आबकारी घोटालेबाजों को पकड़ने बंगलुरू गई इंदौर पुलिस बैरंग लौटी, बढ़ेंगे आरोपी, जांच हो सकती है प्रभावित

इंदौर
इंदौर के आबकारी घोटाले में रावजी बाजार थाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इस जांच में सबसे पहले पुलिस ने बंगलुरू का रूख किया था। यहां पर पुलिस ने दोनों आरोपी मोहन कुमार और अनिल सिंहा की तलाश की, लेकिन दोनों वहां पर नहीं मिले। इंदौर पुलिस यहां से बैरंग लौट आई है। इधर, माना जा रहा है कि असि. कमिश्नर सोनी जब तक इंदौर में ही पदस्थ रहेंगे पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं हो पाएगी।

इंदौर के बहुचर्चित शराब घोटाले में रावजी बाजार थाने की पुलिस को बंगलुरू से बैरंग लौटना पड़ा। कूटररचित एफडीआर आबकारी विभाग को देने वाले दोनों आरोपी यहां अपने फ्लैट में ताला लगातार फरार हो चुके हैं। यहां से खाली हाथ भले ही पुलिस वापस आ गई है, लेकिन उसने इस मामले की जांच में तेजी ला दी है। आबकारी महकमे से एमआईजी शराब दुकान के आवंटन की सारी जानकारी तलब कर ली है। मामले की जांच के बाद विभाग के कुछ अफसरों के आरोपी बनने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इधर विभाग को चूना लगाने के हैबिचुअल अफेंडर बने राजनारायण सोनी को वहां से हटाकर सुरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि ऐसे मामलों में उन पर विभागीय जांच या निलंबन की कार्यवाही होना चाहिए।

इधर यह भी माना जा रहा है कि इस मामले में असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी जब तक इंदौर में पदस्थ रहेंगे तब तक पुलिस की जांच भी निष्पक्ष नहीं हो पाएगी। पुलिस को दस्तावेज और जानकारी उपलब्ध कराने वाले वही अफसर , जो अपने को बचाने के लिए दूसरों अफसरों और कर्मचारियों पर ठिकारा फोड़ देंगे। ऐसे में जब तक सोनी को यहां से नहीं हटाया जाएगा तब तक जांच पर भी संदेह बना रहेगा।

इंदौर पुलिस ने विभाग से मांगी जानकारी
रावजी बाजार थाना पुलिस ने आबकारी विभाग को इस ठेके के संबंध में संपूर्ण जानकारी देने के लिए लिखा है। बताया जाता है कि पुलिस ने इसमें ठेके की विज्ञप्ति जारी होने से लेकर ठेके के नियमों तक की जानकारी तलब की है। जिसमें विभाग को यह भी बताना होगा कि किस अफसर की क्या जिम्मेदारी तय है। इस जानकारी के बाद यह संभावना बढ़ गई है कि इस मामले में आबकारी विभाग के भी कुछ अफसर आरोपी बन सकते हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस मामले में आरोपियों की संख्या दो से ज्यादा हो सकती है। जिसमें अब आबकारी विभाग के ही अफसर आरोपी बन सकते हैं।

…आखिर आबकारी मंत्री देवड़ा कब लेंगे एक्शन
डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी और असिस्टेंट कमिश्नर  राजनारायण सोनी का रसूख ऐसा है कि आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा से लेकर मंत्रालय और विभाग के आला अफसर उनके खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं। उल्टा इस मामले पर बात करने से भी कतरा रहे हैं। विभाग के आयुक्त राजीव दुबे ने इस मामले की जांच के पहले ही दोनों को क्लीनचिट दे दी। इस मामले में उन्होंने सहायक जिला आबकारी अधिकारी राजीव उपाध्याय को निलंबित कर यह जता दिया कि वे तिवारी और सोनी पर कोई कार्यवाही करने के मूड में नहीं हैं। वहीं विभाग की प्रमुख सचिव एवं दंबग आईएएस अफसर मानी जाने वाली दीपाली रस्तोगी ने इस मामले से अपने आप को दूर कर रखा है।

इंदौर आबकारी ने पुलिस को किया गुमराह
आबकारी विभाग ने इस मामले में पुलिस को भी गुमराह करने का काम किया है। दोनों आरोपी बंगलुरू के रहने वाले ही नहीं हैं। उनका वहां पर सिर्फ आॅफिस था। जबकि विभाग के अधिकांश अफसर यह जानते थे कि दोनों आरोपी मोहन कुमार और अनिल सिंहा बिहार के सारण जिले के रहने वाले हैं। इसके बाद भी पुलिस को इस संबंध में आबकारी विभाग ने जानकारी नहीं दी। अब पुलिस को यह पता चला गया है कि आरोपी सारण जिले के रहने वाले हैं, जल्द ही इनकी गिरफ्तारी के लिए वहां भी टीम भेजी जाएगी।

हैबिचुअल अफेंडर हैं राजनारायण सोनी
इस घोटाले में संदिग्ध माने जा रहे असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी हैबिचुअल अफेंडर के रूप में उभर कर सामने आए हैं। विभाग को आर्थिक हानि पहुंचाने का उनका यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी वे रायसेन जिले में फर्जी बैंक गारंटी के मामले में उलझ चुके हैं।  इस मामले में उनकी विभागीय जांच भी हुई। यह तो वे मामले में जो प्रकाश में आए। अब इंदौर में इतना बड़ा घोटाला हो गया जिसमें उनकी भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। उनके नाम से ही शराब ठेकेदार ने कूटरचित एफडीआर विभाग को दे दी। धरोहर राशि भी जमा नहीं की। लाइसेंस फीस आॅनलाइन जमा करने की जगह पर उसका डीडी ले लिया गया जो कुछ दिन पहले तक कैश नहीं करवाया गया था।

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