है कि डेटा खरीदी- बिक्री का रैकेट चेन सिस्टम में चलता है। इसमें पहले व्यक्ति को तीसरा व्यक्ति कभी नहीं मिलता है। सबके बीच एक कड़ी है, जो सौदा तय करती है। दिल्ली में ऐसे दर्जनों लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कंपनियों का डेटा खरीदते हैं या चोरी करते हैं। फिर उन डेटा को अलग-अलग पैन ड्राइव में 1000, 5000 और 10,000 व्यक्तियों के अनुसार बांटते है। फिर उसी डेटा को दूसरे व्यक्ति को बेचते हैं। यही डेटा दूसरे से तीसरे, फिर चौथे तक जाता है। फिर डेटा आनलाइन ठगी करने वालों तक पहुंचता है। ठगों ने भी कमीशन में एजेंट रखे हुए हैं।