MP News : रोड सेफ्टी पर सुप्रीम कोर्ट की पैनी नजर, हकीकत जानने टीम करेंगी सर्वे

Latest MP News : MP में रोड सेफ्टी के काम सिर्फ कागजों पर हो रहे हैं या हकीकत में इस पर काम हो रहा है, रोड सेफ्टी के लिए सभी नोडल एजेंसियों के बीच तालमेल है या नहीं। इसकी हकीकत अब जल्द ही सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने जा रही है।

Latest MP News : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. मध्य प्रदेश में रोड सेफ्टी के काम सिर्फ कागजों पर हो रहे हैं या हकीकत में इस पर काम हो रहा है, रोड सेफ्टी के लिए सभी नोडल एजेंसियों के बीच तालमेल है या नहीं। इसकी हकीकत अब जल्द ही सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की समिति मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रही है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस सहित अन्य जज हैं। जो हर प्रांत में जाकर रोड सेफ्टी की सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाइन का कितनी मुस्तैदी के साथ पालन हो रहा है इसकी हकीकत जमीन पर उतर कर देखती है।

सूत्रों की मानी जाए तो यह समिति फरवरी माह के अंत में या मार्च में मध्य प्रदेश के दौरे पर आ सकती है। इस समिति के आने की सुगबुगाहट होते ही इसकी सभी नोडल एजेंसियों सक्रिय हो गई हैं। इसके चलते ब्लैक स्पॉट वाली जगहों को दुरस्त करने का काम तेजी से शुरू होने वाला है। वहीं घायलों को तत्काल उपचार के लिए जो व्यवस्था है उसे भी और मजबूत किया जा रहा है। पुलिस भी हर बड़े एक्सीडेंट की पूरी रिपोर्ट को रिवाइस कर रही है। इसके अलावा सभी नोडल एजेंसियां इस संबंध में अपने से जुड़ी जिम्मेदारियों की पूरी रिपोर्ट तैयार करने में जुटी हुई है।

इनका कितना हुआ पालन जानेगी समिति

सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने पिछले साल 30 अप्रैल तक सभी जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। उस वक्त जारी आदेश में कहा गया है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं।

सड़क हादसों को रोकने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सड़क सुरक्षा समितियां बनाई गई हैं, जो अलग तरह से काम करती हैं। इन्हें एकरूपता देने और सड़क हादसों तथा इनके बचाव को लेकर सख्त कदम उठाए जाने के लिए देश के हर जिले में एक जैसी सड़क सुरक्षा समिति होना जरूरी है, जो न सिर्फ सड़क हादसों की समीक्षा करेगी, बल्कि उन्हें रोकने के लिए भी कदम उठाएगी और इनसे राज्य तथा केंद्र को अवगत करवाएगी। हादसों से जुड़ी रिपोर्ट सार्वजनिक भी करेगी।

इस पर केंद्र और राज्य स्तर पर निगरानी रखने के साथ ही जिन स्थानों पर लगातार हादसे हो रहे हैं, वहां पर इसकी रोकथाम के लिए विस्तृत योजना भी तैयार की जाएगी। वहीं कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी से लेकर राज्य तक में हर माह दुर्घटनाओं की सारी जानकारी आॅनलाइन अपलोड करना होती है बड़ी दुर्घटनाओं के मामलों में फोरेंसिक जांच की व्यवस्था भी की जाती है। इन सभी निर्देशों का हकीकत में कितना पालन हुआ यह समिति ग्राउंड पर आकर जानेगी।

हर महीने करना होती है जिलों में बैठक

सुप्रीम कोर्ट की इस कमेटी की गाईड लाइन के तहत हर महीने जिलों में रोड सेफ्टी को लेकर बैठक करना अनिवार्य है। इस बैठक में कलेक्टर और एसपी के साथ ही जिलों में संबंधित अन्य नोडल एजेंसियों के अफसर भी शामिल होते हैं। जिसमें जिलों में होने वाले सड़क हादसों की मॉनिटरिंंग की जाती है।

इसके साथ ही जिन स्थानों पर लगातार हादसे होते हैं, उन पर इंजीनियरिंग आदि के उपयोग करते हुए ऐसा करने का प्रयास किया जाता है जहां पर हादसे न हो। वहीं हादसों में होने वाली मौतों की भी समीक्षा की जाती है। उसमें देखा जाता है कि हॉस्पिटल और अन्य उपचार घायल को कितनी देर में मिला। इन सभी की लगातार मॉनिटरिंग कर रिपोर्ट तैयार की जाती है। जो पीटीआरआई को हर जिले से हर महीने भेजी जाती है।

घायलों की संख्या हो रही कम

पिछले पांच साल में इन हादसों में जहां मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं घायलों की संख्या में कमी आ रही है। वर्ष 2017 में 57 हजार 532 घायल हुए। वर्ष 2018 में 54 हजार 662, वर्ष 2019 में 52 हजार 816, वर्ष 2020 में 46 हजार 456 और वर्ष 2021 में 48 हजार 956 लोग सड़क हादसों में घायल हुए।

सड़क हादसों में मौत

वर्षमौत
201710,177
201810,706
201911,249
202011,141
202112,057
202213,427

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