भगवान की मूर्ति और मंदिर से विकसित होती है हमारी संस्कृति: आचार्य प्रज्ञासागर
इंदौर
मंदिर और भगवान की मूर्ति का कभी भी विरोध नहीं होना चाहिए। भगवान की मूर्ति और मंदिर से हमारी संस्कृति विकसित होती है। मंदिर हमारी आस्था का केंद्र होते हैं। भगवान के दर्शन से व्यक्ति को सुकून का अहसास होता है।
यह बात आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने कालानी नगर स्थित दिगंबर जैन त्रिमूर्ति मंदिर परिसर में कही। वे मंगल प्रवेश के बाद आयोजित धर्मसभा में संबोधित कर रही थे। उनका आगमन 16 से 21 मई तक श्री चंदाप्रभु जिनालय में आयोजित जिन बिम्ब पंच कल्याणक प्रतिष्ठा व विश्व कल्याण महायज्ञ में सान्निध्य प्रदान करने के लिए हुआ। मंगल प्रवेश जुलूस छोटा बांगड़दा के मनुश्री नगर में राजेश कानूनगो के निवास पर अभिनंदन के साथ शुरू हुआ।
मार्ग में जगह-जगह उनका स्वागत समाजजन ने किया। आयोजन समिति के अजय रांवका, रूपेश बड़जात्या, नीलेश काला, जतिन लुहाड़िया ने बताया कि गुरुदेव का 51 थालियों में कलश से पाद प्रक्षालन किया गया। आचार्य के पाद प्रक्षालन अखिलेश सिंघई ने किया। इस मौके पर त्रिमूर्ति मंदिर अध्यक्ष विमल बड़जात्या, सुरेंद्र कलशधर, किशोर शाह, अशोक गंगवाल, मौसम शाह आदि उपस्थित थे।