ओंकारेश्वर से 75 किलोमीटर लंबी पंचकोशी यात्रा का शुभारंभ, बड़ी संख्या में पहुंचे हजारों श्रद्धालु

ओंकारेश्वर

नर्मदा नदी के तट पर बसे ओंकारेश्वर से 75 किलोमीटर लंबी पंचकोशी यात्रा का आयोजन इस वर्ष देवउठनी एकादशी से एक दिन पहले, आज से शुरू हो रहा है। परंपरागत रूप से हर साल देवउठनी एकादशी से पंचकोशी यात्रा शुरू होती है, लेकिन इस वर्ष तिथियों में बदलाव के कारण यात्रा दशमी को प्रारंभ की जा रही है। इस यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंचे हैं, जिनमें महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल हैं।

49 वर्षों से जारी पंचकोशी यात्रा
सन 1975 में शुरू हुई पंचकोशी यात्रा का यह 49वां वर्ष है। इसकी शुरुआत मात्र पांच लोगों द्वारा की गई थी, जिसके जनक सनावद निवासी रविंद्र भारती चौरे थे। अब यह यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू होकर 75 किलोमीटर की परिक्रमा करते हुए पांच दिनों में संपन्न होती है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन ओंकार पर्वत की परिक्रमा के साथ समाप्त होती है।

श्रद्धालुओं का आगमन और सुरक्षा व्यवस्था
शनिवार से ही ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया था। सभी ने नर्मदा स्नान के बाद यात्रा की तैयारियां कीं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए खंडवा और खरगोन जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। मुख्य चौराहों, घाटों और यात्रा मार्ग पर पुलिस बल और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। पुलिस थाने के अनोख सिंधिया ने बताया कि भगवान आदि शंकराचार्य तिराहे से चार पहिया वाहनों का प्रवेश दोपहर 1 बजे से रोक दिया गया था, और वाहनों की पार्किंग कुबेर भंडारी मंदिर पर की जा रही है।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
नगर परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय गीते ने बताया कि यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखने के निर्देश सभी संबंधित विभागों को दिए गए हैं। मंदिर ट्रस्ट के सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन ने बताया कि घाटों पर श्रद्धालुओं को नर्मदा के जलस्तर की जानकारी लाउडस्पीकर से दी जा रही है। इस दौरान मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि को देखते हुए सभी कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है।

पूरे मार्ग पर सेवाभाव और सहयोग
यात्रा के पूरे मार्ग पर कई गांवों और नगरों में श्रद्धालुओं के लिए पानी, भोजन और विश्राम की सुविधाएं स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं। पंचकोशी यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु नर्मदा स्नान, ज्योतिर्लिंग के दर्शन और कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर शामिल होने के उद्देश्य से ओंकारेश्वर पहुंचे हैं।

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