सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा, राहगीर बन रहे हैं हादसे का शिकार
गुना
शहर की सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी वाहन चालकों व राहगीरों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। यह समस्या बायपास से लेकर ओवर ब्रिज, जज्जी बस स्टेंड, जयस्तंभ चौराहा, तेलघानी, हनुमान चौराहा, हाट रोड, सब्जी मंडी, बीजी रोड, रेलवे स्टेशन रोड से लेकर लगभग शहर की हरेक सड़क एवं हाईवे पर दिखाई देती है। दरअसल बरसात शुरू होने के बाद सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा बढ़ गया है। सबसे अधिक समस्या एबी रोड एवं बीजी रोड की है। यहां आए दिन वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। पशुओं के स्वच्छंद विचरण से आवागमन बाधित होने के साथ राहगीरों को आने-जाने में जानवरों का भय बना रहता है। सुबह से लेकर रात तक आवारा पशु सड़कों पर डटे रहते हैं। इन्हें सड़क से भगाने की कोशिश में ही दुर्घटनाएं घट जाती हैं। यह आवारा पशु बाजार में घुसकर अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं और इन्हें भगाने की कोशिश में कई लोग घायल हो जाते हैं। शहर के चौक-चौराहों व गलियों में आवारा पशुओं का डेरा कभी न खत्म होने वाली समस्या बन गई है।
खानापूर्ति कर भूले अभियान
यातायात व्यवस्था बनाने के लिए कई बार नगर पालिका के अधिकारी को आवारा मवेशियों को पकड?े की कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं। कई बार कलेक्टर के आदेश के बाद नपा ने मवेशियों को पकड?े की कार्रवाई की, लेकिन इसके बाद आवारा मवेशियों को पकड?े की मुहिम अक्सर दम तोड़ जाती है। जिसके चलते अक्सर शहर में हर चौक-चौराहों पर आवारा मवेशियों का झुंड देखा जा सकता है। ऐसे में ये कई बार सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। मवेशियों के अचानक सामने आ जाने के कारण वाहन चालक अपना नियंत्रण खो बैठते हैं और फिर दुर्घटना होते देर नहीं लगती।
पशु मालिक बेपरवाह
शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का कब्जा होने के पीछे बहुत हद तक पशु मालिक भी जिम्मेदार हैं। मवेशियों से हित साधने के बाद इन्हें सड़कों पर आवारा घूमने के लिए इस तरह छोड़ दिया जाता है जैसे मवेशियों से उनका कोई नाता न हो। दुर्घटना में मवेशियों की मौत के बाद वे मुआवजा के लिए जानवरों पर दावा करते हैं। वहीं फसलें पकने के साथ ही शहर में आवारा पशुओं का जमावड़ा बढ़ जाता है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पशुओं को फसलें उजाडऩे के कारण शहरों की ओर खदेड़ दिया जाता है।