Cyber Crime का केंद्र बना MP, डिजिटल ठगी के भोपाल में 27% अपराध, जबकि आसान है बचने का तरीका
Cyber Crime MP: साइबर ठगों के निशाने पर है अपना मध्य प्रदेश. यहां साइबर ठगी और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी बढ़ रहे हैं. जबकि इनसे बचने के तरीके बहुत ही आसान हैं.
Cyber Crime MP: उज्जवल प्रदेश डेस्क, भोपाल. MP अब साइबर फ्रॉड करने वाले डिजिटल ठगों के निशाने पर है. हालत इस कदर बिगड़ गए है कि यहां डिजिटल ठगी के मामलों में 130% की वृद्धि दर्ज की गई है. Video कॉल पर फर्जी कस्टमर केयर कॉल, डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड, और ऑनलाइन ठगी के मामलों ने नागरिकों और पुलिस के सामने चुनौतियां बढ़ा दी हैं. इसी कड़ी में सितंबर में भोपाल की श्वेता सेंगर मोबाइल रिचार्ज करने के नाम पर 61,000 रुपये की ठगी का शिकार हो गईं.
CM ने Cyber Crime के चौंकाने वाले आंकड़े किये विधानसभा में पेश
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर राज्य में बढ़ते साइबर अपराध के आंकड़े साझा किए.
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डिजिटल अरेस्ट के मामले
- 2024 में: 26 मामले दर्ज हुए, जिनमें 12.60 करोड़ रुपये की ठगी की गई.
- 2023 में: केवल 1 मामला था, जिसमें ₹96,968 का नुकसान हुआ था.
- रिकवरी: 2024 में कुल ठगी की राशि में से सिर्फ ₹72.38 लाख (5.74%) की ही वापसी हो पाई.
- साइबर अपराधियों की गिरफ्तारियां: अब तक 38 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से ज्यादातर आरोपी राजस्थान, बिहार, गुजरात, केरल और जम्मू-कश्मीर से हैं.
कुल साइबर फ्रॉड के आंकड़े
- 2023 और 2024 में साइबर फ्रॉड से राज्य के लोगों को ₹150 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.
- 2023 में 444 मामले दर्ज हुए, जिनमें ₹44.26 करोड़ का नुकसान हुआ.
- 2024 में मामलों की संख्या बढ़कर 521 हो गई, जो 17% की वृद्धि है.
- नुकसान बढ़कर ₹93.60 करोड़ हो गया, यानी 111% की वृद्धि दर्ज है.
- 2023 में 20% की रिकवरी हुई थी, जबकि 2024 में यह घटकर केवल 9% रह गई.
कुल अपराधों का 27% ऑनलाइन फ्रॉड
वहीं, अकेले साइबर क्राइम सेल में इसी दौरान पांच हजार 463 केस दर्ज हो चुकी हैं. यह कुल अपराधों का 27% है. यह स्थिति तब है, जब हर साइबर अपराध थाने तक नहीं पहुंच पाता है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस साल दर्ज 14 हजार से अधिक मामलों में चोरी, ठगी, छिनैती, जेबकतरी जैसे वित्तीय अपराधों के मामले केवल एक हजार के करीब हैं.
मगर, साइबर क्राइम सेल में जो पांच हजार से अधिक केस आए हैं, उनमें चार हजार मामलों में तो पीड़ित के खातों से रकम उड़ा ली गई है. चोरी, ठगी और छिनैती जैसे वित्तीय अपराधों की तुलना में साइबर ठगों ने सैकड़ों गुना अधिक रकम चुराई है.
यह ठगी कितनी तेजी से बढ़ी है, इसका अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि 2019 में भोपाल में दो हजार 792 एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें एक करोड़ 48 लाख रुपये की ठगी का ब्यौरा था. इस साल के 10 महीनों में ही पांच हजार 491 केस दर्ज हो चुके, जिसमें 55 करोड़ 88 लाख रुपयों की ठगी हुई है. इस साल ठगी जा चुकी रकम 2019 की तुलना में 3800% ज्यादा है.
कैसे बढ़ा डिजिटल दुनिया में अपराध का ग्राफ
स्मार्ट फोन का बढ़ता उपयोग- पांच वर्षों में मोबाइल धारकों की संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई है. वे इंटरनेट पर विभिन्न एप का उपयोग करते हैं, जहां उपभोक्ता का डाटा मौजूद होता है.
सस्ता और हाइ स्पीड इंटरनेट- भारत में इंटरनेट काफी किफायती दरों पर उपलब्ध है. साथ ही उसकी स्पीड भी बीते वर्षों में काफी तेज हुई है. इसने इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाई है.
डिजिटल ट्रांसफार्मेशन- डिजिटल परिवर्तन के अंतर्गत सरकारी सेवाओं से लेकर निजी व्यवसाय सब कुछ आनलाइन हो गया है. डिजिटल पेमेंट व्यवस्था ने इसे नया रूप दिया है.
जागरूकता का अभाव- 90 प्रतिशत से अधिक मोबाइल व इंटरनेट उपभोक्ता अब भी साइबर सुरक्षा के बुनियादी ज्ञान से वंचित हैं. वे साइबर ठगों का सबसे आसान शिकार होते हैं.
साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे में कमी- साइबर सुरक्षा के लिए देश में मजबूत ढांचा तैयार नहीं किया जा सका है. जो नियम-कानून बने हैं, वे भी कमजोर हैं. पुलिस के पास भी साइबर अपराधियों को पकड़ने का तंत्र कमजोर है.